क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
आज की क्रिकेट में भारत और ऑस्ट्रेलिया दो सबसे ताक़तवर टीमों में शुमार की जाती हैं। यह भी सच है कि श्रेष्ठता के संघर्ष के चलते दोनों टीमों में घमासान भी होता रहा है। बोर्ड और खिलाडियों के बीच अनेक अवसरों पर विवाद हुए। कभी अंपायरों पर उंगली उठाई तो कभी फब्तियाँ कसने के कारण संबंधों में दरार पड़ी। लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों देशों के खिलाड़ी मधुर संबंध बनाए हुए हैं और मौका पड़ने पर एक दूसरे की तारीफों के पुल बांधने का कोई भी मौका नहीं चूकते। जानते हैं ऐसा क्यों और कैसे हुआ?
आईपीएल ने संबंध सुधारे:
कोई माने या ना माने लेकिन यह सच है कि आईपीएल ने अवसरों के साथसाथ संबंधों में सुधार का काम भी किया है। भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी जब एक साथ एक आईपीएल टीम के लिए खेलते हैं तो उन्हें एक दूसरे को नजदीक से समझने का भरपूर मौक़ा मिलता है। यह आईपीएल का ही नतीजा है कि दुनियाभर के खिलाड़ी करीब आ रहे हैंऔर शायद क्रिकेट बोर्डों के संबंध सुधर रहे हैं।जाहिर है आई सी सी का बड़ा काम आई पीएल कर रहा है।
मंकीगेट कांड:
यह ना भूलें कि विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े विवादों में से एक भारत ऑस्ट्रेलिया के बीच घटा। बॉडी लाइन श्रृंखला के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 2008 में हरभजन और एंड्रयू साइमंड के बीच के पंगे को दूसरा सबसे बड़ा विवाद माना जाता है। सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट में कप्तान रिकी पोंटिंग ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी चुनी। कंगारुओं की ढहती पारी को बचाने साइमंड उतरे और सैकड़ा जड़ दिया। इस बीच भारतीय स्पिनर हरभजन से नोकझोंक शुरू हो चुकी थी।
जब हरभजन बल्लेबाजी करने उतरे तो उन्होंने साइमंड के बार बार उकसाने पर उन्हें मंकी कह दिया। बस यहीं से बड़े टकराव की शुरुआत हुई। श्रृंखला रद्द होने की नौबत आ गई। खैर, जैसे तैसे मामला सुलट गया लेकिन साइमंड और भज्जी की खटास सालों साल बरकरार रही। दोनों देशों के बीच भी संबंध बिगड़ते चले गए।
गावस्कर मैदान छोड़ने पर अड़े:
रिकी पोंटिंग ने भारत में विश्व कप जीतने के बाद जैसे तेवर दिखाए उनसे आम भारतीय क्रिकेट प्रेमी बेहद नाराज हुए लेकिन अब आईपीएल में कोच बनने के बाद से उनकी भारतीय खिलाड़ियों से खूब पट रही है। पीछे चलें तो अंपायरों के गलत फैसलों से तंग आकर सुनील गावस्कर ने एक बार मैदान छोड़ने का फैसला किया और सलामी साथी स्वर्गीय चेतन चौहान को भी साथ ले चले थे।
लेकिन तब तटस्थ अंपायरिंग के युग की शुरुआत नहीं हुई थी और पाकिस्तानी अंपायरों के बाद कंगारू अंपायर भी खासे बदनाम थे। गावस्कर, बेदी, कपिल, गांगुली और बाद के दौर में भी जब तब खिलाड़ी टकराते आये हैं।लेकिन आईपीएल ने बहुत सी समस्यों को निपटा दिया है।
खिलाड़ियों के बीच की सद्भावना के कई उदाहरण सामने हैं।
तीसरे एकदिवसीय मुकाबले में जब रविन्द्र जडेजा चोटिल हुए तो उनकी जगह युजवेंद्र चहल को मैदान में उतारा गया, जिसने मैच विजयी गेंदबाजी की। हालांकि टीम इंडिया पर धोखाधड़ी का आरोप लगा लेकिन कंगारुओं ने गुस्सा अपने पूर्व कप्तान और मैच रेफरी डेविड बून पर उतारा।
दोस्ताना आरोप:
ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ बल्लेबाज डेविड वार्नर तीसरे वनडे में चोट खाने के बाद कुछ मैचों के लिए बाहर हो गए लेकिन उन्होंने हैदराबाद के अपने टीम साथी प्रियम गर्ग को टेलेंटेड और बेहद फनी बताकर आईपीएल के कमाल और खेल भावना को दर्शाया। टी नटराजन के भी वह प्रशंसक हैं। इसी प्रकार विराट कोहली भी कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की तारीफ करते हैं तो जवाब में उन्हें अनेक ऑस्ट्रेलियाई अपना आदर्श मानते हैं। जब ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर एडम झांपा ने एकदिनी मुकाबले में बंगलोर के अपने कप्तान विराट कोहली का कैच टपकाया तो
उन पर मजाकिया अंदाज में कप्तान के प्रति वफादारी का आरोप लगा दिया गया।