डीएसए घमासान: फुटबॉल बचेगी या गुटबाजी की भेंट चढ़ेगी?
राजेंद्र सजवान दिल्ली की फुटबॉल वर्षों बाद एक बार फिर दो राहे पर आ खड़ी हुई है। यूं भी कहा जा सकता है कि ऐसे चौराहे पर आ खड़ी है, जहां से सभी रास्ते गर्त में जाते हैं। सत्तर-अस्सी के दशक में राजधानी की फुटबॉल को संचालित करने वाले डीएसए को कुछ इसी प्रकार की …
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