डीएसए: तब और अब
राजेंद्र सजवान दिल्ली की फुटबॉल आज वैसी नहीं रही, जैसी दस-बीस साल पहले हुआ करती थी। बेशक, गतिविधियां बढ़ रही है, महिला खिलाड़ी भी बड़ी तादाद में मैदान पर उतर आई हैं। क्लबों की संख्या दोगुनी-चौगुनी हो गई है। डीएसए का स्टाफ बढ़ा है तो पैसा भी बढ़ रहा है लेकिन तमाम सुधारों के बावजूद …