राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड
‘बस नीरज अब और नहीं। एक स्वागत समारोह में आपकी तबीयत खराब हो गई थी और आपको बीच से उठ कर जाना पड़ा था। आपका स्वागत पूरा देश और दुनिया कर रहे हैं। हर भारत वासी आपको पलकों पर बिठा रहा है।
तो फिर ये नेताओं के स्वागत समारोह और झूठे वादे किस काम के। आप तुरंत लंदन, पेरिस, अमेरिका और कहीं भी निकल जाएं और अगले ओलंम्पिक की तैयारी में जुट जाएं। नेता, अभिनेताओं को हाथ जोड़ दीजिए और विनम्रता के साथ कह दें कि अब आप और स्वागत नहीं चाहते।”
अपने एक पाठक का पत्र सार्वजनिक करने का मुख्य कारण यह है कि पूरा भारत नीरज के प्रदर्शन से खुद को धन्य मान रहा है औरउसे और कई पदक और खिताब जीतते देखना चाह रहा है। शायद ही पहले कभी किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन ने भारतीय खेलप्रेमियों को इस कदर गौरवान्वित किया हो।
बेशक, वह हर बड़े से बड़े सम्मान का हकदार है। लेकिन सम्मान समारोह जब बोझिल लगने लगे तो विराम देना भी जरूरी है। एक 23 साल का युवा जब विश्व विजेता या ओलंम्पिक चैंपियन बन जाता है तो उसके सामने खुला आसमान है।
उसे अभी बहुत से मुकाम हासिल करने हैं। नीरज के पक्ष में एक अच्छी बात यह जाती है कि उसने उस उम्र में आसमान छू लिया है जिस उम्र में आम भारतीय खिलाड़ी खेल जीवन की शुरुआत करता है।
चीन, जापान, अमेरिका, कोरिया, रूस और जर्मनी आदि देशों के चैंपियन खिलाड़ी छोटी उम्र में ही ऊंचा उड़ने लगते हैं और सालों साल अपना दबदबा बनाए रखने में सफल रहते हैं।
नीरज कम से कम दस साल तक अंतरर्राष्ट्रीय मंच पर भारत को सम्मान और पदक दिला सकता है। वह भारत का बुबका, बोल्ट और फेल्प्स है और उनकी तरह के रिकार्ड कायम कर सकता है।
तो फिर उसे क्यों इधर उधर भटकाया जाए। राजनीति के खिलाड़ी उसे अपने लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। थोड़ा सा चूरमा, आइसक्रीम, केक और चॉकलेट खिलाने के लिए उसका कीमती समय बर्बाद करना ठीक नहीं।
उसे आज और अभी दबाव मुक्त करना ठीक रहेगा। पेरिस ओलंम्पिक ज्यादा दूर नहीं है। 2022 में एशियायी खेल, एक साल बाद कामनवेल्थ खेल और फिर ओलंम्पिक जैसे बड़े आयोजनों की तैयारी के लिए वक्त कम ना पड़ जाए। तो उठो पार्थ भाला(गांडीव) संभालो और निकल पड़ो, कई और मोर्चे फतह करने को हैं। अनेकों कीर्तिमान आपकी बाट जोह रहे हैं।
बहुत बढ़िया लिखा है