मेस्सी ने देखा भारतीय फुटबॉल का बेशर्म चेहरा
- मेस्सी का भारत दौरा भारतीय फुटबॉल की दरिद्रता, लूट, धोखाधड़ी और कुछ हद तक देशद्रोह को उजागर कर गया
- एक सवाल पूछा जा रहा है कि अरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम में मेस्सी का स्वागत सत्कार क्यों किया गया, जबकि बगल में डॉ बीआर अम्बेडकर स्टेडियम फुटबॉल का मैदान है
- भारतीय फुटबॉल में सबसे फिसड्डी देश है क्योंकि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में जिस खेल भावना और शालीनता की जरूरत है, भारतीय फुटबॉल उसके आस-पास भी नहीं है
- भ्रष्टाचार, व्यभिचार, उम्र की धोखाधड़ी, फिक्सिंग, सट्टेबाजी और तमाम बुराइयां दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की रग-रग में समाई है, जो कि मेस्सी के आने पर खुलकर सामने आ गई
राजेंद्र सजवान
फुटबॉल जगत के महानतम खिलाड़ियों में शुमार लियोनेल मेस्सी के भारत दौरे से भारतीय फुटबॉल को क्या मिला? यह सवाल देश के आम फुटबॉलर, फुटबॉल प्रेमियों और जागरूक नागरिकों द्वारा पूछा जा रहा है। भले ही बेंगलुरू, मुम्बई और दिल्ली में कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ लेकिन भारतीय फुटबॉल का मक्का कहलाने वाले शहर कोलकाता में जो कुछ हुआ बेहद शर्मनाक था। सॉल्टलेक स्टेडियम में तोड़फोड़ की तस्वीरें पूरी दुनिया में थू-थू अर्जित कर रही है। अब सवाल यह किया जा रहा है कि जब मेस्सी को आम फुटबॉल प्रेमियों के सामने आना ही नहीं था तो उन्हें क्यों बुलाया गया और भारतीय फुटबॉल को मेस्सी के आने से हासिल किया हुआ?

यह जगजाहिर है कि भारतीय फुटबॉल में सबसे फिसड्डी देश है क्योंकि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में जिस खेल भावना और शालीनता की जरूरत है, भारतीय फुटबॉल उसके आस-पास भी नहीं है। भ्रष्टाचार, व्यभिचार, उम्र की धोखाधड़ी, फिक्सिंग, सट्टेबाजी और तमाम बुराइयां दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की रग-रग में समाई है, जो कि मेस्सी के आने पर खुलकर सामने आ गई। फुटबॉल पागलों और मेस्सी के दीवानों से 10 से 20 हजार लूटे गए, लाखों में मेस्सी से नजदीकी को बेचा गया लेकिन हजारों फुटबॉल प्रेमी ठगे रह गए।

इसलिए क्योंकि सुपर स्टार देश के लुटेरे, नंग और फुटबॉल का बलात्कार करने वाले नेताओं और अमीरों से घिरा हुआ था। हालांकि लूट का खेल बेंगलुरू, मुम्बई और दिल्ली में भी खेला गया लेकिन अफरा-तफरी, लूट-खसोट और तोड़-फोड़ पर नियंत्रण रखा गया। फिर भी एक सवाल पूछा जा रहा है कि दिल्ली के फिरोजशाह कोटला (अब अरुण जेटली स्टेडियम) क्रिकेट स्टेडियम में मेस्सी का स्वागत सत्कार क्यों किया गया, जबकि बगल में डॉ बीआर अम्बेडकर स्टेडियम फुटबॉल का मैदान है। कुछ नाराज फुटबॉल प्रेमियों को लगता है कि उनके खेल को हैसियत का आईना दिखा दिया गया है।

कुल मिलाकर मेस्सी के दौरे को सरकार और मेजबान शहरों की राज्य सरकारें भले ही अपनी उपलब्धि बताएं लेकिन देश का आम और खास फुटबॉल प्रेमी और पूर्व खिलाड़ी कह रहे हैं कि मेस्सी के दौरे से भारतीय फुटबॉल पूरी तरह एक्सपोज हो गई है। फुटबॉल के पागल शहर कोलकाता की शर्मनाक हरकतों और फुटबॉल के लुटेरों की देशद्रोही गतिविधियों से साफ हो गया है कि हम कभी सबसे बड़े और लोकप्रिय खेल में नाम-सम्मान नहीं कमा सकते हैं। कुल मिलाकर मेस्सी का भारत दौरा भारतीय फुटबॉल की दरिद्रता, लूट, धोखाधड़ी और कुछ हद तक देशद्रोह को उजागर कर गया।

