July 20, 2025

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दिल्ली की फुटबॉल: गंभीर प्रयासों से उपलब्ध होगा डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम

  • डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम दिल्ली की फुटबॉल को संभालने वाली संस्था दिल्ली सॉकर एसोसिएशन के हाथ से निकलता जा रहा है
  • फिर चाहे वजह एमसीडी के पास मालिकाना हक हो या फिर एसोसिएशन के कर्ताधर्ताओं में दूरदर्शिता की कमी, जिन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाए
  • यह स्टेडियम सुब्रतो कप, आई-लीग मैचों और ओरिएंटल कप जैसे अन्य टूर्नामेंट के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है लेकिन डीएसए के लिए स्टेडियम की अनुपलब्धता के चलते उसके टूर्नामेंट निर्धारित समय पर समाप्त नहीं हो पाते हैं
  • डीएसए को डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम नियमित रूप से नहीं मिल पाने की समस्या को एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रिजवान-उल-हक ने बेझिझक स्वीकार किया है

अजय नैथानी

जिस तरह फिरोजशाह कोटला मैदान (अरुण जेटली स्टेडियम) दिल्ली की क्रिकेट का हब कहलता है उसी तरह डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम भारत की राजधानी की फुटबॉल का गढ़ माना जाता है। राजधानी की क्रिकेट की देखरेख करने वाले दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) और अरुण जेटली स्टेडियम एक-दूसरे का पर्याय बन चुके हैं लेकिन डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम और दिल्ली की फुटबॉल को संभालने वाली संस्था दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम डीएसए के हाथों से निकलता जा रहा है, फिर चाहे वजह दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पास मालिकाना हक हो या फिर एसोसिएशन के कर्ताधर्ताओं में दूरदर्शिता की कमी, जिन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाए।

   डीएसए को डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम नियमित रूप से नहीं मिल पाने की समस्या को एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रिजवान-उल-हक ने बेझिझक स्वीकार किया है। क्योंकि एमसीडी का यह प्रसिद्ध स्टेडियम सुब्रतो कप, आई-लीग मैचों और ओरिएंटल कप जैसे अन्य टूर्नामेंट के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है लेकिन जब बात डीएसए की आती है तो स्टेडियम की अनुपलब्धता के चलते स्थानीय एसोसिएशन के टूर्नामेंट निर्धारित समय पर समाप्त नहीं हो पाते हैं। पूर्व फीफा रैफरी रिजवान इस बारे में कहते हैं, “हमने सरकार से स्टेडियम को लीज के जरिये पाने का प्रयास किया था लेकिन इसमें हम सफल नहीं हुए।” उन्होंने आगे कहा, “हम चाहते हैं कि अम्बेडकर स्टेडियम लीज में दिल्ली सॉकर एसोसिएशन को मिले, जिससे कि हमारे टूर्नामेंट नियमित खेले जा सके।”

   स्टेडियम को पाने के प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा, “दिल्ली सरकार के मंत्री परवेज वर्मा जी दिल्ली प्रीमियर लीग के फाइनल में आए थे और उस समय हमने इस बारे में चर्चा की थी। तब उन्होंने इसको लेकर कुछ करने का आश्वासन दिया था। हम कोशिश कर रहे हैं कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा जी से मिलने डेलिगेशन भेजें और उनके सामने अपनी समस्या रखें।” डीएसए उपाध्यक्ष ने कहा, “हमें सरकार के समर्थन की जरूरत है, जिससे कि यह स्टेडियम ज्यादा समय के लिए हमें मिल पाए, जिससे कि हम राजधानी की फुटबॉल को आगे लेकर जाएं।”

   अगर अम्बेडकर स्टेडियम डीएसए को पहले की तरह अपने आयोजन सुचारू रूप से करने के लिए उपलब्ध हो जाता है, तो यह राजधानी की फुटबॉल और खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद रहेगा, जैसे कि डीएसए उपाध्यक्ष उम्मीद जता रहे हैं। हालांकि यह देखने वाली बात है कि डीएसए सरकारों (केंद्र और दिल्ली की) को कितना मना पाती है, जो कि एसोसिएशन के पदाधिकारियों के प्रयासों की गंभीरता पर निर्भर करेगा। वर्ना डीएसए फुटबॉल का एक अदद मैदान पाने के लिए यूं ही दर-दर भटकता रहेगा।

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