फिर लौटेंगे नेहरू हॉकी के पुराने दिन!
राजेंद्र सजवान आज के दौर में कोई भी खेल सिर्फ ताकत, दमखम, अभ्यास और खेल भावना से आगे नहीं बढ़ सकता। खेल की प्रगति के लिए यह जरूरी है कि समय रहते उस खेल को पर्याप्त खुराक दी जाती रहे, जिसे आज के व्यावसायिक युग में प्रायोजक कहा जाता है। इसमें दो राय नहीं कि …