सिडनी, 11 जनवरी (भाषा) वह हनुमान नहीं हनुमा हैं लेकिन सिडनी में आज उन्होंने अंगद जैसा काम किया। हनुमा विहारी ने रविचंद्रन अश्विन के साथ मिलकर पांचवें और अंतिम दिन आखिरी सत्र में आस्ट्रेलिया को सफलता से वंचित रखा जिससे भारत ने तीसरा टेस्ट मैच ड्रा करा दिया।
भारत के सामने 407 रन का लक्ष्य था। उसने कप्तान अंजिक्य रहाणे का विकेट जल्दी गंवा दिया था लेकिन ऋषभ पंत को ऊपरी क्रम में भेजकर जतला दिया था कि वह जीत हासिल करना चाहता है। चेतेश्वर पुजारा ने हमेशा की तरह एक छोर पर पांव जमाये रखे तो पंत ने दूसरे छोर से ताबड़तोड़ रन बटोरे।
पुजारा और पंत चौथे विकेट के लिये 148 रन जोड़ गये। इसमें पंत का योगदान 97 रन था। दुर्भाग्य से वह अपने शतक से चूक गये लेकिन 12 चौकों और तीन छक्कों से सजी उनकी पारी दर्शनीय थी। पुजारा ने हमेशा की तरह लंगर डाले रखा और 205 गेंदों पर 77 रन बनाये।
पुजारा और पंत जब पवेलियन लौटे तो काम पूरा नहीं हुआ था। अब भारत के सामने चुनौती थी मैच ड्रा कराने की। आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने यह मुश्किल चुनौती थी। गेंदबाजों ने कोई कसर नहीं छोड़ी तो बल्लेबाज उनसे चार कदम आगे निकल गये। उन्होंने आस्ट्रेलिया की हर योजना को फेल कर दिया।
विहारी ने 161 गेंदों पर नाबाद 23 रन बनाये जबकि अश्विन ने 128 गेंदों पर नाबाद 39 रन। दोनों के बीच 62 रन की साझेदारी 42.4 ओवर में बनी। इस साझेदारी के रन महत्वपूर्ण नहीं थे बल्कि गेंदें अहम थी जो इन दोनों ने इस बीच खेली।
विहारी की तारीफ करनी होगी उन्होंने पांव की मांसपेशियों में खिंचाव के बावजूद एक छोर पर पांव जमाये रखा। अश्विन ने फिर से साबित किया कि वह कुशल गेंदबाज ही नहीं अच्छे बल्लेबाज भी हैं।
पुजारा ने दिखाया कि टेस्ट क्रिकेट में धैर्य से बल्लेबाजी करने का सकारात्मक परिणाम मिलता है जबकि पंत ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से विकेटकीपिंग की कमजोरियों पर चल रही चर्चा को विराम दिया।
भारत ने एडीलेड में पहला टेस्ट मैच आठ विकेट से गंवाने के बाद मेलबर्न में दूसरा मैच आठ विकेट से जीता था। मतलब अब सीरीज 1-1 से बराबर है। चौथा टेस्ट मैच ब्रिसबेन में 15 जनवरी से होगा। भारत इस मैच में जीत दर्ज करने या ड्रा खेलने पर बोर्डर गावस्कर ट्राफी अपने पास बरकरार रखेगा।