क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान
लाखों करोड़ों माँ बाप की तरह यदि आप भी अपने बेटे-बेटी को क्रिकेटर बनाना चाह रहे हैं तो खबरदार हो जाइए, क्योंकि इस दौड़ में ख़तरे बड़े हैं| ठीक उसी तरह जैसे कि आई ए एस, आई पी एस, डाक्टर या इंजीनियर बनाने का सपना देखने वाले हर युवा को कामयाबी नहीं मिल पाती| लेकिन अन्य क्षेत्रों में खुला आसमान है और योग्य युवक युवतियाँ कोई ना कोई राह चुन सकते हैं| लेकिन क्रिकेट खिलाड़ी बनने का ख्वाब देखने वाले को तब घोर निराशा होती है जब वह हज़ारों लाखों खिलाड़ियों की भीड़ में खो जाता है और फिर एक वक्त ऐसा भी आता है जब उसे कोई और राह नहीं सूझती|
क्रिकेट पहली पसंद क्यों?:
इसमें दो राय नहीं कि क्रिकेट आज हर बच्चे और युवा का पहला खेल बन गया है| इसका बड़ा कारण यह है कि जाने अंजाने ही सही माता पिता बच्चे को गेंद बल्ला थमा देते हैं और समय के साथ साथ उसमें कल का चैम्पियन क्रिकेटर देखने लगते हैं| स्कूली दिनों में वह क्रिकेट को इस कदर समर्पित हो जाता है कि अन्य किसी खेल की तरफ उसका ध्यान ही नहीं जाता| जैसे जैसे उम्र बढ़ती है और कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते वह खुद को बीच भंवर में पाता है तो उसके सारे सपने चकना चूर हो जाते हैं|
हर कोई सचिन, विराट नहीं बन सकता:
क्रिकेट में पैसा है, मान सम्मान की कमी नहीं| खिलाड़ी मैदान में रहते और उसके बाद भी लाखों करोड़ों कमा रहे हैं लेकिन हर कोई सचिन, विराट या धोनी नहीं बन सकता| सच माने तो गावसकर, कपिल, सचिन, धोनी और विराट जैसे खिलाड़ी ऊपर से बन कर आते हैं या उनकी मेहनत, लगन और माँ बाप का त्याग उन्हें उँचाई प्रदान करता है| लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि खिलाड़ी संघर्ष करना छोड़ दें या उनके पालनहार अच्छे सपने देखना ही छोड़ दें| लेकिन जो लोग अपने बच्चे की क्षमता और योग्यता को देखे परखे बिना ही बड़े बड़े ख्वाब सज़ा लेते हैं उन्हें निराशा का सामना भी करना पड़ सकता है, क्योंकि हर बच्चे में स्टार बनने की क़ाबलियत नहीं हो सकती।|
आईपीएल के करोड़ों से मची भागम भाग:
भले ही क्रिकेट के प्रति रुझान वर्षों पुराना है पर आईपीएल के लाखों करोड़ों हर किसी के दिल दिमाग़ में घर कर चुके हैं| जब एक अदना सा क्रिकेटर पाँच सात करोड़ पा रहा है तो कोई भला दूसरा खेल क्यों चुनेगा! लेकिन यह ना भूलें कि करोड़ों में से चार पाँच सौ खिलाड़ी आईपीएल का सुखभोग कर पाते हैं, जबकि दस-बीस ही देश के लिए खेल पाते हैं| यह समीकरण देश के युवाओं को ना सिर्फ़ भटका रहा है अपितु अन्य खेलों के रास्ते भी बंद कर रहा है|
चूंकि प्रतिस्पर्धा कड़ी है:
क्लीन बोल्ड का आशय आपका मनोबल तोड़ना नहीं है और ना ही उसे क्रिकेट से परहेज है| सिर्फ़ यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि भावी पीढ़ी को सही राह चुनने में मदद करें उसे ऐसी गर्त में ना धकेलें जहाँ से निकल पाना मुश्किल हो और एक अच्छी ख़ासी प्रतिभा ग़लत चयन का शिकार हो जाए| सभी जानते हैं कि क्रिकेट में घमासान मचा है| हर गली कूचे, गाँव शहर, स्कूल, कालेज, पार्क और खलिहान से लेकर खेतों में सिर्फ़ और सिर्फ़ क्रिकेट खेली जा रही है| दिल्ली एनसीआर के खेत क्रिकेट फील्ड में तब्दील हो चुके हैं| माँग और पूर्ति का सिद्दान्त यहाँ गड़बड़ा गया है| जो युवा चैम्पियन एथलीट या तैराक बन सकता था, फुटबाल या हॉकी में नाम कमा सकता था, क्रिकेट की मृग मरीचिका में भागता फिर रहा है और अपना भविष्य भी खराब कर रहा है|
बाकी खेल क्यों चिढ़ते हैं?
हालाँकि अन्य खेलों का क्रिकेट कुछ नहीं बिगाड़ रहा लेकिन उन्हें लगता है कि क्रिकेट ने उनकी ज़मीन और खेल मैदानों पर कब्जा जमा लिया है| असल बात कोई भी नहीं समझ रहा| अत्यधिक क्रिकेट का बड़ा नुकसान खुद क्रिकेट को भी उठाना पड़ रहा है| उसे लाखों में से कुछ एक खिलाड़ियों के चयन में परेशानी का सामना करना पड़ता है| दूसरी तरफ क्रिकेट सीखने वाली भीड़ में कुछ ऐसी प्रतिभाएँ भी पिस जाती हैं जोकि अन्य क्षेत्रों या खेलों में कमाल कर सकती थीं| लेकिन ना वे अच्छे क्रिकेटर बन पाते हैं और ना ही किसी और खेल के काबिल रह जाते हैं|
अपराध जगत के सहारे:
एक सर्वे से पता चला है कि जो खिलाड़ी अच्छा और कमाऊ क्रिकेटर नहीं बन जाता और जब उसके लिए हर रास्ता बंद हो जाता है तो वह क्रिकेट के अपराध तंत्र का शिकार भी हो जाता है| भले ही वह क्रिकेट के आस पास रहता है पर सट्टेबाज़ों और अन्य प्रकार के अपराधियों के चंगुल में फँसना उसकी मजबूरी बन जाती है| क्रिकेट के गुनाह में ज़्यादातर वही लोग शामिल पाए गए हैं जोकि कभी ना कभी हल्के फुल्के क्रिकेटर रहे और सब कुछ दाँव पर लगाने के बाद भी नाकामी उनके हाथ लगी| अतः बेहतर होगा क्रिकेट के अग्निकुण्ड में कूदने से पहले खुद को देख परख लें| क्रिकेट पर बोझ कदापि ना बनें| सिर्फ़ वही क्रिकेट को अपनाएँ, जिनमे क़ाबलियत और हौंसला हो और वापसी के सभी रास्ते भी खुले हों|
बेहतरीन लेख, बधाई
सर
आपके लेख रोचक होते है व समय समय पर उभरते खिलाड़ियो को जागरूक भी करते है।
लेखों का चुनाव और प्रस्तुति में हर पक्ष को बेहतरीन तरीके से लिखा है।
आप बधाई के पात्र है।