क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
पहलवानों की फ़ौजें तैयार करने वाला और देश को ढेरों चैम्पियन देने वाला गुरु हनुमान अखाड़ा थोड़ा सुस्ताने के बाद फिर से नई ताज़गी के साथ उठ खड़ा हुआ है। वर्ष 2003 में गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला को भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने गोद लिया और अगले 15 वर्षों तक साई के सहयोग से गतिविधियाँ जारी रहीं लेकिन 2018 में साई ने हाथ खींच लिया था। दो साल के अंतराल के बाद अब एक बार फिर से अखाड़े पर साई की कृपा हुई है।
1999 में गुरु श्रेष्ठ द्रोणाचार्य गुरु हनुमान की मृत्यु के बाद देश के सबसे प्रतिष्ठित अखाड़े की रफ़्तार कुछ थम सी गई थी। साल दर साल दर्जनों अंतरराष्ट्रीय पहलवान पैदा करने वाला अखाड़ा शायद गुरु के जाने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया था। हालाँकि गुरु जी के करीबी, विश्वसनीय साई कोच और अखाड़े के संचालक द्रोणाचार्य महासिंह राव ने भरसक प्रयास किया लेकिन गुरु हनुमान के रिक्त स्थान की भरपाई कर पाना हँसी खेल नहीं था।
फिर भी वह जैसे तैसे अखाड़े को चलाते रहे। यह सही है कि गुरु हनुमान अखाड़ा गुरु हनुमान के रहते उतार पर था। सुदेश, प्रेमनाथ, सतपाल, करतार, जगमिंदर और दर्जनों अन्य ओलंपियन, 17 अर्जुन अवॉर्डी, 6 द्रोणाचार्य, चार पद्मश्री और अनेक अंतरराष्ट्रीय पहलवान देने वाले अखाड़े की उपलब्धियाँ कुछ हल्की पड़ गई थीं लेकिन अब एक बार फिर से उमीद बँधी है।
साल भर पहले महासिंह राव साई की नौकरी से सेवानिवृत हुए तो अखाड़े के लिए यह एक और बुरी खबर थी लेकिन गुरु हनुमान के साथ बिताए बीस सालों में उन्होने काफ़ी कुछ सीख लिया था। सबसे बड़ी बात यह थी कि गुरु जी का विश्वास जीतने में सफल रहे। चूँकि महासिंह अपने गुरु के प्रति गहरी आस्था रखते थे इसलिए उन्होंने नये पुराने पहलवानों के सहयोग से गुरु जी की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और सबसे पहले अखाड़े को साई के साथ जोड़ने का काम किया।
साई के नियमों और निर्देशों के अनुसार अखाड़े के आठ से 14 साल के 20 पहलवानों को एक हज़ार रुपए प्रतिमाह दिए जाएँगे। स्पोर्ट्स किट और प्रतियोगिताओं में भाग लेने की एवज में तीन-तीन हज़ार रुपये अलग से देने का प्रावधान है। साथ ही एक कोच भी अखाड़े को मिलेगा।
महासिंह के अनुसार साई के सहयोग से वह नए सिरे से अखाड़े को सजाने सँवारने का काम करेंगे। हालाँकि एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी लेकिन उनके शिष्यों और सहयोगियों – राजीव तोमर, सुजीत मान, शीलू आदि ने उनका हौंसला टूटने नहीं दिया। महासिंह साई के महानिदेशक संदीप प्रधान का विशेष शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होने गुरु हनुमान अखाड़े के शानदार रिकार्ड को देखते हुए तुरंत हामी भरी।
महासिंह को लगता है कि गुरु हनुमान के आशीर्वाद और उनके प्रिय शिष्यों सतपाल, जगमिंदर और राज सिंह आदि के सहयोग से वह देश के सबसे बड़े अखाड़े को फिर से उँचाइयों तक ले जाएँगे।