क्लीन बोल्ड/ राजेन्द्र सजवान
खेल मंत्री किरण रिजिजू जहां एक ओर ओलम्पिक खेलों में नाकामी के कारण दुखी हैं तो साथ ही उन्हें इस बात का भी मलाल है कि देश में पारंपरिक खेल बेहद उपेक्षित हैं जिन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है।
मानव रचना यूनिवर्सिटी में आयोजित खोखो फेडरेशन के शिविर की शुरुआत के चलते उन्होंने कहा कि उनकी सरकार तमाम खेलों को बढ़ावा दे रही है। खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसे कार्यक्रमों को उन्होंने खेलोथान की तरफ मजबूत कदम बताया।
उस वक्त जबकि भारतीय क्रिकेट टीम ब्रिस्बेन टेस्ट मैच में एक एक रन जुटा रही थी और कंगारू गेंदबाजों से जमकर लोहा ले रही थी, फरीदाबाद स्थित मानव रचना यूनिवर्सिटी में खोखो अपना भविष्य तलाश रही थी। देश के खेल मंत्री किरण रिजिजू, खो खो फेडरेशन के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल, आईओए महासचिव राजीव मेहता, दो ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार, क्रिकेटर मोहम्मद शमी सुरेश रैना खो खो के लिए संभावनाएं खोज रहे थे।
खेल मंत्री ने मौके पर मौजूद क्रिकेट खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका खेल इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि लाखों पसंद करते हैं,खेलते हैं और लाखों करोड़ों कमाते हैं। दूसरी तरफ़ बाकी खेल सरकार की ग्रांट खा रहे हैं, जबकि क्रिकेट ने कभी सरकार का मुंह नहीं ताका। खेल मंत्री ने खोखो की शान में बहुत कुछ कहा लेकिन जैसे ही भारतीय क्रिकेट टीम की जीत की खबर आई, कुछ समय के लिए खो खो जैसे कहीं खो गया। खोखो प्रमोशन को बीच में रोक कर बाकायदा घोषणा की गई कि भारत ने ऑस्टेलिया से टेस्ट सीरीज जीत ली है।
खो खो लीग की तैयारी और खिलाड़ियों को अत्याधुनिक और साइंटिफिक ट्रेनिंग केलिए आयोजित कार्यक्रम में फेडरेशन अध्यक्ष मित्तल ने बताया कि उनके खेल को बढ़ावा देने के लिए डाबर ग्रुप के चेयरमैन अमित बर्मन आगे आए हैं। डाबर ने 5 साल में 200 करोड़ की स्पांसरशिप का करार किया है। उनके अनुसार 138 खिलाड़ियों का प्रशिक्षण शिविर 18 जनवरी से शुरू हो कर 16 फरवरी तक चलेगा।
सुधांशु मित्तल ने दावा किया की एक साल में उनका लक्ष्य खोखो को दुनिया के 70 देशों तक पहुंचाने का है ताकि उनका खेल ओलम्पिक तक का सफर तय कर सके। फिलहाल यह खेल 34 देधों में खेला जा रहा है।
इस अवसर पर उन्होंने फेडरेशन के चेयरमैन और आईओए महासचिक राजीव मेहता के प्रयासों को सराहा और कहा कि उनकी मेहनत से अब खिलाड़ियों को नौकरी मिल रही है और उन्हें सम्मान भी दिया जा रहा है। पर्दे के पीछे काम करने वाले एमएस त्यागी की भी उन्होंने प्रशंसा की।
खेलमंत्री की शान में उन्होंने कहा कि किरण रिजिजू देश के सबसे सफल खेल मंत्री हैं और प्रधान मंत्री मोदी के मार्गदर्शन में भारत के खेलों को सही दिशा में ले जा रहे हैं।
खेल मंत्री को इस बात का अफसोस है कि भारतीय अपने पारंपरिक खेलों को भूल रहे हैं। जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि उसका राष्ट्रीय खेल सूमो है जोकि पूरी दुनिया में पसन्द किया जता है। लेकिन हम देशी खेलों को ज्यादा महत्व नहीं देते। यदि खोखो को अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी अपनाएं तो उनकी तैयारी में मदद मिल सकती है।
किरण रिजिजू ने माना कि फिलहाल भारत में खेलों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है लेकिन भारत 2028 में ओलयम्पिक पदक तालिका में पहले दस देशों में होगा , जिसके लिए सरकार प्रयासरत है और खिलाड़ियों को हर प्रकार की सुविधा दे रही है।