भारत रत्न के लिए क्रिकेटर आमने-सामने!
राजेंद्र सजवान बात बीसवीं सदी के सातवें-आठवें दशक की है। तब, जबकि ज्यादातर भारतीय खेल करवट बदलने की कोशिश कर रहे थे और भारतीय हॉकी आठ ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतकर इतरा रही थी। लंबी खामोशी के बाद किसी ने हॉकी जादूगर दद्दा ध्यानचंद जी को मरणोपरांत भारत रत्न देने की आवाज उठाई। धीरे-धीरे उस आवाज …