- एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे ने सरेआम मान लिया है कि देश की क्लब फुटबॉल में मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी का खेल जोर-शोर से खेला जा रहा है
- आई-लीग से जुड़े कुछ क्लबों पर शक की सुई झूल रही है, जिसका खुलासा होना बाकी है
- यह भी पता चला है कि गोवा, बंगाल, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक आदि प्रदेशों की वार्षिक लीग और अन्य आयोजनों में भी मैच फिक्सिंग का भूत प्रवेश कर चुका है
राजेंद्र सजवान
भारतीय फुटबॉल के पतन को जानते-समझते हुए भी अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) चाहे कितनी भी लाग-लपेट कर ले लेकिन फेडरेशन के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने सरेआम मान लिया है कि देश की क्लब फुटबॉल में मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी का खेल जोर-शोर से खेला जा रहा है। इस खेल के खिलाड़ियों के बारे में फेडरेशन कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। लेकिन इतना तय है कि आई-लीग से जुड़े कुछ क्लबों पर शक की सुई झूल रही है, जिसका खुलासा होना बाकी है।
हालांकि फेडरेशन कह रही है कि वो दूध का दूध करने जा रही है और असली गुनहगारों को एक्सपोज किया जाएगा लेकिन खेलों में फिक्सिंग और सट्टेबाजी का बाजार जितना बड़ा है, उतना रहस्यमयी भी है। कुछ सालों पहले क्रिकेट को लेकर बड़ा बवाल मचा था। भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और कई देशों के नामी खिलाड़ियों के नाम चर्चा में आए थे। तब भारतीय क्रिकेट में तूफान आ गया था और कई बड़े खिलाड़ियों के नाम उभर कर सामने आए थे लेकिन यह मामला चुपचाप दफना दिया गया।
बेशक, क्रिकेट में सट्टेबाजी और फिक्सिंग बदस्तूर जारी है, जिसके प्रमाण भी उपलब्ध हैं लेकिन भारतीय फुटबॉल में फिलहाल जांच-पड़ताल चल रही है और यह भी संभव है कि इस मामले को भी क्रिकेट के तूफान की तरह दफन कर दिया जाए।
लेकिन चूंकि पहल खुद एआईएफएफ ने की है। इसलिए माना जा रहा है कि मामला गंभीर है और फेडरेशन फिक्सरों से निपटने के लिए कमर कस चुकी है। यह भी पता चला है कि गोवा, बंगाल, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक आदि प्रदेशों की वार्षिक लीग और अन्य आयोजनों में भी मैच फिक्सिंग का भूत प्रवेश कर चुका है, जिसके पुख्ता प्रमाण मिलने पर ही ठोस कार्रवाई की जा सकती है।
इधर, दिल्ली की फुटबॉल गतिविधियां बढ़ने के साथ-साथ क्लब अधिकारियों की परेशानियां भी बढ़ रही हैं। हालांकि कोई भी क्लब, कोच और खिलाड़ी दावे के साथ नहीं कहना चाहता लेकिन उन्हें लगता है कि स्थानीय लीग आयोजनों में फिक्सर और सट्टेबाज घुसपैठ कर चुके हैं और खिलाड़ियों को बरगला रहे हैं। कुछ क्लब अधिकारी अपना नाम न छापने की शर्त पर कह रहे हैं कि मैचों के रिजल्ट फिक्सर तय कर रहे हैं।
कुछ ऐसी टीमें रेडार में हैं, जिनके कोच और खिलाड़ी बाहरी प्रदेशों से हैं। खासकर, बंगाल और नॉर्थईस्ट के खिलाड़ियों से भरी टीमों पर उंगलियां उठ रही हैं। हालांकि यह जांच का विषय है लेकिन जब खुद एआईएफएफ मान चुकी है कि फिक्सिंग की महामारी फैल रही है तो दिन पर दिन मर रही भारतीय फुटबॉल को संभालना होगा।