June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

दीदी खेला होबे , फुटबाल होबे तो खेल विकास भी होबे!

Didi played hobe, football hobe then sports development hobe too

राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड

टोक्यो ओलंम्पिक में भारतीय हॉकी टीमों के शानदार प्रदर्शन ने जहां एक ओर हॉकी की वापसी का संकेत दिया है तो अन्य खेलों से भी खुशखबरी जैसी सुगबुगाहट आने लगी है।

उड़ीसा की हुई पंजाब की हॉकी:

जो हॉकी कभी पंजाब की थी आज उड़ीसा की हो गई है।शायद इसी लिए हॉकी की वापसी के पीछे उड़ीसा सरकार की प्रतिबद्धता और भरपूर सहयोग का हाथ माना जा रहा है।

मुख्य मंत्री नवीन पटनायक और उनकी सरकार का हॉकी प्रेम जगजाहिर हो चुका है। राज्य सरकार ने हॉकी को दस साल के लिए गोद ले कर वह सब कर दिखाया जिसकी भारतीय हॉकी प्रेमी दशकों से प्रतीक्षा कर रहे थे।

कुश्ती योगी की गोद में:

इसमें दो राय नहीं कि भारतीय खेलों में यदि किसी खेल ने सबसे ज्यादा तरक्की की है, देश के मान सम्मान को बढ़ाया है,वह खेल कुश्ती है। हॉकी की कहानी पुरानी है और इस बात की कोई गारंटी नहीं कि पेरिस ओलंम्पिक 2024 तक भारतीय हॉकी का जोशो खरोस बना रहेगा। लेकिन कुश्ती अपना दम खम और टिकाऊपन दिखा चुकी है।

केडी जाधव के कांस्य पदक के कई साल बाद सुशील के दो पदकों, योगेश्वर, साक्षी मालिक और अब रवि दहिया और बजरंग के पदकों ने भारत की कुश्ती को सबसे ऊंचे मुकाम तक पहुंचा दिया है, जहां से बाकी खेल बौने नजर आते हैं।

योगी सरकार द्वारा कुश्ती को दस साल तक के लिए गोद लेना बड़ी खबर कही जा सकती है। सरकार ने इस अवधि में पहलवानों की तैयारी पर 170 करोड़ खर्च करने का आह्वान किया है। बेशक, सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह के प्रयासों ने रंग दिखाया है।

बाकी भी आगे आएं:

भारत के खेल मानचित्र पर सरसरी नज़र डालें तो पंजाब, केरल, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मणिपुर, बंगाल, झारखंड आदि प्रदेशों ने भारत को विभिन्न खेलों के अनेक चैंपियन दिए हैं।

अब वक्त आ गया है कि देश का हर प्रदेश किसी एक खेल को गोद लेने आगे आए। यदि ऐसा होता है तो सरकार का दबाव घट कर राज्य सरकारों में बंट जाएगा।

फुटबाल बंगाल में होबे:

कभी बंगाल को फुटबाल का गढ़ कहा जाता था। शायद आज भी है। लेकिन आज भारत के पास पहले जैसे खिलाड़ी नहीं है। गोवा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों ने भी भारतीय फुटबाल के उत्थान में अहम भूमिका का निर्वाह किया लेकिन दो एशियाड जीतने वाला और चार ओलंम्पिक खेलने वाले भारत की फुटबाल हैसियत किसी नौसिखिया जैसी है।

आम फुटबाल प्रेमी मानता है कि भारतीय फुटबॉल को ममता दीदी पटरी पर ला सकती हैं। यदि पश्चिम बंगाल फुटबाल को गोद ले सके तो दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में हम फिर से नाम कमा सकते हैं। जरूरत नकारा फेडरेशन को लतियाने की है। बोलो दीदी खेला होबे ना?

नार्थईस्ट का जलवा:

पिछले कुछ सालों में नार्थ ईस्ट के प्रदेशों ने मुक्केबाजी, फुटबाल, हॉकी, वेटलिफ्यिंग, जुडो, कराटे आदि खेलों में बड़ी पहचान बनाई है। खासकर, मणिपुर के युवा ज्यादातर खेलों में छाए हुए हैं। मैरी कॉम और मीरा बाई चानू के उदाहरण सामने हैं।

पंजाब के एथलीट थ्रो स्पर्धाओं में हमेशा अव्वल रहे हैं तो ट्रैक स्पर्धाओं में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र का दबदबा रहा है।यदि सभी प्रदेश अपने प्रभुत्व वाले खेलों को अपना लें तो सरकार पर निर्भरता खुद ब खुद कम हो जाएगी।

हरियाणा सबसे आगे:

ओलंम्पिक, एशियाड या कोई भी खेल हो हरियाणा के खिलाड़ी अधिकाधिक पदक जीत रहे है। कुश्ती, मुक्केबाजी, कबड्डी, हॉकी और कई अन्य खेलों में हरियाणा की भागीदारी अधिकाधिक होती है।

पदक भी हरियाणवी खिलाड़ी ज्यादा जीत रहे हैं। प्रदेश में खेलों के लिए माहौल बन रहा है। ऐसे में कुछ खेलों को गोद लेकर हरियाणा और बड़ी खेल ताकत बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *