कुत्ते संभलते नहीं, दावा ओलम्पिक मेजबानी का!
- इंडियनऑयल नई दिल्ली 2025 वर्ल्ड पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप के दौरान दिल्ली स्थित आयोजन स्थल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में कुत्तों ने जापानी व केन्याई) कोच को काट खाने की घटना से भारत की किरकिरी हुई
- भले ही भारत सरकार, खेल मंत्रालय और साई कितनी भी सफाई दें लेकिन इस तरह की घटनाओं का असर ओलम्पिक मेजबानी के हमारे दावे पर भी पड़ सकता है
राजेंद्र सजवान
राजधानी दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित इंडियनऑयल नई दिल्ली 2025 वर्ल्ड पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप के दौरान स्टेडियम में पल रहे आवारा कुत्तों ने दो विदेशी कोचों को काट खाया, जिसकी खबर दुनिया भर में फैल चुकी है। सूत्रों की माने तो चैंपियनशिप के दौरान कुल पांच लोग आवारा कुत्तों के शिकार बने और इस घटना के बाद भी आवारा कुत्ते स्टेडियम में देखे गए थे जबकि आयोजकों ने दिल्ली सरकार से कहकर एमसीडी के डॉग कैटर्स की दो टीमों तैनात कराने का दावा किया था। बहरहाल, कुछ माह पहले कबड्डी के एक उभरते खिलाड़ी की पिल्ले के काटने के कारण मौत हो चुकी है। इसी प्रकार की घटनाएं दिल्ली सहित भारत में रोज ही घटित हो रही हैं। कुत्ते सरे आम प्रशासन और सरकारों की नाक के नीचे मासूम बच्चों को नोच खा रहे हैं। आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं और गायों द्वारा राह चलते लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर मारना आम बात है। लेकिन प्रशासन मौन है। आंकड़े बताते हैं कि सैकड़ों-हजारों देशवासी प्रतिवर्ष आवारा कुत्तों के शिकार होते हैं पर दो चार दिन शोर शराबे के बाद सबकुछ सामान्य हो जाता है।
विदेशी कोचों को काटने की घटना को इसलिए हलके से नहीं लिया जा सकता क्योंकि यह खबर दुनियाभर में फैल चुकी है और भारत की किरकिरी करा चुकी है। जाहिर है मामला गंभीर है और देश की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ सकता है। कुत्तों ने ऐसे समय आतंक मचाया है जब सरकार ओलम्पिक आयोजन का ख्वाब देख रही है। लेकिन लगातार बुरी खबरें पीछा नहीं छोड़ रही हैं। कुछ दिन पहले तक भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट विवाद को लेकर खासा हंगामा मचा। एशिया कप क्रिकेट खिताब जीतने पर जहां एक तरफ भारतीय क्रिकेट का कद बढ़ा है तो साथ ही मैदान पर राजनीति के चलते विवाद भी बढ़े हैं, जिसे लेकर लम्बी बहस छिड़ गई है। भारतीय कदम कितना सही है, फिलहाल कुछ भी कहना न्याय संगत नहीं होगा। लेकिन चूंकि 2028 के ओलम्पिक में क्रिकेट एक पदक खेल के रूप में जुड़ गया है इसलिए असर दूर तक हो सकता है और भारत की ओलम्पिक मेजबानी का दावा कमजोर पड़ सकता है, ऐसा देश के सामान्य वर्ग को लगता है।
भले ही यह दावा किया जा रहा है कि देश खेल महाशक्ति बनने जा रहा है लेकिन देश खेलों की हालत देखकर विश्वास नहीं हो पा रहा। खासकर, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के अवारा कुत्तों द्वारा केन्या और जापान के कोचों को काटना हमारी ‘चाक-चौबंद’ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है और अंतर्राष्ट्रीय खेल बिरादरी में देश की खेल प्रतिष्ठा गिरी है। इस घटना दो दिन पहले ही दो सुरक्षाकर्मियों को भी कुत्तों ने काटा था। स्टेडियम में कार्यरत स्टॉफ के कुछ कर्मचारियों के अनुसार, कुत्तों के काटने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं लेकिन मामले दबा दिए जाते हैं। भले ही आयोजक और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के अधिकारी अपनी सफाई में कुछ भी कहें लेकिन खिलाड़ी, अधिकारी और स्टाफ दहशत में है। कुछ तो यहां तक कह रहे हैं कि मेजबान देश कदापि गंभीर नहीं है, जिसका असर ओलम्पिक मेजबानी के दावे पर भी पड़ सकता है।
इसमें दो राय नहीं कि देश भर के गांव-शहर जंगली जानवरों, गायों, बंदरों, हाथियों और अन्य वन्य प्राणियों के उत्पात से प्रभावित हैं लेकिन करोड़ों के स्टेडियमों में कुत्तों का उत्पात व्यवस्था पर बड़ा तमाचा है। क्योंकि इस बार विदेशी कोच कुत्तों के शिकार हुए हैं, ऐसे में खेल मंत्रालय, खेल प्राधिकरण, स्टेडियम प्रशासन और सबसे पहले आयोजकों से सवाल पूछा जान चाहिए। क्योंकि मामला विदेशी कोचों के शिकार बनने का है इसलिए मेजबान के तौर पर हमारी छवि खराब हुई है जिसका सीधा असर ओलम्पिक आयोजन और अन्य आयोजनों के दावों पर पड़ना स्वाभाविक है।