क्लीन बोल्ड /राजेंद्र सजवान
जाने माने खेल पत्रकार, फुटबाल विशेषज्ञ, कमेंटेटर और खालसा कॉलेज के प्रोफ़ेसर नोवी कपाडिया का आज यहाँ लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। आजीवन अविवाहित रहे नोवी कपाडिया दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवा निवृत होने के बाद लम्बे समय तक बीमार रहे और अंततः वेंटिलेटर पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
नोवी कपाड़िया का नाम आते ही एक बेहद शांत, हँसमुख, निर्मल और निश्छल फुटबाल प्रेमी और फुटबाल का अथाह सागर सामने आ खड़ा होता है। बेशक, वह भारत में फुटबाल के सबसे बड़े जानकार थे। दिल्ली, गोवा, कोलकाता से लेकर भारतीय और विश्व फुटबाल का सम्पूर्ण ज्ञान उनके टिप्स पर रहता था।
उन्हें सात वर्ल्ड कप कवर करने का अनुभव प्राप्त था। ज़ाहिर है कि वे देश में फुटबाल के सबसे बड़े जानकार थे और भारतीय खिलाड़ी उनका नाम बड़े आदर के साथ लेते थे। नोवी ने अपने लम्बे पत्रकारिता जीवन में अनेक किताबें लिखीं , जिन्हें देश विदेश में बेहद पसंद किया गया। लेखन के साथ साथ वह फ़ुटबाल कि कमेंट्री के भी विशेषज्ञ थे और दूर दर्शन तथा अन्य चैनलों पर उन्हें अक्सर देखा सुना जाता रहा। खासकर, विश्व कप के चलते उनकी आवाज और ज्ञान का जादू सर चढ़ कर बोलता था।
बहुत कम लोग जानते हैं कि वह दिल्ली के कुछ फुटबाल क्लबों से भी जुड़े रहे। सत्तर अस्सी के दशक में उन्होंने ‘हिन्दू ओल्ड ब्वायज’ और अशोका क्लब के लिए मिड फील्ड में एक खिलाड़ी के बतौर भूमिका का निर्वाह किया और कई अच्छे मैच भी खेले। संयोग से मुझे भी उनके साथ हिन्दू ओल्ड ब्वायज में खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
देश के अनेक अंतर्राष्ट्रीय खिलाडियों, फुटबाल हस्तियों , कलबों और फेडरेशन अधिकारीयों ने नोवी के जाने को फुटबाल के लिए बड़ी क्षति बताया । दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजेए) और एसजेएफ आई ने उनके देहांत पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। दिल्ली फुटबाल एसोसिएशन, और अखिल भारतीय फुटबाल संघ ने भी उनके जाने को खेल के लिए बड़ा आघात बताया। नोवी आजीवन भारतीय फुटबाल के गिरते स्तर को लेकर चिंतित रहे। लेकिन उन्होंने किसी प्रकार के विवादास्पद लेखन की बजाय फुटबाल की बेहतरी को प्राथमिकता दी।