क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
सरकार और उसकी राज्य इकाइयां देश में को कोरोना के फैलाव को थामने में किस हद तक नाकाम रहे हैं, इसे लेकर एक राय शायद ही कायम हो लेकिन सरकार का ‘खेलो इंडिया’ और ‘फिट इंडिया’ का नारा आज की परिस्थियों में कारगर नज़र आता है।
ऐसे में जबकि भारत कोविड 19 के नये नये कीर्तिमान बना रहा है और देश की सरकारें आपसी लड़ाई और मतभेदों के चलते अपनी जनता की हत्या की सीधे सीधे गुनहगार बन रही हैं, खिलाड़ी समाज कुछ हद तक सुरक्षित कहा जा सकता है।
भारतीय खेलों और खिलाड़ियों पर सरसरी नज़र डालें तो दुनियाँ के अन्य देशों की तरह हमारे खिलाड़ी भी लगभग पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालाँकि हमारी सरकारों ने आम खिलाड़ियों की सुरक्षा के लए अलग से कोई इंतज़ाम नहीं किए हैं फिरभी यदि ओलम्पिक की तैयारी में जुटे या गाँव एवम् गली कूचों के खिलाड़ी स्वस्थ और मस्त हैं तो इसलिए क्योंकि वे खिलाड़ी हैं और सुस्त, लापरवाह और बीमार नागरिकों की तुलना में उनमें बीमारी से लड़ने भिड़ने की क्षमता कहीं ज़्यादा है।
यह ज़रूरी नहीं कि जो देश की सरकारें, मंत्री, प्रधान मंत्री या न्यायालय कहें वही सत्य मान लिया जाए। प्रधान मंत्री मोदी के बहुत से अच्छे कामों की प्रतिपक्ष आलोचना करता आया है, क्योंकि हमारी व्यवस्था में विपक्ष का रोल लगभग इसी प्रकार का होता है। लेकिन सरकार ने खेलो इंडिया और फिट इंडिया का शंखनाद कर यह संदेश ज़रूर दे दिया है कि देश के हर बच्चे, महिला-पुरुष और वृद्ध का फिट होना ज़रूरी है।
भले ही खेलो इंडिया अभियान में खामियाँ ज़्यादा हैं, क्योंकि गंदी राजनीति यहाँ भी हावी है लेकिन कोरोना काल में खिलाड़ी, योगी और नियमित व्यायाम करने वालों ने साबित कर दिया है कि हर इंसान को कुछ ना कुछ शारीरिक कसरत या श्रम ज़रूर करना चाहिए ताकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
भले ही ‘खेलो इंडिया’ एक आदर्श वाक्य नहीं बन बन पाया है लेकिन इतना तय है कि महामारी के बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ फिट नागरिक ही सही जीवन जी पाएँगे। इस लिहाज से भारत सरकार का खेलो इंडिया कार्यक्र्म दूरदर्शिता वाली सोच लिए है और फिट इंडिया के जुड़ जाने के बाद खेलों इंडिया हिट हो सकता है।
बेशक सरकार चाहती है कि देश का हर बच्चा, युवा और वरिष्ठ नागरिक कोई ना कोई खेल ज़रूर खेले। कोरोना के चलते हालाँकि कई खिलाड़ी और खेल प्रशासकों की मृत्यु हुई लेकिन अधिकांश खिलाड़ी और खेल हस्तियाँ गंभीर बीमारी के बावजूद भी सुरक्षित रहे क्योंकि वे फिट हैं और उनमें कोरोना से लड़ने की क्षमता सामान्य इंसान से कहीं ज़्यादा है।
जो खेलेगा, फिट और हिट होगा:
यदि खेल मंत्रालय खेलो इंडिया को गंभीरता से ले, खिलाड़ियों का चयन उनकी योग्यता और सही उम्र के आधार पर करे तो यह योजना ना सिर्फ़ देश को पदक विजेता खिलाड़ी देगी अपितु एक बड़ी जनसंख्या फिट होगी, रोगों से लड़ने में सामर्थयवान बनेगी और भारत पर से बीमार देश का पट्टा भी हट जाएगा। कोरोना की विभीषिका ने बता दिया है कि जो खेलेगा, फिट होगा वही हिट होगा!