एशियाड: विवादों के चलते भारतीय कुश्ती के चित होने का डर!

- अध्यक्ष बृजभूषण पर आरोप लगाने वाले छह पहलवानों को ट्रायल में सुविधा देने को लेकर बाकी पहलवान और उनके कोच खासे नाराज हैं
- आईओए ने ओलम्पिक काउंसिल ऑफ एशिया से पहलवानों की प्रविष्ठि भेजने की अंतिम तिथि 5 अगस्त तक बढ़ाने की मांग की थी लेकिन 23 जुलाई तक के लिए अनुमति मिल पाई है
- आईओए की तदर्थ समिति के अनुसार 22 जुलाई को केडी जाधव स्टेडियम में ग्रीको रोमन व महिला वर्ग और अगले दिन 23 को फ्रीस्टाइल वर्ग के ट्रायल आयोजित किए जाएंगे
राजेंद्र सजवान
देर से ही सही हांगझोऊ एशियाई खेलों में भाग लेने का दावा करने वाले पहलवानों के चेहरे पर हल्की मुस्कान जरूर लौट आई है। पिछले कई महीनों से कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध चल रही यौन शोषण की लड़ाई पर फिलहाल विराम लगा हुआ है और लगे हाथों छह आंदोलनकारी पहलवानों के आग्रह पर चयन ट्रायल की तिथियों का फैसला हो गया है। हालांकि भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) ने ओलम्पिक काउंसिल ऑफ एशिया से पहलवानों की प्रविष्ठि भेजने की अंतिम तिथि 5 अगस्त तक बढ़ाने की मांग की थी लेकिन 23 जुलाई तक के लिए भारतीय कुश्ती दल की प्रविष्टि भेजने की अनुमति मिल पाई है।
आईओए की तदर्थ समिति के अनुसार 22 जुलाई को केडी जाधव स्टेडियम में ग्रीको रोमन और महिला वर्ग के ट्रायल आयोजित किए जाएंगे। अगले दिन 23 को फ्रीस्टाइल वर्ग में मुकाबले तय हैं। हालांकि एशियाड और ओलम्पिक क्वालीफायर के मुकाबले हमेशा से चुनौतीपूर्ण और कभी-कभार लड़ाई झगड़े वाले रहे हैं लेकिन इस बार बेहद आक्रामक और माहौल बिगाड़ने वाले हो सकते हैं। खासकर, अध्यक्ष बृजभूषण पर आरोप लगाने वाले छह पहलवानों को ट्रायल में सुविधा देने को लेकर बाकी पहलवान और उनके कोच खासे नाराज हैं। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सत्यवान कादयान और जितेंद्र किन्हा विदेशों में अभ्यास कर रहे हैं और अभी तक यह तय नहीं है कि वे सभी या कौन-कौन ट्रायल में उतरेंगे।
खेल मंत्रालय, आईओए और एडहॉक कमेटी की निगरानी में ट्रायल होगा लेकिन देश के तमाम श्रेष्ठ पहलवानों के लिए अपने किस्म का यह अनोखा आयोजन बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है। फ्री-स्टाइल ओलम्पिक वर्ग में छह- छह पुरुष और महिला पहलवान, जबकि ग्रीको रोमन में छह पुरुष पहलवान चुने जाने हैं। अर्थात कुल 18 श्रेष्ठ पहलवानों के चयन के लिए घमासान होगा। सभी भार वर्गों में अंडर-20 और अंडर-23 तथा सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के पदक विजेता भी चुनौती पेश कर सकते हैं। सीधा सा मतलब है कि कई महीनों तक अभ्यास से दूर रहे बड़े-छोटे पहलवानों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
ओलम्पिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के बारे में कहा जा रहा है कि उसमें एशियाड और और ओलम्पिक पदक जीतने का प्रयाप्त दमखम बाकी है। उसके पास लंबा अनुभव भी है। लेकिन 65 किलो फ्री-स्टाइल में उसे सुजीत से कड़ी टक्कर मिल सकती है। सबसे छोटे 57 किलो वर्ग में ओलम्पिक रजत पदक विजेता रवि दहिया एशियाड में स्वर्ण पदक का दावेदार है लेकिन घरेलू ट्रायल में उसे जूनियर वर्ल्ड चैम्पियन अमन सेहरावत से पार पाना होगा। 74 किलो में सागर जागलान और यश, 86 किलो में दीपक पूनिया और 97 किलो वर्ग में दीपक ट्रायल में जीत दर्ज कर सकते हैं। जहां तक पदक की उम्मीद है तो रवि दहिया, बजरंग और दीपक पूनिया से उम्मीद की जा सकती है।
महिला पहलवानों की बात करें तो 53 किलो भार वर्ग पर सबकी निगाहें लगी हैं, क्योंकि इस भार वर्ग में विनेश फोगाट को जूनियर वर्ल्ड चैम्पियन पहलवान अंतिम पंघाल से पार पाना होगा, जो कि आसान नहीं होगा। अंजू भी कड़ी चुनौती दे सकती है। 50 किलो में ज्यादातर लड़कियां जूनियर हैं और जिसका दिन अच्छा होगा, वो ट्रायल जीत सकती है। शीतल, निर्मल, सीमा और पूजा गहलोत में से कोई भी बाजी मार सकती है। 57 किलो में अंशु मालिक छोटी उम्र में बड़ी पहलवान बन चुकी है। उसने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर जीता है। सरिता, पूजा ढांडा और मंशा भी उलटफेर कर सकती हैं। 62 किलो में साक्षी को हराने वाली सोनम मलिक ट्रायल जीत जाती है तो एशियाई खेलों में धमाल मचा सकती है। मनीषा और संगीता को कमतर नहीं आंका जा सकता। 68 और 76 किलो में भी कुछ नई लड़कियां जोर-शोर से दस्तक दे रही हैं। 68 किलो में दिव्या काकरान को निशा और पिंकी से कड़ी चुनौती मिल सकती है। 76 किलो वर्ग में किरण, पूजा और प्रियंका मलिक में से कोई भी ट्रायल जीत सकती है।
जहां तक ग्रीको-रोमन शैली की बात है तो भारत में इस स्टाइल की कुश्ती को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया। इस बार भी गंभीरता की कमी साफ नजर आ रही है। फिर भी छोटे भार वर्गों में पदक जीत सकते हैं। कुल मिलाकर इस बार कुश्ती भगवान भरोसे है।