भारतीय क्रिकेट टीम एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिन रात्रि टेस्ट के तीसरे ही दिन शनिवार अपने 88 वर्षों के टेस्ट इतिहास के सबसे न्यूनतम स्कोर 36 रन पर लुढ़क गयी जिसके बाद उसे आठ विकेट से हार का सामना करना पड़ा। भारत की इस हार के बाद अब कई सवाल उठ गए गए हैं जिनका जवाब ढूंढा जाना जरूरी है:
पहले टेस्ट से पूर्व ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ गुलाबी गेंद से तीन दिवसीय अभ्यास मैच में कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा क्यों नहीं खेले और इसका असर दोनों की बल्लेबाजी पर पहले टेस्ट में दिखाई दिया।
लोकेश राहुल जैसे अनुभवी बल्लेबाज को बाहर बैठकर पृथ्वी शॉ जैसे आत्मविश्वास खो चुके युवा बल्लेबाज को ऑस्ट्रेलिया के अनुभवी तेज गेंदबाजों के सामने डालना क्या समझदारी है।
जब शुभमन गिल ने अभ्यास मैच की दोनों पारियों में रन बनाये तो ओपनिंग में उन्हें मौका क्यों नहीं दिया गया।
अभ्यास मैच में नाबाद शतक बनाने वाले ऋषभ पंत को बाहर रख रिद्धिमान साहा को मौका देना कतई समझदारी नहीं किया जायेगी। किसी भी मैच के लिए रणनीति परिस्थिति और अपने योद्धा को देख कर बनायी जाती है न कि लकीर के फ़कीर की तरह।
ऐसा लगता है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने गुलाबी गेंद से खेलने के ऑस्ट्रेलिया के रिकॉर्ड का कोई अध्ययन नहीं किया जबकि टीम के पास वीडियो विश्लेषक मौजूद रहते हैं। तीसरे दिन लग रहा था कि भारतीयों ने मानसिक तौर पर समर्पण कर दिया है और वे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर अटैक करने के लिए ही तैयार नहीं हैं। भारतीय बल्लेबाजों ने ज्यादा डिफेंस के चक्कर में अपने विकेट गंवाए।
आईपीएल खेलकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज की तैयारी कतई आदर्श नहीं कही जा सकती। टीम के 36 रन पर आउट होने पर बीसीसीआई को भारतीय खिलाड़ियों से सवाल पूछने चाहिए। बीसीसीआई से भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता टेस्ट है या आईपीएल। विराट को जब एक टेस्ट के बाद लौटना था तो उन्हें पहले टेस्ट में खेलाने की क्या जरूरत थी। विराट अब 36 रन पर आउट होने का दाग कैसे धो पाएंगे।