क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान
“आत्मा कांप उठी जब पता चला कि रोहतक अखाड़ा कांड में 4 दिन से जिंदगी मौत से जूझ रहे नन्हे सरताज ने अपनी आंखे हमेशा के लिए मूंद लीं। कलयुग के हैवान ने दुलार मिलने की उम्र में सरताज को मौत दी है। छह हत्याओं के अपराधी को जितनी सजा हो कम है। आज कुश्ती शर्मसार है और खेल का मस्तक ऐसी घटना से झुक गया है।”
ओलंपिक पदक विजेता और देश के सबसे अनुशासित पहलवानों में शुमार योगेश्वर दत्त की पीड़ा हर भारतीय की पीड़ा है, जोकि उन्होंने फेस बुक पर व्यक्त की है। उनके दर्द को इसलिए भी समझा जा सकता है क्योंकि सरताज की उम्र का उनका भी प्यारा सा बच्चा है।
रोहतक के अखाड़े में हुए नरसंहार पर ‘क्लीन बोल्ड’ ने देश के पहलवानों और गुरु खलीफाओं के डर को अपने पाठकों तक पहुंचाया था। बेशक, यह हत्याकांड भारतीय खेल जगत की सबसे दर्दनाक और शर्मनाक घटना है। पहले शायद ही कभी इस तरह का नरसंहार हुआ होगा। बेवजह छह जिंदगियों को छीनने वाले हत्यारे को कड़ी से कड़ी सजा जरूर होनी चाहिए। लेकिन उसे फांसी होने पर भी कुश्ती या खेल पर लगा दाग धुलने वाला नहीं है।
योगेश्वर या सुशील और अन्य पहलवानों की भावनाओं को समझा जा सकता है। कौन नहीं जानता कि उनके खेल पर उंगलियां उठने लगी हैं। कुश्ती के लिए सिर्फ एक संतोष की बात यह है कि जिस अखाडे में यह हत्याकांड हुआ, उसकी पहचान बड़ी नहीं थी लेकिन सभी छह जिंदगियां बेशकीमती थीं। सरताज ने तो अभी दुनिया भी नहीं देखी थी, उसे भी माँ बाप के साथ मार दिया गया।
उस समय जबकि भारतीय कुश्ती गुमनामी और बदनामी से बाहर निकल रही थी और देश के कुश्ती प्रेमियों का विश्वास बटोरने का प्रयास कर रही थी, गुरु हनुमान, मास्टर चन्दगी राम, कैप्टन चाँदरूप जैसे दिल्ली के अखाड़ों ने पहलवानों की दमदार फसल उगाने पर जोर दिया। गुरु हनुमान ने हमेशा पहलवानों को चरित्रनिर्माण का पाठ पढ़ाया।
बिड़ला व्यायामशाला में महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जैसी विभूतियों, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अनेक राष्ट्रपति और नेता सांसदों का आना जाना इसलिए लगा रहा क्योंकि अखाड़ा कुश्ती का आदर्श स्थल माना जाता था। अन्य अखाड़ों ने भी अपने मान सम्मान और गरिमा को बनाए रखा।
महाबली सतपाल के छत्रसाल अखाड़े ने कामयाबी के सारे रिकॉर्ड इसलिए तोड़े क्योंकि सतपाल , द्रोणाचार्य रामफल और स्वर्गीय यशवीर ने गुरु श्रेष्ठ हनुमान की तरह अपने पहलवानों के चरित्र को कभी गिरने नहीं दिया।
हालांकि एशियाड स्वर्ण विजेता मास्टर चंदगीराम ने भारतीय महिला कुश्ती को सही दिशा देने की शुरुआत अपने घर से की। उन्होंने बेटे जगदीश कालीरमन के साथ साथ बेटियों को भी सफल पहलवान बनाया। उधर गुरु हनुमान ताउम्र महिला कुश्ती का विरोध करते रहे।
जीते जी उन्होंने अपने अखाडे में किसी महिला पहलवान को कदम नहीं रखने दिया। यह परंपरा उनके उत्तराधिकारियों ने भी बनाए रखी। गुरु राम धन, द्रोणाचार्य राज सिंह, महासिंह राव और अन्य गुरुओं ने भी अपने गुरु की भावनाओं का सम्मान बनाए रखा और महिला कुश्ती को फासले पर रखा।
हालांकि, दिल्ली,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, यूपी, कर्नाटक आदि प्रदेशों के अखाड़ों ने भी लंबे समय तक महिला पहलवानों से दूरी बनाए रखी लेकिन महिला पहलवानों ने जब अपना लोहा मनवाया तो कुछ अखाड़े पिघल गए और महिलाएं भी पुरुष पहलवानों के साथ जोर आजमाइश करने लगीं।
देश के प्रमुख कोच और चैंपियन पहलवान रोहतक की हिंसा के बाद गुरु हनुमान की दूरदर्शिता को याद करने लगे हैं। उन्हें लड़कियों की पहलवानी से कोई परहेज नहीं है। बस इतना चाहते हैं कि उन्हें एक साथ एक छत के नीचे जोर न करने दिया जाए।
दूसरी बड़ी समस्या यह है कि हर कोई जहां चाहे, जब चाहे अखाड़ा खोल डालता है। खासकर, जबसे सुशील ,योगेश्वर और साक्षी मलिक ने ओलंपिक पदक जीते हरियाणा में पहलवानी सिखाने पढ़ाने का धंधा चल पड़ा है। कालीरमन बहनों, फोगाट बहनों और कुछ अन्य महिला पहलवानों के रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद से भले ही महिला कुश्ती देश का गौरव बढ़ा रही है।
लेकिन ज्यादातर की राय में महिला और पुरुष पहलवानों के लिए अलग अखाड़े और प्रशिक्षण केंद्र बेहतर रहेंगे। कुछ एक को लगता है कि रोहतक के नरसंहार के पीछे की कहानी चाहे कुछ भी हो लेकिन हत्यारे का इरादा अखाड़ा हथियाने या किसी महिला पहलवान से जोर जबरदस्ती भी हो सकता है, ऐसा अब तक कि जांच से पता चला है।
जाने माने कोचों की राय में कुकुरमुत्तों की तरह उग रहे अखाड़ों पर रोक लगाने की जरूरत है तो यह भी ध्यान रखना होगा कि महिला पहलवानों को अखाड़ों में कड़े सुरक्षा इंतजामों केबीच रखा जाए। वरना रोहतक जैसे हत्याकांड फिर हो सकते हैं।