राजेंद्र सजवान
पिछले कुछ दिनों में भारतीय खेल जगत ने अनेक महान खिलाडियों और कोचों को खोया है। लेकिन उनका जाना खबर नहीं बन पाया। जिन खिलाडियों ने खेल मैदान में रहते खूब सुर्खियां बटोरीं, देश का मान सम्मान बढ़ाया, दुनिया से उनकी विदाई खबर क्यों नहीं बन पाई? हॉकी, फुटबाल, जूडो और अन्य ओलम्पिक खेलों की हस्तियों का जाना बड़ी खबर इसलिए नहीं बन पाता क्योंकि यह देश क्रिकेट प्रधान है, ऐसा मानना है अन्य खेलों से जुड़े खिलाडियों का। उन्हें लगता है कि देश के मीडिया ने खेलों को दो फाड़ कर दिया है।
क्रिकेटर को जुकाम बुखार हो जाए तो उसकी खबर पूरे देश तक पहुँच जाती है लेकिन बाकी खिलाडी किसी दुर्घटना के शिकार हो जाएं, मर जाएं तो किसी को पता नहीं चलता।
हाल ही में फुटबाल खिलाडियों, हकीकत सिंह, सुभाष भौमिक, सुरजीत सेन गुप्ता, रेफरी और खिलाडी रहे बच्ची राम स्वर्ग सिधारे लेकिन देश के कुछ एक समाचार पत्रों के आलावा अन्य किसी ने उनकी खबर तक नहीं ली।
भारतीय फुटबाल की जानकारी रखने वालों को पता है कि भौमिक और सेन गुप्ता ने डेढ़ दशक तक भारतीय फुटबाल को अपने इशारे पर नचाया तो हकीकत और बच्ची राम के बारे में फुटबाल प्रेमी बेहतर जानते हैं।
देश ने जूडो के पहले द्रोणाचार्य गुरचरण गोगी को भी खो दिया है। ताउम्र जूडो को देने वाले गोगी को शायद ही किसी समाचार पत्र ने स्थान दिया हो। भला हो सोशल मीडिया का जिसने अन्य खेलों को पूरी तरह मरने नहीं दिया है। वरना अख़बारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया ने तो ओलम्पिक और अन्य लोकप्रिय खेलों कि कब्र पहले से ही खोद डाली है।
ओपी नहीं रहे:
दिल्ली और देश की फुटबाल के ग्रेट ग्रैंड फादर ओम प्रकाश मल्होत्रा 92 साल पूरे कर स्वर्ग सिधार गए। ओपी मल्होत्रा सिर्फ एक नाम नहीं है। वह एक ऐसा संस्थान रहे जिसमें सभी खेल समाए हुए थे 1970 से अगले तीस सालों तक जिस किसी ने दिल्ली के खेल मैदानों में पीजीडीएवी कालेज के खिलाडियों की कामयाबी को करीब से देखा, वे ओपी सर से अवश्य परिचित रहे होंगे। पीजीडीएवी कालेज के डीपीई के रूप में उन्होंने खूब प्रसिद्धि पाई।
दरअसल मल्होत्रा के पद पर रहते उनके कालेज ने क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, एथलेटिक और अन्य खेलों में खूब नाम कमाया। कई सालों तक डीएवी के खिलाडियों का दबदबा रहा।
फुटबाल में गंगा, गोपी, अरोरा, टेकचंद, बर्नाड, अधिकारी, दीपक नाथ, जगदीश मल्होत्रा, राय बंधु -सुशांत, अरुण, तरुण, हरेंद्र नेगी, टोनी, सुभाशीष दत्ता, रविंदर रावत, वीरेंद्र मालकोटी, मेस्सी, इंदर राणा, अंजन रॉय, लक्ष्मण बिष्ट, संतोष कश्यप, रुबिन सतीश, जाने माने क्रिकेटर रमन लम्बा, मनोज प्रभाकर, रणधीर,एथलीट रामकुमार और दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाडी ओपी की पैनी निगाहों के सामने अन्तर कालेज और अन्तर यूनिवर्सिटी खेल कर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते चले गए।
कई अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर तैयार करने वाले तारिक सिन्हा भी इसी कालेज के क्रिकेट कोच रहे। ऋषभ पंत के कोच तारिक भी अब हमारेबीच नहीं रहे। लेकिन चूँकि वे ऋषभ के कोच थे इसलिए मीडिया ने उन्हें याद कर लिया।