क्यों बीसीसीआई से भीख मांगने को विवश है फुटबॉल?
- हाल में बिगड़े हालातों को देखते हुए यह कहा जाने लगा है कि भारतीय फुटबॉल का दिवाला निकल गया है
- एआईएफएफ के भ्रष्ट अधिकारियों ने फुटबॉल को उस चौराहे पर ला खड़ा किया है जहां से हर रास्ता गहरे खड्ड में जाता है
- भारतीय फुटबॉल की आन, बान और शान कही जा रही आईएसएल का आयोजन ना सिर्फ खतरे में पड़ गया है अपितु यहां तक कहा जाने लगा है कि देश की प्रीमियर फुटबॉल लीग ठप्प भी पड़ सकती है
- भारतीय फुटबॉल पर बड़ा संकट तब सामने आया जब आईएसएल के लिए किसी ने भी बिडिंग नहीं की
- लीग के कमर्शियल राइट्स के लिए बोली नहीं लगने का कारण यह है कि सभी क्लबों की हालत खस्ता है और खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टॉफ को अनुबंध राशि देने के लाले पड़ गए हैं
- यदि बीसीसीआई रहम करे और कुछ एक साल के लिए फुटबॉल को गोद ले सके तो फुटबॉल का भला हो सकता है
राजेंद्र सजवान
अनुशासनहीनता, अव्यवस्था, शर्मनाक प्रदर्शन और लूट-खसोट ने भारतीय फुटबॉल को उस चौराहे पर ला खड़ा किया है, जहां से संभलना अब मुमकिन नहीं है। हाल में बिगड़े हालातों को देखते हुए यह कहा जाने लगा है कि भारतीय फुटबॉल का दिवाला निकल गया है और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के भ्रष्ट अधिकारियों ने फुटबॉल को उस चौराहे पर ला खड़ा किया है जहां से हर रास्ता गहरे खड्ड में जाता है। हालांकि पिछले कई सालों से हालात बिगड़ रहे थे लेकिन अब हालत यह हो गई है कि भारतीय फुटबॉल की आन, बान और शान कही जा रही इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) का आयोजन ना सिर्फ खतरे में पड़ गया है अपितु यहां तक कहा जाने लगा है कि देश की प्रीमियर फुटबॉल लीग ठप्प भी पड़ सकती है। यह भी हो सकता है कि जैसे-तैसे लीग को शुरू किया जाए लेकिन आगे बढ़ने की कोई गारंटी देने को तैयार नहीं है।

हां, यदि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) रहम करे और कुछ एक साल के लिए फुटबॉल को गोद ले सके तो फुटबॉल का भला हो सकता है। बड़ा संकट तब सामने आया जब आईएसएल के लिए किसी ने भी बिडिंग नहीं की। लीग के कमर्शियल राइट्स के लिए बोली नहीं लगने का कारण यह है कि सभी क्लबों की हालत खस्ता है और खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टॉफ को अनुबंध राशि देने के लाले पड़ गए हैं।

इसमें दो राय नहीं कि क्रिकेट देश का सबसे धनाढय खेल संघ है, जोकि आईओए और खेल मंत्रालय की भी परवाह नहीं करता। यह भी सच है कि यदि कोई खेल अर्श से फर्श पर गिरा है तो वह फुटबॉल है और उसकी पितृ संस्था एआईएफएफ का दीवाला निकल चुका है। सवाल सिर्फ खराब प्रदर्शन का नहीं है। बड़ी चिंता की बात यह है कि देश कि सबसे बड़ी और भारतीय फुटबॉल की आत्मा कही जाने वाली ‘इंडियन सुपर लीग’ वितीय संकट से गुजर रही है। हालात इस कदर दयनीय हैं कि मोहन बगान और ईस्ट बंगाल जैसे पुराने और प्रतिष्ठित क्लब अपना बोरिया-बिस्तर समेटने की धमकी दे रहे हैं। इन क्लबों ने यहां तक कह दिया हैं कि एआईएफएफ चाहे तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड से सौ-डेढ़ सौ करोड़ की भीख मांग कर लीग को बचा सकता है। अर्थात क्रिकेट के सामने नाक रगड़ने की नौबत आ गई है। ये वही फुटबॉल है जिसके कर्णधार बात-बात में क्रिकेट को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। लेकिन मरता क्या नहीं करता!

