क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
पिछले साल 29 दिसंबर को नागपत्नम, तमिलनाडु में हुए स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया(एसजीएफआई) के चुनाव में दो बार के ओलंपिक पदक विजेता अध्यक्ष सुशील कुमार की अनदेखी किए जाने को लेकर खेल मंत्रालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए फिर से चुनाव की मांग की थी, जिसे मान लिया गया है और अब 9 मार्च को दिल्ली में चुनाव होने हैं, जिनमें सुशील का चुना जाना तय हो गया है, क्योंकि अध्यक्ष पद के वह अकेले उम्मीदवार हैं।
मंत्रालय ने पाया था कि 29 दिसंबर के चुनाव में न सिर्फ अध्यक्ष की अनदेखी हुई अपितु अपने अपनों को रेबड़िया बांटी गईं। मंत्रालय ने चुनाव प्रक्रिया को देश के खेल कोड के विरुद्ध बताया और फिर से चुनाव कराए जाने का निर्देश दिया। बाक़ायदा अध्यक्ष सुशील कुमार और महासचिव राजेश मिश्रा को राष्ट्रीय खेल कोड 2011 के दिशानिर्देशों के अनुसार फिर से चुनाव कराने के लिए कहा गया था।
पिछले चुनाव में सभी पदाधिकारी निर्विरोध चुन लिए गए थे। अंडमान के रंजीथ कुमार अध्यक्ष, मध्य प्रदेश के आलोक खरे सचिव और विद्या भारती के मुख़्तेज सिंह कोषाध्यक्ष बनाए गए।
सुशील ने पिछले चुनाव के विरुद्ध आवाज उठाते हुए सचिव राजेश मिश्रा को सारे फसाद की जड़ बताया था और आरोप लगाया कि सचिव महोदय सालों से स्कूली खेलों को लूट रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मिश्रा ने विश्वासघात किया और बिना अध्यक्ष की अनुमति और सलाह के चुनाव प्रक्रिया को अंजाम दिया और अपने अपनों को लाभ पहुंचाया।
इस बार गेंद सुशील के पाले में थी और उन्होंने ना सिर्फ मिश्रा को बोल्ड कर दिया, अगले साल भर तक के लिए एस जेएफआई के अध्यक्ष पद पर बने रहने का वैधानिक हक भी पा लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नियमों के अनुसार कोई सरकारी अधिकारी अधिक से अधिक पांच साल तक शीर्ष पद पर रह सकता है। वह चार साल शीर्ष पद पर पूरे कर चुके हैं।
एक साल के लिए ही सही लेकिन सुशील कुमार ने एक बड़ी कानूनी और मनोवैज्ञानिक लड़ाई जीत ली है। रिटर्निंग ऑफिसर सेवा निवृत्त जज बी एस माथुर के कार्यालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए अकेले सुशील कुमार उम्मीदवार हैं। इसी प्रकार सचिव और कोषाध्यक्ष पदों के लिए विजय संतन और सुरेंदर सिंह भाटी का चुना जाना भी तय है। उपाधयक्ष और संयुक्त सचिव पद के लिए क्रमशः आठ आठ दावेदार हैं।
अर्थात सुशील अध्यक्ष बने रहेंगे। एक साक्षात्कार में उन्होंने ‘क्लीन बोल्ड’ को बताया कि सच्चाई की जीत हुई है और अब उनका पहला काम एसजीएफआई के खोए विश्वास को फिर से अर्जित करने का होगा। वह पद छोड़ने से पहले इस संस्था को आदर्श स्वरूप दे कर जाएंगे।