Remembering Syed Sabir and Narendra Kalia, Veteran footballers got recharged like this

सैयद साबिर और नरेंद्र कालिया को याद किया!

….. ऐसे रीचार्ज हुए वेटरन फुटबॉलर!

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

पिछले कुछ सालों में देश की फुटबाल के साथ साथ दिल्ली की फुटबाल में भारी गिरावट आई है, जिसे लेकर वेटरन फुटबॉलर बेहद दुखी हैं। सम्भवतया ऐसा इसलिए है क्योंकि दिल्ली में आयोजित होने वाले दो बड़े टूर्नामेंट डीसीएम और डूरंड कप बंद हो गए हैं। ऐसे में एक दूसरे से संपर्क भी नहीं साध पाते। एक ज़माना था जब दिल्ली का अंबेडकर स्टेडियम देश भर के टॉप क्लबों और विदेशी टीमों के खेल से गुलजार रहता था । आज दिल्ली की हालत अपनी पितृ संस्था भारतीय फुटबाल फेडरेशन जैसी है। लेकिन कुछ वेटरन अपने स्तर पर फुटबाल को जगाने का प्रयास कर रहे हैं।

Remembering Syed Sabir and Narendra Kalia, Veteran footballers got recharged like this

पूर्व खिलाडी एक प्लेटफार्म पर:
इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय फुटबाल फेडरेशन की कार गुजारियों की सजा उसकी तमाम इकाइयों को भुगतनी पड़ रही है। आईएसएल, आई लीग और संतोष ट्राफी में दिल्ली के क्लबों और खिलाडियों की उपेक्षा और उनका खराब प्रदर्शन चिंता का विषय बनता जा रहा है।

भले ही स्थानीय इकाई दिल्ली साकार एसोसिएशन कितने ही प्रयास करे लेकिन जब तक पूर्व खिलाडियों की सेवाएं नहीं ली जातीं, सुधार की गुंजाइश कम ही है। लेकिन हाल ही में एक ऐसा ग्रुप सामने आया है, जिसने राजधानी के पूर्व खिलाडियों को जोड़ने और उनके अनुभवों का लाभ उठाने के लिए एक अनोखा प्लेटफार्म तैयार किया है। “रीचार्जड वेटरन्स ऑफ दिल्ली फुटबाल(Recharged veterans of Delhi football)” नाम के इस ग्रुप ने तमाम फुटबॉलरों को जोड़ने का ऐसा सिलसिला शुरू किया है जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है।

साबिर अली को याद किया:
रीचार्ज्ड वेटरन्स 15 सितम्बर 2016 को अस्तित्व में आया था, जिसकी शुरुआत का श्रेय पूर्व फुटबॉलर मिराजुद्दीन कुरैशी को जाता है। ‘मैं अकेला ही चला था और कारवां बन गया’ की तर्ज पर मिराज ने जब ग्रुप का गठन किया तो चंद दोस्त ही उनके साथ जुड़े थे। धीरे धीरे उनके प्रयासों को बल मिला।

जाने माने फुटबाल खिलाडी सैयद साबिर अली को श्रद्धा सुमन अर्पित करने जब दिल्ली के तमाम खिलाड़ी और अधिकारी अंबेडकर स्टेडियम पर जुटे तो लगा जैसे कि वेटरन ग्रुप के संस्थापक मिराज भाई की मेहनत रंग दिखाने लगी है। दिल्ली के बेहतरीन मिड फील्डर में से एक साबिर अली और उनके भाइयों अहमद अली, मकबूल अली और लियाकत अली के खेल के दीवाने हजारों में रहे। तब नेशनल, सिटी, मुगल्स, यंगमैन, जैसे क्लबों की तूती बोलती थी।

4 दिसंबर को 72 वर्षीय साबिर खुदा को प्यारे हुए । उन्हें याद करने राजधानी के सौ से अधिक फुटबालर पहुंचे, जिनमे रॉबर्ट सैमुएल, हेमचंद, आरएस मान, मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद यामीन, गोपी चंद , विजय राम ध्यानी, जूलियस सीजर , दीपक नाथ, रग्गी बिष्ट, सतीश चड्ढा, वीरेंद्र कुमार , राजीव अग्रवाल, गुलजार, नईम, जिया उल हक़, सुनील खुल्लर, जय नारायण, रमेश शर्मा, देवाशीष डे, फरत खान, हेनरी, लियाकत अली, मुश्ताक बेग, अबरार अली, राजेंद्र बर्थवाल, सरफराज, मुख्तार अली, नसीम ज़फर, इक्तिदार और कई अन्य खिलाड़ी उपस्थित थे। सभी ने मिराज और जूलियस के अथक प्रयासों को जमकर सराहा और कहा कि ऐसे अवसरों पर खिलाडियों की एकजुटता से खेल को बढ़ावा मिलता है।

वेटरन्स को महत्व दें:
पूर्व फुटबॉलरों से जब दिल्ली की फुटबाल के बारे में बात कि गई तो सभी ने एक राय से माना कि एकजुटता, प्रोत्साहन और भाई चारे कि कमी के चलते राज्य कि फुटबाल प्रभावित हो रही है। भले ही अब पहले से खिलाडी नहीं रहे लेकिन जब तक दिल्ली अपने खिलाडियों को बढ़ावा नहीं देगी और बाहरी खिलाड़ियों पर निर्भरता बढ़ेगी तो स्तर में सुधार मुश्किल है। अधिकांश की राय में वेटरन्स यदि मिल बैठ कर बढ़ावा दें और स्थानीय इकाई डीएसए उनके सुझावों को गंभीरता से ले तो हालात बेहतर हो सकते हैं।

पूर्व चैंपियनों, सैमुएल, हेमचंद, मान, हनीफ, रमेश,मिराज, जूलियस और लियाकत ने साबिर और नरेंद्र उस्ताद को बड़ा खिलाड़ी और महान इंसान बताया।

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