क्लीन बोल्ड

कॉमनवेल्थ गेम्स: गुलामों के खेल, फिर काहे का रोना-पीटना

राजेंद्र सजवान खबर है कि भारतीय खेलों पर वर्षों से राज करने वाले और बार-बार पाला बदलने वाले कुछ अवसरवादी भारत सरकार और आईओए को कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन के विरुद्ध उठ खड़े होने के लिए उकसा रहे हैं। इसलिए क्योंकि 2026 के कॉमनवेल्थ खेल आयोजक ग्लास्गो ने भारत के लिए पदक की संभावना वाले खेलों …

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डीपीएल संकट में; मैदान नहीं, कहां खेले फुटबॉल?

राजेंद्र सजवान दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसा इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि राजधानी की फुटबॉल में गुटबाजी हावी है। संभवतया दो-तीन धड़े अपना-अपना वर्चस्व कायम करने के लिए एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। लेकिन यह सब सिर्फ डीएसए में नहीं चला रहा। इस प्रकार …

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बलबीर सिंह सीनियर थे भारत रत्न के असली हकदार!

राजेंद्र सजवान इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के महानतम खिलाड़ी थे लेकिन कभी कभार यह भी सुनाई पड़ता है कि उनके छोटे भाई रूप सिंह भी कमतर नहीं थे। लेकिन आजादी के बाद के सालों में भी यदि कोई महानतम खिलाड़ी रहा है तो निसंदेह बलबीर सिंह सीनियर थे। लेकिन …

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डीपीएल: दो कदम आगे, चार कदम पीछे

राजेंद्र सजवान    भारत की राजधानी में स्थित डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम की अनुपलब्धता के चलते दिल्ली प्रीमियर लीग का तीसरा संस्करण एक बार फिर से उपहास का पात्र बन गया है। लीग शुरू हुए 19 दिन बीत गए हैं लेकिन दो मैच प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 22 मैच खेले जा सके हैं। फिलहाल, …

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बदहाल टेनिस, लिएंडर पेस का भरोसा कायम!

राजेंद्र सजवान भारतीय टेनिस के सर्वकालिक श्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल लिएंडर पेस का नाम इसलिए सबसे चमकदार नजर आता है, क्योंकि उनके खाते में एक ओलम्पिक पदक है। साथ ही चारों ग्रैंड स्लैम के डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में उनकी उपलब्धियों को कोई छू तक नहीं पाया है। अटलांटा ओलम्पिक 1996 में उनके कांस्य पदक …

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डीपीएल: हवा फुस्स, लंगड़ा कर चलने को मजबूर

राजेंद्र सजवान दिल्ली प्रीमियर लीग का तीसरा संस्करण चलते-चलते यकायक लड़खड़ा गया है। तीन अक्टूबर को दिल्ली एफसी और रॉयल रेंजर्स के बीच खेले गए अब तक के सबसे रोमांचक मुकाबले के बाद से डीपीएल को इसलिए रुकना पड़ा क्योंकि चार से आठ अक्टूबर तक दिल्ली स्थित डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) …

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कमेंटरी को ऐसे ना रुलाओ प्रभु

राजेंद्र सजवान मूल विषय पर जाने से पहले आपको कुछ झलकियों से रूबरू कराते हैं, “भारत को आठवां पेनल्टी कॉर्नर मिला है… सरपंच जी अब तो गोल करना ही पड़ेगा… भारत की लाज आपके मजबूत हाथों में है…करिश्मा कर दो मेरे प्रभु…! और भारतीय हॉकी टीम ने विजयी गोल दाग दिया…” ये कमेंटेटर महाशय रो …

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ऐसे तो ओलम्पिक मेजबानी नहीं मिलने वाली!

राजेंद्र सजवान पेरिस ओलम्पिक गेम्स में छह पदक जीतने वाला दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 2036 में ओलम्पिक खेलों के आयोजन का दम भर रहा है। किसी भी देश को ओलम्पिक आयोजन पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के सदस्य देशों का समर्थन पाना होता है। इस कसौटी पर भारत का दावा कहां तक …

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यही खेलों का सच है!

राजेंद्र सजवान आदरणीय विजय गोयल जी ने जब देश के खेलमंत्री का पदभार संभाला तो उन्होंने सबसे पहले देश की प्रमुख खेल हस्तियों, चैम्पियन खिलाड़ियों और खेल पत्रकारों से संवाद करने की इच्छा जाहिर की और शास्त्री भवन में अपने कार्यालय में बकायदा उनके साथ समय बिताया और देश के खेलों पर लंबी चर्चा भी …

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आईओए: हर शाख पे उल्लू बैठा है!

राजेंद्र सजवान भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के ताजा विवाद ने एक बात साफ कर दी है कि भारतीय खेलों की हार शाख पर उल्लू बैठे हैं। देश की शीर्ष खेल संस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है। रोज कोई न कोई विवाद मुंह बाए खड़ा होता है। लेकिन हाल फिलहाल जो चल रहा है …

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