क्लीन बोल्ड

सिर्फ क्रिकेट, बाकी फेल है

राजेंद्र सजवान पिछले दिनों राजधानी के फिरोजशाह कोटला मैदान पर दिल्ली प्रीमियर लीग का आयोजन किया गया, जिसमें कई नामी क्रिकेटरों ने भी भाग लिया। अडानी और जिंदल स्टील जैसी बड़ी कंपनियों ने डीपीएल को प्रमोट किया और करोड़ों रुपये के नकद पुरस्कार दिए गए। बगल में सटे हुए डॉ. भीम राव अंबेडकर स्टेडियम में …

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(क)पूत के पांव पालने में नजर आए थे!

राजेंद्र सजवान सालों पहले दिल्ली और मुम्बई के बीच फिरोजशाह कोटला मैदान रणजी ट्रॉफी का मैच खेल जा रहा था। मीडिया बॉक्स में मुम्बई के दो उभरते सितारे बैठे थे। उनमें से एक कुर्सी पर बैठ कर सामने वाली टेबल पर पैर पसारे था तो दूसरा सादगी के साथ उसकी हां में हां मिला रहा …

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डीएसए: तब और अब

राजेंद्र सजवान दिल्ली की फुटबॉल आज वैसी नहीं रही, जैसी दस-बीस साल पहले हुआ करती थी। बेशक, गतिविधियां बढ़ रही है, महिला खिलाड़ी भी बड़ी तादाद में मैदान पर उतर आई हैं। क्लबों की संख्या दोगुनी-चौगुनी हो गई है। डीएसए का स्टाफ बढ़ा है तो पैसा भी बढ़ रहा है लेकिन तमाम सुधारों के बावजूद …

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क्रिकेट का तूफान, उड़ गए बाकी खेल!

राजेंद्र सजवान पिछले कुछ सालों में क्रिकेट और अन्य भारतीय खेलों  के बीच का मनमुटाव कुछ हल्का पड़ गया है। यूं भी कह सकते हैं कि अन्य खेलों ने क्रिकेट के सामने हथियार डाल दिए हैं। इसलिए क्योंकि क्रिकेट से लड़ना-भिड़ना उनके बूत की बात नहीं रही। सच्चाई यह है कि जो खेल 10-20 साल …

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सौ साल में नहीं किया, दस साल में करेंगे

राजेंद्र सजवान दो दशक से ज्यादा समय बीत गया। भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष प्रियरंजन दासमुंशी ने 2006 तक वर्ल्ड कप खेलने का दावा किया था। तत्पश्चात यह टारगेट आगे बढ़ता चला गया और आज भारत के खेल मंत्री मनसुख मांडविया कह रहे है कि एआईएफएफ को अगले दस 50वीं रैंकिंग का लक्ष्य निर्धारित …

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फुटबॉल कल्याण चौबे के बूते की बात नहीं!

राजेंद्र सजवान ‘मर्ज बढ़ता गया, ज्यूं-ज्यू दवा की’, भारतीय फुटबॉल पर यह कहावत एकदम फिट बैठती है। खासकर, पिछले पचास सालों से फुटबॉल उन निकम्मे खेलों में सबसे आगे की कतार पर है, जिन्होंने नहीं सुधरने की कसम खाई है। वरना क्या कारण है कि सरकार और प्रयोजकों की पर्याप्त मदद के बावजूद फुटबॉल नीचे …

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भारतीय फुटबॉल का शर्मनाक रिकॉर्ड!

राजेंद्र सजवान भारतीय फुटबॉल टीम ने मलेशिया से ड्रा खेलकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। मलेशिया के साथ दोस्ताना मुकाबले में 1-1 की बराबरी काबिले तारीफ तो नहीं है लेकिन 125वें रैंक की भारतीय टीम का अपने मैदान और दर्शकों के सामने 133वें पायदान पर खड़ी मलेशिया से हारते-हारते बचना इसलिए उपलब्धि …

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खेलों के साथ मीडिया का मजाक

राजेंद्र सजवान पिछले कुछ सालों से दिन-रात यह राग अलापा जा रहा है कि भारतीय खेलों की तरक्की-प्रगति की रफ्तार तेज हुई है। खासकर ओलम्पिक में क्रमश: छह और सात पदक जीतने के बाद देश की सरकार और खेल महासंघों के मुखिया ताल ठोक कर कहते मिलेंगे कि भारत खेलों की महाशक्ति बनने जा रहा …

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…हम तो गली के शेर भी नहीं रहे!

राजेंद्र सजवान लगभग चार दशक पहले तक भारतीय हॉकी का मान-सम्मान काफी ऊंचाई पर था। तब जर्मनी, हॉलैंड और ऑस्ट्रेलिया के अलावा पाकिस्तान हमारे प्रबल प्रतिद्वंद्वी माने जाते थे। बाकी टीमों को कुछ खास भाव नहीं दिया जाता था। महिला हॉकी ने भले ही देर में रफ्तार पकड़ी लेकिन चंद एशियाई देशों को छोड़ भारतीय …

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ओलम्पिक 2036: कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले जैसा न हो!

राजेंद्र सजवान नई दिल्ली में आयोजन 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय प्रदर्शन न सिर्फ उम्मीद से बेहतर बल्कि भाग लेने वाले तमाम सदस्य देशों ने इन खेलों के आयोजन को शानदार और जानदार करार दिया। लेकिन कुछ माह बाद जब घोटाले दर घोटाले सामने आए तो सबसे बड़ी गाज आयोजन समिति और भारतीय ओलम्पिक …

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