क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
कोरोना काल के चलते खेल गतिविधियाँ ठप्प पड़ी हैं। लेकिन फुटबाल दुनियाभर में खेली जा रही है। ख़ासकर, यूरोपीय महाद्वीप में दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल खाली स्टेडियम होने के बावजूद भी जमकर लोकप्रियता बटोर रहा है। रोनाल्डो और नेमार जैसे दिग्गजों को कोरोना ने अपनी चपेट में लिया फिरभी इटली इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस और तमाम देशों में खेले जाने वाले लीग मुक़ाबले बदस्तूर जारी हैं।
जहां तक भारत की बात है तो कोरोना की शुरुआत पर थाली बजाने वाले दो साल बाद खेले जाने वाले फीफा वर्ल्ड कप के स्वागत के लिए ताली बजाने का गहन अध्ययन कर रहे हैं। यह बात कुछ अटपटी जरूर लगती है लेकिन भारतीय फुटबाल प्रेमियों ने अब तक सिर्फ ताली बजाने का ही काम किया है। फुटबाल हम भी खेलते हैं पर पेले, माराडोना, रोनाल्डो, मेस्सी, नेमार, रोनाल्डो जैसे महा नायकों की स्तुति तक ही सीमित हैं, क्योंकि वर्ल्ड कप खेलने का सौभाग्य नहीं मिल पाता।
दो साल बाद 21 नवंबर से 18 दिसंबर, 2022 तक कतर में 22वें फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप का आयोजन किया जाना है, जिसमें दुनियाँ के 32 टाप देश भाग लेंगे। कोरोना के कारण वर्ल्ड कप क्वालीफायर प्रभावित हुए हैं जिनका आयोजन शीघ्र किया जाना है। हालाँकि भारतीय टीम भी इन मुकाबलों में भाग ले रही है पर भारत किसी चमत्कार के चलते ही वर्ल्ड कप खेल पाएगा।
क्वालीफाइंग मुकाबलों में भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लॉक डाउन से पहले भारत का प्रदर्शन साधारण रहा था। अब भारतीय टीम को एकबार फिर कतर, बांग्ला देश और अफ़ग़ानिस्तान से निपटना है। इन मुकाबलों को सिर्फ़ खानापूरी कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा|
हालाँकि भारतीय फुटबाल फ़ेडेरेशन, खेल मंत्रालय के अधिकारी और खिलाड़ी वर्षों से बड़े बड़े दावे करते आ रहे हैं और पिछले चालीस सालों से वर्ल्ड कप खेलने के सपने दिखा रहे हैं पर अब आम भारतीय जान गया है कि सिर्फ़ और सिर्फ़ झूठ और हवाबाजी ही हमारी फुटबाल का चरित्र है।
आम फुटबाल प्रेमी तो यहाँ तक कहने लगा है कि जो देश बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान जैसी टीमों से नहीं जीत सकता उसके लिए वर्ल्ड कप सिर्फ़ शेख चिल्ली का ख्वाब है। वर्ल्ड कप मेँ भाग लेने वाले देशों की संख्या 24 से 32 और चार साल बाद 40 कर देने के बाद भी भारत का नंबर शायद ही आए।
इतना तय है कि भारत को विश्व फुटबाल के सबसे बड़े प्लेटफार्म पर खेलते देखने का सपना दस बीस सालों में पूरा नहीं होने वाला। भले ही हर विदेशी कोच भारत को सोया शेर बताता है पर सही मायने में भारतीय फुटबाल के आका सोए हुए हैं। वैसे भी सुनील छेत्री जैसे खिलाड़ी हमारे पास ज़्यादा नहीं हैं। वह मैदान से हटने की तैयारी कर रहा है। अर्थात उसके बाद एक दो विश्वसनीय खिलाड़ी भी खोजे नहीं मिलने वाले।
भारतीय फुटबाल जानकारों की मानें तो आज की फुटबाल में भारत कहीं नहीं ठहरता। भारत में दुनियाँ के बड़े खिलाड़ियों के खेल की प्रशंसा करने वाले तो हैं पर अपनी फुटबाल में से 11 श्रेष्ठ खिलाड़ी खोजना भी मुश्किल है। सॉरी, हम ताली बजा कर गम गलत कर लेंगे।
दादा बिल्कुल सही लिखा है। हम तब ताली भी नहीं बजा पाने की स्थिति में भी नहीं होंगे। वो इसलिए कि हम सच्चाई में बांग्लादेश से भी खेल कर हरा नहीं सकेंगे।
तब क्या ताली बजा सकेंगे।