चेन्नई। चेपक के एम ए चिदंबरम स्टेडियम की पिच पर गेंद टर्न ले रही है और उसमें असमान उछाल है और ऐसी विषम परिस्थितियों के सामने भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के पांचवें दिन मंगलवार को यहां या तो 90 ओवर तक टिके रहना होगा या फिर 420 रन बनाकर इतिहास रचना होगा।
मैच के चौथे दिन 15 विकेट गिरे और इनमें से 11 विकेट स्पिनरों ने लिये। मतलब साफ है पिच से स्पिनरों को मदद मिल रही है और ऐसे में जैक लीच और डॉम बेस जैसे अनुभवहीन स्पिनर भी भारतीयों को परेशानी में डाल सकते हैं। लीच की जिस गेंद पर रोहित शर्मा आउट हुए उससे अंदाजा लगाया जा सकता है पिच कितना स्पिन ले रही है।
भारत ने चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक रोहित का विकेट गंवाने के बाद एक विकेट पर 39 रन बनाये हैं और अभी वह लक्ष्य से 381 रन पीछे है। लेकिन चेन्नई में मैच के चौथे दिन ब्रिस्बेन को दोहराना आसान नहीं होगा। अब दारोमदार चेतेश्वर पुजारा (नाबाद 12) और शुभमन गिल (नाबाद 15) के अलावा कप्तान विराट कोहली, उप कप्तान अजिंक्य रहाणे और विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत पर टिका रहेगा।
लेकिन इन सबके बीच वाशिंगटन सुंदर को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने पहली पारी में नाबाद 85 रन बनाये जिससे भारतीय टीम 337 रन तक पहुंचने में सफल रही। इंग्लैंड को इस तरह से पहली पारी के आधार पर 241 रन की बढ़त मिली लेकिन उसने भारत को फालोआन नहीं दिया और दूसरी पारी खेलने के लिये।
उतरा। इंग्लैंड भी समझता था कि चौथी पारी में लक्ष्य का पीछा करना आसान नहीं होगा और इसलिए उसने फालोआन नहीं दिया। इंग्लैंड ने पहली पारी में 578 रन बनाये थे लेकिन दूसरी पारी में वह 178 रन ही बना पाया।
रविचंद्रन अश्विन ने पारी की पहली गेंद पर विकेट लिया और कुल 61 रन देकर छह विकेट लिये। शाहबाज नदीम को दो विकेट मिले। इशांत शर्मा और जसप्रीत बुमराह ने एक-एक विकेट हासिल किया। इशांत के लिये हालांकि डैन लारेन्स का विकेट महत्वपूर्ण था।
यह उनका 300वां टेस्ट विकेट है। वह कपिल देव और जहीर खान के बाद इस मुकाम पर पहुंचने वाले तीसरे भारतीय तेज गेंदबाज बन गये हैं। इंग्लैंड की तरफ से पहली पारी में 218 रन बनाने वाले कप्तान जो रूट ने इस पारी में भी सर्वाधिक 40 रन बनाये।
कुल मिलाकर लगातार चौथे दिन इंग्लैंड का पलड़ा भारी रहा। उसे चार मैचों की सीरीज में 1-0 से बढ़त लेने के लिये कल नौ विकेट लेने होंगे लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए अब वे दिन लद चुके हैं जब टीमें बड़े लक्ष्य के सामने रक्षात्मक होकर खेलती थी। हमारे सामने ब्रिस्बेन का ताजा उदाहरण है जब भारत ने 328 रन का लक्ष्य हासिल किया था।