क्लीन बोल्ड / राजेंद्र सजवान
टोक्यो ओलंपिक के लिए छह सप्ताह का समय बचा है। दुनिया भर के खिलाड़ी अपनी अंतिम तैयारियों को अंजाम दे रहे हैं। पिछले पाँच सालों में किसने क्या सीखा, कैसे खुद को तैयार किया और कहाँ कमी रह गई जैसे सवालों का जवाब शीघ्र मिल जाएगा। लेकिन ग्रेसनोट के सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार भारत टोक्यो में चार स्वर्ण , पांच रजत और आठ कांस्य सहित कुल 17 पदक जीतने जा रहा है।
कंपनी के खेल विश्लेषण प्रमुख साइमन ग्लीव का दावा है कि भारत को सर्वाधिक आठ पदक निशानेबाजी में मिल सकते हैं। मुक्केबाजी में चार, कुश्ती में तीन और तीरंदाजी एवम वेट लिफ्टिंग में क्रमशः एक एक पदक मिलने की संभावना है। ऐसी कामयाबी की उम्मीद भारतीय खेल प्रेमियों के लिए सचमुच बड़ी ख़बर है। यदि सचमुच नतीजे इस कदर शानदार रहते हैं तो भारत का खेल शक्ति बनने का सपना पूरा हो सकता है।
लेकिन 23 जुलाई से आठ अगस्त तक चलने वाले ओलंपिक 2020 के संभावित भारतीय पदक विजेताओं में बैडमिंटन और हाकी टीमों को स्थान नहीं दिया गया है, जबकि भारतीय ओलंपिक समिति और अन्तरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा पहले ही कह चुके हैं कि पुरुष और महिला हॉकी टीमें ओलंपिक में पदक जीतने जा रही हैं।
आईओए अध्यक्ष की हैसियत से वह दावा करते हैं कि भारत टोक्यो में कम से कम दस पदक जीतेगा। कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया खेल मंत्री किरण रिजिजू की भी रही है। वह भी बड़े सपने देख रहे हैं।
एक तरफ तो हमारे जिम्मेदार लोग महामारी का रोना रो रहे हैं, तैयारी में बाधाओं का बहाना अभी से बनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ आलम यह है कि पदक की दावेदारी बढ़ चढ़ कर ठोकी जा रही है।
इस बारे में खेल एक्सपर्ट्स से पूछें तो कहते हैं कि भारत को तब ही ज्यादा पदक मिल सकते हैं यदि कोरोना के डर से कुछ देश ओलंपिक में भाग नहीं ले पाते। यह न भूलें की रियो से पहले भी एक कंपनी ने दर्जन भर पदक जीतने का झूठा सपना दिखाया था।
खेल प्रेमी यह भी जानते हैं कि रियो ओलंपिक से पहले तत्कालीन खेल मंत्री सोनोवाल ने भी दर्जन भर पदक जीतने का दावा किया था। लेकिन मिले सिर्फ दो पदक। तब सोनोवाल यह नहीं बता पाए थे कि किन किन खेलों में पदक अपेक्षित हैं।
उन्हें खेल और खिलाड़ियों की जानकारी थी ही नहीं । बस जैसे तैसे समय बिता रहे थे। उनका लक्ष्य तो असम का सीएम बनने का था। किरण रिजिजू की राजनीतिक महत्वकांक्षा का भी जल्द पता चल जाएगा।
बेशक, अब वक्त खोखले दावे करने का नहीं है। हमें अपने खिलाड़ियों पर भरोसा रखना है। उन्हें श्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहन की जरूरत है। बेहतर होगा खेल मंत्रालय और आईओए के जिम्मेदार लोग खोखले दावे कर खिलाड़ियों पर दबाव न डालें। उन्हें अपना काम बखूबी करने के लिए बढावा दें।