जगुआर ने उत्तराखंड को नीचे धकेला, नोएडा सिटी की दमदार जीत

  • उत्तराखंड एफसी को इस मुकाबले हर हाल में जीत की जरूरत थी लेकिन उसे जगुआर एफसी के साथ 1-1 का ड्रा खेलना महंगा पड़ गया
  • उत्तराखंड और दिल्ली टाइगर्स रेलीगेट हो कर ‘ए’ डिवीजन में लुढ़क गए हैं
  • गढ़वाल डायमंड ने नामी क्लब सिटी एफसी पर 2-0 से जीत दर्ज की

संवाददाता

उत्तराखंड एफसी का डीएसए सीनियर डिवीजन लीग से रेलीगेशन हो गया है और वो अगले सीजन में ‘ए’ डिवीजन में खेलेगी। सोमवार को राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेले गए लीग के रेलीगेशन मुकाबले में उत्तराखंड एफसी को जगुआर एफसी के साथ ड्रा खेलना महंगा पड़ गया। दोनों टीमें निर्धारित समय तक 1-1 की बराबरी पर खेली। मैच के छठे मिनट में सोमनाथ सरदार के गोल से बढ़त बनाने वाली उत्तराखंड एफसी का जीत का सपना रेफरी की लम्बी सीटी बजने से ठीक पहले टूट गया। रेल-पेल के चलते रतीश सर्राफ ने गोल जमाकर उत्तराखंड एफसी को सीनियर से ‘ए’ डिवीजन में धकेल दिया। जगुआर एफसी के रतीश सर्राफ को प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।

   उधर, पूर्वी दिल्ली स्थित ईस्ट विनोद नगर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स खेले गए डीएसए सीनियर डिवीजन लीग के मुकाबले में गढ़वाल डायमंड ने नामी क्लब सिटी एफसी पर 2-0 से जीत दर्ज की। अल्तमश और हर्ष बड़थ्वाल ने गढ़वाल के गोल किए। किसी प्रकार की मिलीभगत की आशंका को देखते हुए दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) ने उत्तराखंड बनाम जगुआर और सिटी बनाम गढ़वाल डायमंड के मुकाबलों को एक साथ सुबह नौ बजे आयोजित करने का फैसला लिया था।

   उत्तराखंड के लिए आज का मैच जीवन और मरण जैसा था और उसने बढ़त लेकर सही दिशा में कदम बढ़ा दिया था लेकिन जगुआर एफसी को सिर्फ बराबरी का मैच खेलना था, जिसे जगुआर ने कर दिखाया। उत्तराखंड को हर हाल में जीत चाहिए थी किंतु बराबर खेलकर उसने दिल्ली टाइगर्स के साथ नीचे की लीग में गोता लगा दिया। जगुआर के खिलाड़ियों ने आखिरी मिनट तक हिम्मत नहीं हारने की तकनीक से खेलते हुए अपना बचाव कर लिया।

   रविवार शाम खेले गए ए डिवीजन लीग मैच में नोएडा सिटी एफसी ने वॉरियर्स एफसी को 2-0 से हराकर लगातार तीसरी जीत दर्ज की। विजेता टीम के लिए आर्यन भंडारी और मनीष ने गोल जोड़े। मनीष को प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया। नोएडा सिटी एफसी और वॉरियर्स के बीच खेला गया मैच रोमांचक रहा। लेकिन नोएडा सिटी के खिलाड़ियों की तेज गति और खेल पर नियंत्रण बनाने की कुशलता  के चलते वॉरियर्स को हथियार डालने पड़े।

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