क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान
भारतीय खेलों पर सरसरी नज़र डालें तो देश का नाम रोशन करने वाले ज्यादातर खिलाड़ी, कोच, खेलरत्न, अर्जुन अवार्डी और द्रोणाचार्य किसान परिवारों से हैं। उनके माता पिता ने खेती में खून पसीना बहाकर न सिर्फ अपने परिवार पाले, देश को चैंपियन भी दिए।
दद्दा ध्यानचंद, बलबीर महान, अजीतपाल, मिल्खा सिंह, पीटी उषा, सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, विजेंदर सिंह,मैरीकॉम, सतपाल, करतार, मल्लेश्वरी और सैकड़ों अन्य अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों के बाप-दादा किसान थे। आज सरकार उनकी किसानी को कानूनों के नीचे दबाने पर तुली है, जिसे काले कानून का नाम दिया जा रहा है। नतीजन किसान परिवारों से निकले हजारों खिलाड़ी सरकार के विरुद्ध सीना तान कर खड़े हो गए हैं। कई एक 5 दिसंबर को राष्ट्रपति को अपने खेल सम्मान लौटने दिल्ली पहुंच रहे हैं।
अन्नदाता की औलाद हैं:
“हम उन अन्नदाताओं के बच्चे हैं, जिन्होंने खुद को चिलचिलाती धूप में जला कर और बारिश में तर बतर हो कर हमें पाला और देश की सेवा करने के काबिल बनाया। हमें जो भी मान सम्मान मिले, मां बाप के त्याग और तपस्या का प्रसाद हैं। लेकिन जब देश के नेता हमारे महान माता पिता पर पानी की बौछार करवाएंगे, आंसू गैस के गोले फेंकेंगे और लाठियों से पीटेंगे तो हमें कदापि बर्दाश्त नहीं होगा,” भारत के सर्वकालीन श्रेष्ठ पहलवानों में शामिल और पंजाब पुलिस के शीर्ष अधिकारी रहे करतार सिंह ने देश के किसानों के साथ हो रहे सरकारी अत्याचार के बारे में अपनी पीड़ा व्यक्त की और कहा कि देश के तमाम खिलाड़ी किसानों के साथ हैं।
राजबीर कौर भी लौटाएँगी सम्मान:
करतार सिंह भारत के ऐसे अकेले पहलवान हैं, जिसने एशियाई खेलों में दो स्वर्ण पदक सहित कुल तीन पदक जीते हैं। महिला हॉकी में सबसे बड़ा कद रखने वाली राजबीर कौर राय और उनके पति गुरमेल भी किसानों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार की भत्सर्ना करते हैं। राजबीर कहती हैं कि राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री पुरस्कारों को वापस लौटाने के लिए पंजाब के तीस से अधिक शीर्ष खिलाड़ी दिल्ली कूच कर चुके हैं। उनके साथ कई अन्य खिलाड़ी और खेल संस्थाएं भी अपने अपने स्तर पर प्रयासरत हैं और इस महाअभियान में शामिल हैं।
क्यों गुस्से में है चीमा:
बास्केट बाल के जाने माने खिलाड़ी और अर्जुन अवार्डी सज्जन सिंह चीमा कहते हैं कि जिन किसानों के दम पर 140 करोड़ भारतीय जिंदा हैं, उनके साथ हैवानों सा व्यवहार क्यों? वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं तो लाठी क्यों, क्यों उन पर आंसू गैस छोड़ी जा रही ही? वह हरियाणा सरकार के व्यवहार से बेहद नाराज हैं और पूछते हैं कि जो सरकार इस कदर निर्दयता दिखा रही है वह खेल प्रेमी होने का दावा कैसे कर सकती है!
सरकार गुमराह न करे:
शाटपुटर बलविंदर सिंह और हॉकी ओलंपियन सुरेंदर सिंह सोढ़ी और दर्जनों अन्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी सरकार के रवैये से नाराज हैं। जाने माने हॉकी द्रोणाचार्य बलदेव सिंह और मिस्टर यूनिवर्स बॉडी बिल्डर प्रेम चंद डेगरा हैरान हैं कि सरकार किसानों के साथ जोर जबरदस्ती क्यों कर रही है? क्यों उन लोगों को परेशान किया जा रहा है जो देश का पेट भर रहे हैं? बलदेव कहते हैं कि पंजाब और देश के किसान अगर खुश नहीं होंगे तो देश भी खुश नहीं रह पाएगा। वह चाहते हैं कि सरकार गुमराह करने वाले कानून में बदलाव करे। वरना किसान चैंपियन खिलाड़ियों की खेती कैसे कर पाएंगे?