क्लीन बोल्ड

…हम तो गली के शेर भी नहीं रहे!

राजेंद्र सजवान लगभग चार दशक पहले तक भारतीय हॉकी का मान-सम्मान काफी ऊंचाई पर था। तब जर्मनी, हॉलैंड और ऑस्ट्रेलिया के अलावा पाकिस्तान हमारे प्रबल प्रतिद्वंद्वी माने जाते थे। बाकी टीमों को कुछ खास भाव नहीं दिया जाता था। महिला हॉकी ने भले ही देर में रफ्तार पकड़ी लेकिन चंद एशियाई देशों को छोड़ भारतीय …

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ओलम्पिक 2036: कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले जैसा न हो!

राजेंद्र सजवान नई दिल्ली में आयोजन 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय प्रदर्शन न सिर्फ उम्मीद से बेहतर बल्कि भाग लेने वाले तमाम सदस्य देशों ने इन खेलों के आयोजन को शानदार और जानदार करार दिया। लेकिन कुछ माह बाद जब घोटाले दर घोटाले सामने आए तो सबसे बड़ी गाज आयोजन समिति और भारतीय ओलम्पिक …

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खेल कोटे से सरकारी नौकरी के लिए लेन-देन का नंगा खेल

राजेंद्र सजवान देर से ही सही देश की राज्य और राष्ट्रीय सरकारों को खेलों का महत्व समझ आ गया है। यही कारण है कि कई सालों तक खिलाड़ियों की भर्ती के साथ चल रहा मजाक कुछ कम हुआ है और अब फिर से खिलाड़ियों को सरकारी और गैर-सरकारी विभागों में रोजगार दिया जाने लगा है। …

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ओलम्पिक मेजबानी: कितने तैयार हैं हम?

राजेंद्र सजवान भारत 2036 के ओलम्पिक खेलों की मेजबानी का दावा करने जा रहा है, ऐसी चर्चा सरकार और मीडिया में जोर-शोर से चल रही है। ‘चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार की दिली इच्छा है इसलिए ओलम्पिक मेजबानी का दावा पेश किया जाना चाहिए या हम ओलम्पिक की मेजबानी के लिए जरूरी योग्यता, लोकप्रियता, …

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खेल मंत्री उषा, अच्छा मजाक है!

राजेंद्र सजवान सोशल मीडिया के कुछ जोकरों द्वारा यह हवा उड़ाई जा रही है कि आईओए अध्यक्ष पीटी उषा जल्दी ही खेल मंत्रालय का कार्यभार संभाल सकती हैं। बेशक, यह अफवाह हैरान करने वाली है, क्योंकि उषा जिस पद पर है उसकी गरिमा की रक्षा नहीं कर पा रही हैं। तो फिर कैसे मान लें …

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हॉकी: घास से,  घास- मिट्टी पर!

राजेंद्र सजवान भले ही भारतीय हॉकी ने फिर से जीतना सीख लिया है और लगातार दो ओलम्पिक कांस्य पदक जीतकर हमारे खिलाड़ियों ने  देश में हॉकी की वापसी का संदेश दिया  है लेकिन धरातल पर जो कुछ चल रहा है उसे देखकर दुख होता है और डर भी लगता है। इसमें कोई दो राय नहीं …

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कॉमनवेल्थ गेम्स: गुलामों के खेल, फिर काहे का रोना-पीटना

राजेंद्र सजवान खबर है कि भारतीय खेलों पर वर्षों से राज करने वाले और बार-बार पाला बदलने वाले कुछ अवसरवादी भारत सरकार और आईओए को कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के विरुद्ध उठ खड़े होने के लिए उकसा रहे हैं। इसलिए क्योंकि 2026 के कॉमनवेल्थ खेल आयोजक ग्लास्गो ने भारत के लिए पदक की संभावना वाले खेलों …

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डीपीएल संकट में; मैदान नहीं, कहां खेले फुटबॉल?

राजेंद्र सजवान दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसा इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि राजधानी की फुटबॉल में गुटबाजी हावी है। संभवतया दो-तीन धड़े अपना-अपना वर्चस्व कायम करने के लिए एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। लेकिन यह सब सिर्फ डीएसए में नहीं चला रहा। इस प्रकार …

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बलबीर सिंह सीनियर थे भारत रत्न के असली हकदार!

राजेंद्र सजवान इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के महानतम खिलाड़ी थे लेकिन कभी कभार यह भी सुनाई पड़ता है कि उनके छोटे भाई रूप सिंह भी कमतर नहीं थे। लेकिन आजादी के बाद के सालों में भी यदि कोई महानतम खिलाड़ी रहा है तो निसंदेह बलबीर सिंह सीनियर थे। लेकिन …

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डीपीएल: दो कदम आगे, चार कदम पीछे

राजेंद्र सजवान    भारत की राजधानी में स्थित डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम की अनुपलब्धता के चलते दिल्ली प्रीमियर लीग का तीसरा संस्करण एक बार फिर से उपहास का पात्र बन गया है। लीग शुरू हुए 19 दिन बीत गए हैं लेकिन दो मैच प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 22 मैच खेले जा सके हैं। फिलहाल, …

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