कोविड 19 ने दिल्ली की स्थानीय क्रिकेट की दो बड़ी शख्सियतों – प्रमोद सूद और कृष्ण कुमार तिवारी (केके तिवारी) – को असमय ही छीन लिया। शुक्रवार की शाम और आज सुबह, महज कुछ घंटों के अंतराल में इन प्रमोद सूद और केके तिवारी के निधन की सूचना मिली, जिसने मुझे फिर से हिला करके रख दिया।
दोनों की मृत्यु आघात देने वाली है, जिसने दिल्ली के क्रिकेटीय सर्किल को करारा आघात पहुंचाया है, जिसकी क्षतिपूर्ति शायद ही हो सके। क्योंकि, दोनों ने ही अपने जीवन काल में दिल्ली की क्रिकेट की बहुत सेवा की।
दिल्ली के क्रिकेटीय सर्किल में शायद ही कोई होगा, जो इन दोनों से वाकिफ नहीं होगा और “केके” के नाम से विख्यात थे। केके तिवारी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के आधिकारिक स्कोरर थे और दिल्ली की स्थानीय क्रिकेट में सबसे सक्रिय शख्शियतों में से एक थे।
उनके साथ मेरा संबंध लगभग 18-20 सालों से था। शुरुआत हुई थी क्रिकेटीय खबरें अपने अखबार प्रकाशित करने से। लेकिन समय बितने के साथ उनके और मेरे संबंध मजबूत होते चले गए। केके ने कई खिलाड़ियों की उस समय मदद की है, जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी। वह आम लोगों की सहायता के लिए भी हमेशा तैयार रहते थे।
तिवारी लगभग दो हफ्तों से कोरोना महामारी की गिरफ्त में थे और इस दौरान लगातार इस खतारनाक वायरस ले लड़ते रहे। केके पिछले एक हफ्ते से एम्स झज्जर में भर्ती थे और वेंटीलेटर पर थे। उससे पहले वह एक-दो दिन के लिए पूर्वी दिल्ली के अस्पताल हेडगेवकर में ऑक्सीजन बेड में थे। लेकिन आठ मई की सुबह वह कोरोना के खिलाफ जिन्दगी की जंग हार गए और खुद के परिवार को भंवर में छोड़ चले गए।
उनके परिवार में, बड़ी लड़की ने वकालत कर ली है, लेकिन अभी करियर में संघर्ष के दौर में है। छोटी बेटी 12वीं पास करने के बाद इंजीनियिरंग की तैयारी कर रही है। छोटा बेटा अभी सातवीं क्लास में पढ़ता है। पत्नी गृहणी है। केके तिवारी की तरह डीडीसीए के अंपायरिंग पैनल के सदस्य प्रमोद सूद भी दिल्ली की क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक थे।
खेल पत्रकारिता की वजह से मेरी उनके साथ जान-पहचान हुई, जो कि समय के साथ मजबूत संबंध बदल गई। शुरुआत टूर्नामेंट की खबरें छापने से हुई, क्योंकि मैं खेल पत्रकार और वह राजधानी के प्रसिद्ध ओम नाथ सूद टूर्नामेंट के आयोजक थे। बेकारी में या फिर किसी बड़े संस्थान से जुड़ने नहीं होने के बावजूद उनका मेरी प्रति आदर भाव समान रहा। उन्होंने मेरे बुरे वक्त में भी समुचित आदर सम्मान दिया। इससे मेरे मन में उनके लिए सम्मान और बढ़ गया।
दिल्ली में अप्रैल की शुरुआत में लॉकडाउन लगने से पहले प्रमोद सूद पूर्ण रूप से स्वस्थ थे और राजधानी के प्रसिद्ध क्रिकेट टूर्नामेंट ऑल इंडिया ओम नाथ सूद मेमोरिलय टूर्नामेंट के 31वें संस्कण का आयोजन करवा रहे थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण 62 साल वर्षीय प्रमोद सूद ने आयोजन सचिव होने नाते से टूर्नामेंट को बीच में ही अधूरा रोक दिया और उनकी योजना हालात सामान्य होने पर इसे पूरा करने की थी।
लेकिन शुक्रवार को कोरोना के कारण निधन हो गया। उनके परिवार में दो बेटे जतिन और मयंक सूद हैं। उनके बेटे और बीसीसीआई स्कोरर जतिन सूद ने बताया कि उनके पिताजी का आज शाम दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
इन दोनों के इस तरह असमय चले जाना मेरे जैसे कई लोगों के लिए एक तगड़ा झटका है। लेकिन इनके जाने का दुख तो है ही कोरोना काल में और इस महामारी से मृत्य़ु और भी ज्यादा पीड़ादायक है। क्योंकि दिल में एक कसक रह गई है कि मैं उनके किसी तरह की मदद नहीं कर सका और अंतिम दर्शन नहीं कर सका। लेकिन आप लोग याद आओगे।
अलविदा प्रमोद सूद जी और केके तिवारी जी….आप दोनों को श्रद्धांजलि…।