क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान
स्पेन की ओलंपिक चैंपियन कैरोलिना मारिन चोटिल होने के कारण टोक्यो ओलंपिक से बाहर हो गई हैं । मारिन के घुटने की चोट के बाद किस खिलाड़ी को सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है, फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है। हालांकि रियो ओलंपिक में मारिन ने भारत की पीवी सिंधू को हरा कर स्वर्ण पदक जीता था किंतु पिछले पांच सालों में दोनों खिलाड़ियों के प्रदर्शन में भारी बदलाव आया है।
खासकर , सिंधु का प्रदर्शन अस्थिर रहा है। भारतीय विश्व चैंपियन सिंधु को मारिन ने कई बार हराया। स्वयं सिंधु भी उसे महान चैंपियन मानती है लेकिन साथ ही यह भी कहती है कि मारिन के हटने से उसका काम कदापि आसान नहीं हुआ है, क्योंकि पहली दस खिलाड़ियों में से कोई भी किसी को भी अपसेट कर सकती है।
महिला खिलाड़ियों की विश्व रैंकिंग पर नजर डालें तो ताइपेह की ताई यिंग, चीन की चेन यू फेई और जापान की नोजोमी ओकुहारा भारतीय खिलाड़ी से बेहतर स्थिति में हैं। मेजबान देश की अकाने यामागुची और सयाका ताकाहाशी सहित तीन टॉप जापानी खिलाड़ी अन्य की नींद हराम कर सकती हैं। घरु कोर्ट पर उन से पार पाना बाकी के लिए खास मुश्किल हो सकता है।
अर्थात मेजबान जापानी खिलाड़ी बाकी को घेर सकती हैं। ऐसे में जबकि दर्शकों की संख्या सीमित होगी मेजबान ख़िलाड़ी ही लाभ की स्थिति में रहेंगे। लेकिन यह न भूलें कि चीन कोरिया और थाईलैंड की लड़कियां भी अप्रत्याशित करने की योग्यता रखती हैं।
भारतीय उम्मीदों को तब बड़ा झटका लगा जबकि लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता सायना नेहवाल ओलंपिक का टिकट नहीं कटा पाई है। अर्थात अकेली सिंधु को जूझना पड़ेगा। सिंधु के बारे में कहा जा रहा है कि यदि वह अपनी दो तीन साल पुरानी फार्म पा जाती है तो उसे हरा पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।
गोपी अकादमी से नाता तोड़ना और इंग्लैंड में ट्रेनिंग के लिए जाना किस हद तक ठीक था यह कुछ सप्ताह बाद पता चल जाएगा। हालांकि एक वर्ग मानता है कि उसे गोपी का साथ छोड़ना महंगा पड़ सकता है।
यह सही है कि काफी कुछ ड्रा पर निर्भर करता है। लेकिन ओलंपिक के लिए कोरोना काल में किस खिलाड़ी ने कितनी तैयारी की है, उस पर काफी कुछ निर्भर करता है। सिंधु और तमाम खिलाड़ियों के लिए इस बार का ओलंपिक अलग अनुभव लिए होगा। उनके हर शॉट पर तालियां बजाने वाले ज्यादा नहीं होंगे।