क्लीन बोल्ड

‘बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द इयर’: असली हकदार विनेश!

राजेंद्र सजवान हर साल की तरह एक बार फिर से ‘बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द इयर’ के नॉमिनी घोषित कर दिए गए हैं। पांचवें संस्करण के लिए जिन पांच महिला खिलाड़ियों को नामित किया गया है उनमें गोल्फर अदिति अशोक, शूटर मनु भाकर, पैरा-निशानेबाज अवनि लेखरा, क्रिकेटर स्मृति मंधाना और पहलवान विनेश फोगाट हैं। …

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खो-खो की ऊंची छलांग का राज!

राजेंद्र सजवान हालांकि खो-खो फेडरेशन को खेल मंत्रालय और भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) से मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन देश में आयोजित हो रहे ‘खो-खो वर्ल्ड कप’ की धूम देश भर में मची है। सच तो यह है कि दो साल पहले तक इस विशुद्ध भारतीय खेल की बड़ी हैसियत नहीं थी। हां, इतना जरूर …

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“मुझे सर ना कहें सर जी”, मणिपुर के सीएम बीरेन ने सुखपाल बिष्ट से क्यों कहा?

राजेंद्र सजवान कुछ महीने पहले देश का फुटबॉल राज्य मणिपुर धीरे-धीरे सुलग रहा था। फिर यकायक जलने लगा और मार-काट के चलते सैकड़ों जाने गईं। लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे। हालांकि अभी भी हालात पूरी तरह नियंत्रण में नहीं हैं लेकिन कुकी और मैतेई समुदायों की परस्पर दुश्मनी और जानलेवा हमलों पर फिलहाल …

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जीत से मजाक बनी भारतीय फुटबॉल

राजेंद्र सजवान मालदीव पर भारतीय महिला फुटबॉल टीम की 14-0 की जीत का फुटबॉल हलकों में जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। बेंगलुरू में खेले गए एक दोस्ताना मुकाबले में मेजबान महिलाओं ने बेहद कमजोर प्रतिद्वंद्वी को भगा-भगा कर छकाया और मनमर्जी के गोल जमाए। इस जीत पर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) फुलकर कुप्पा …

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ओलम्पिक वर्ष में गर्व करने लायक कुछ भी नहीं

राजेंद्र सजवान साल 2024 भारतीय खेलों के नजरिये से कैसा रहा इस बारे में देश का सरकारी तंत्र, खेल मंत्रालय, आईओए और खेल फेडरेशन चाहे कुछ भी दावे करें और बढ़ा-चढ़ाकर अपने खिलाड़ियों की उपलब्धियों को पेश करें लेकिन सच्चाई गर्व करने लायक कदापि नहीं है। भले ही हमने पेरिस ओलम्पिक में छह पदक जीते …

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संतोष ट्रॉफी: अब भारतीय फुटबॉल का गौरव नहीं रही!

राजेंद्र सजवान संतोष ट्रॉफी का 78वां संस्करण समापन की तरफ अग्रसर है। विजेता कोई भी बने, इतना तय है कि भारतीय फुटबॉल को इस आयोजन के बाद कोई बड़ा फायदा होने वाला नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि संतोष ट्रॉफी में आईएसएल और आई-लीग के बचे और छंटे हुए खिलाड़ी भाग लेते हैं। लेकिन एक जमाना …

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सिर्फ क्रिकेट, बाकी फेल है

राजेंद्र सजवान पिछले दिनों राजधानी के फिरोजशाह कोटला मैदान पर दिल्ली प्रीमियर लीग का आयोजन किया गया, जिसमें कई नामी क्रिकेटरों ने भी भाग लिया। अडानी और जिंदल स्टील जैसी बड़ी कंपनियों ने डीपीएल को प्रमोट किया और करोड़ों रुपये के नकद पुरस्कार दिए गए। बगल में सटे हुए डॉ. भीम राव अंबेडकर स्टेडियम में …

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(क)पूत के पांव पालने में नजर आए थे!

राजेंद्र सजवान सालों पहले दिल्ली और मुम्बई के बीच फिरोजशाह कोटला मैदान रणजी ट्रॉफी का मैच खेल जा रहा था। मीडिया बॉक्स में मुम्बई के दो उभरते सितारे बैठे थे। उनमें से एक कुर्सी पर बैठ कर सामने वाली टेबल पर पैर पसारे था तो दूसरा सादगी के साथ उसकी हां में हां मिला रहा …

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डीएसए: तब और अब

राजेंद्र सजवान दिल्ली की फुटबॉल आज वैसी नहीं रही, जैसी दस-बीस साल पहले हुआ करती थी। बेशक, गतिविधियां बढ़ रही है, महिला खिलाड़ी भी बड़ी तादाद में मैदान पर उतर आई हैं। क्लबों की संख्या दोगुनी-चौगुनी हो गई है। डीएसए का स्टाफ बढ़ा है तो पैसा भी बढ़ रहा है लेकिन तमाम सुधारों के बावजूद …

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क्रिकेट का तूफान, उड़ गए बाकी खेल!

राजेंद्र सजवान पिछले कुछ सालों में क्रिकेट और अन्य भारतीय खेलों  के बीच का मनमुटाव कुछ हल्का पड़ गया है। यूं भी कह सकते हैं कि अन्य खेलों ने क्रिकेट के सामने हथियार डाल दिए हैं। इसलिए क्योंकि क्रिकेट से लड़ना-भिड़ना उनके बूत की बात नहीं रही। सच्चाई यह है कि जो खेल 10-20 साल …

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