क्लीन बोल्ड/राजेन्द्र सजवान
भारत और ऑस्ट्रेलिया की वन डे रैंकिंग पर गौर करें तो भारत दूसरे और ऑस्ट्रेलिया तीसरे पायदान पर है। लेकिन क्रिकेट जैसे खेल में रैंकिंग खास मायने नहीं रखती। सिडनी में खेले गए पहले दो मैचों के नतीजों से साफ हो गया है कि अपने मैदान पर यदि कंगारू पूरी ताकत से उतरें तो धमा चौकड़ी मचा सकते हैं। मेजबान ने जिस तरह आसानी से दोनों मैच जीते उससे यह तो साबित हो गया है कि विराट की टीम कोरोना काल में काफी कमजोर हो गई है। लगातार दूसरा मैच हारने के साथ ही भारतीय टीमऑस्ट्रेलिया से वन डे सीरीज भी हार गई है।
स्मिथ का धमाका:
विराट कोहली की अगुवाई में टीम इंडिया 2018-19 में 2-1 से सीरिज जीत गई थी। तब कहा गया था कि स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर के नहीं होने के कारण मेजबान कंगारुओं को हार का सामना करना पड़ा था। देखा जाए तो ऐसी मान्यता गलत भी नहीं थी। ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों स्मिथ, वार्नर और फिंच ने शानदार बल्लेबाजी से साबित कर दिया है कि उनकी उपस्थिति से कंगारुओं की ताकत किस कदर बढ़ जाती है। स्टीव स्मिथ ने लगातार दो शतक जमा कर दिखा दिया कि उन्हें क्यों श्रेष्ठ कहा जाता है।
चूंकि हिटमैन नहीं था:
हार के बाद अब आरोप प्रत्यारोपों का दौर शुरू होगा और हो सकता है कि कुछ खिलाड़ियों के होने नहीं होने पर भी चर्चा होगी। पिछली सीरीज जिताने में अहम भूमिका निभानेवाले महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा और भुवनेश्वर कुमार इस बार टीम में नहीं हैं। रोहित शर्मा की कमी इसलिए खली क्योंकि हिटमैन कहे जाने वाले इस धुरंधर बल्लेबाज को दुनिया के श्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह आठ शतक भी ठोक चुके हैं। कुछ एक्सपर्ट तो यहां तक कहने लगे हैं कि चूंकि रोहित नहीं थे इसलिए बल्लेबाजी चरमरा गई। लेकिन यह बहाना नहीं चलने वाला।
खली धोनी की कमी:
जहां तक पूर्व कप्तान धोनी की बात है तो उन्हें एक दिन रिटायर होना ही था। जब वह बढ़ती उम्र के बावजूद मैदान पर डटे हुए थे तो कुछ तथाकथित क्रिकेट विशेषज्ञों को उनकी उपस्थिति रास नहीं आ रही थी। हाल ही में वेस्टइंडीज के जाने माने तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग के एक बयान ने धोनी के चाहने वालों को भारतीय टीम प्रबंधन को कोसने का मौका दे दिया है। होल्डिंग के अनुसार भारत को धोनी जैसे खिलाड़ी की जरूरत है, जोकि अपने “कौशल और तेवरों” से बड़े से बड़े लक्ष्य का पीछा कर सकता है।
मेहमान की फजीहत:
भले ही कप्तान विराट कोहली के चाहने वाले और टीम इंडिया के प्रशंसक अपने खिलाड़ियों का बचाव करें लेकिन सच्चाई यह है कि मेहमान टीम खेल के हर छेत्र में बेहद कमजोर साबित हुई। बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग में ऑस्ट्रेलिया ने मेहमानों को उन्नीस साबित किया। अब टीम के गठन को लेकर बहाने बनाये जा रहे हैं। भले ही भारत तीसरा मैच जीत जाए पर चिड़िया तो खेत चुग चुकी है। सीरीज मेजबान ने जीत ली है।
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