फुटबाल संवाददाता
इसमें दो राय नहीं कि कोविड 19 खेलों का सबसे बड़ा दुश्मन साबित हुआ है। भले ही बाज़ार खुल गए हैं, सड़कों और गली मोहल्लों में हुड़दंग मचा है, सिनेमाघर और जिम भी शर्तों के साथ चल निकले हैं लेकिन खेल मैदानों पर अब भी सन्नाटा छाया है। भले ही आईपीएल का 13वाँ संस्करण धूम धड़ाके के साथ समाप्त हो गया लेकिन दर्शकों को क्रिकेट ने भी दूरी पर रखा। ऐसे में जबकि देश और प्रदेशों की सरकारें खेल गतिविधियों को शुरू करने से कतरा रही हैं, दिल्ली साकर एसोसिएशन ने अपनी वार्षिक फुटबाल लीग का कलेंडर ज़ारी कर स्थानीय क्लबों को हैरान कर दिया है।
आठ नवंबर को डीएसए कार्यकारिणी समिति की बैठक में फ़ैसला लिया गया कि बी और सी डिवीजन की लीग का आयोजन 5 जनवरी से; ए डिवीजन 15 फ़रवरी से और सीनियर डिवीजन के मुक़ाबले एक अप्रैल 2021 से आयोजित किए जाएँगे। एक अन्य फ़ैसला यह लिया गया है कि दिल्ली की फुटबाल को संचालित करने वाली शीर्ष संस्था अपने सभी क्लबों को COVID SOLIDERITY SUPPORT के रूप में 12,900 रुपए की आर्थिक सहायता देगी।
स्थानीय लीग कार्यक्र्म की घोषणा के बाद से दिल्ली के क्लब हरकत में आ गए हैं। कोरोना के चलते पिछले कई महीनों से फुटबाल गतिविधियाँ बंद पड़ी थीं। डीएसए अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण के पत्र ने सबको नींद से जगा दिया है। अधिकांश का मानना है कि फुटबाल गतिविधियाँ शुरू करने का सही समय नहीं आया है। एक तरफ तो दिल्ली में कोरोना के मामलों में बड़ा उछाल आ रहा है तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों को तैयार रहने के निर्देश देना सीधे सीधे साजिश नज़र आती है।
इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली की फुटबाल में गुटबाजी का खेल वर्षों से खेला जा रहा है। यह भी सही है कि कुछ लोग बेहतर फ़ैसले पर भी टीका टिप्पणी का मौका खोजने के लिए बने हैं। उनको मौका मिल गया है। बी और ए डिवीजन के अधिकांश क्लबों में स्कूल और कालेजों के छात्र खिलाड़ी भाग लेते हैं और उनका खेलना तब ही संभव हो पाएगा जब उनके माता पिता, स्कूल और कालेज की मंज़ूरी मिल पाएगी।
इस बारे में जब अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण से पूछा गया तो उन्होने स्पष्ट किया कि डीएसए के लीग मुकाबलों की तिथियाँ पत्थर की लकीर नहीं हैं, बल्कि सभी क्लबों को तैयार रहने के लिए कहा है, ताकि जैसे ही हालात सुधरें और कोरोना नियंत्रण में आए, सुरक्षा के तमाम इंतज़ामों और सरकारी दिशा निर्देशों का ध्यान रखते हुए बिना समय गँवाए लीग मुक़ाबले शुरू किए जा सकें।
शाजी ने उन आलोचकों के प्रति सहानुभूति जतलाई जोकि सिर्फ़ कमियाँ निकालने के लिए बने हैं। उन्होने माना कि कोरोना काल में क्लबों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उनकी ट्रेनिंग प्रभावित हुई है, खिलाड़ी इधर उधर फँस गए, खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन को पैसे का अभाव सामने आया है। लेकिन आज से पहले किसी ने भी क्लबों के हित के बारे में नहीं सोचा। यदि कोरोना प्रभावित 62 क्लबों को आर्थिक मदद दे रहे हैं तो यहाँ भी आलोचना और खामियाँ खोजना समझदारी कदापि नहीं है।
वह मानते हैं कि एक छोटी सी मदद से क्लबों का भला नहीं होने वाला लेकिन उन्हें कुछ राहत ज़रूर मिलेगी। उन्होने साफ शब्दों में कहा कि यह अगले साल होने वाले चुनावों की तैयारी कदापि नहीं है, जैसा कि कुछ असंतुष्ट आरोप लगा रहे हैं।