राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड
‘एक दिन अपना देश आजाद होगा। गगन में अपना झंडा लहराएगा और हम खुली हवा में सांस लेंगे’, भारतीय हॉकी के सर्वकालीन श्रेष्ठ खिलाड़ी सरदार बलबीर सिंह ने अपने पिता के इस दृढ़ विश्वास का जिक्र, 12 अगस्त 1948 में किया था। वह दिन भारतीय इतिहास के गौरवशाली दिनों में से एक था, क्योंकि उस दिन भारतीय हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हरा कर आज़ाद भारत के लिए किसी भी खेल का पहला स्वर्ण पदक जीता था।
तारीफ की बात यह थी कि जिस देश ने हमें वर्षों तक गुलाम बना कर रखा उसको उसी की मांद में हराया। लंदन में जब पहली बार तिरंगा लहराया तो पूरा भारत गर्व के साथ झूम उठा था। विजेता भारत के लिए उसके उभरते स्टार खिलाड़ी 23 वर्षीय बलबीर सिंह सीनियर ने फाइनल में दो और कुल छह गोल बनाए थे।
पहली बार राष्ट्र गान:
भारत वासियों के लिए स्वतंत्रता की पहली वर्षगांठ से तीन दिन पहले हॉकी ने बड़ा तोहफा दिया। गोरों की छाती पर तिरंगा लहराया गया और जन गण मन… की गूंज पूरी दुनिया ने किसी बड़े मंच पर पहली बार सुनी। पहली बार खेल जगत को पता चला कि भारत ने आज़ादी के बाद भी हॉकी जादूगर दद्दा ध्यानचंद की धरोहर को बचाए रखा है।
इसके साथ ही गुलामी से मुरझाए 33 करोड़ भारतीय चेहरों पर मुस्कान दौड़ गई, जिसे हमारे हॉकी नायकों ने आगे भी बरकरार रखा। बेशक, भारतीय जीत के नायक बलबीर सीनियर रहे, जिन्होंने अपने कौशल से भारत को 1952 और 1956 के ओलंम्पिक खेलों में भी विजयी बनाया था।
बलबीर सीनियर की बिटिया सुशबीर भोमिया और नाती कबीर भोमिया के अनुसार बलबीर जी अक्सर 12 अगस्त 1948 की जीत का उल्लेख करते हुए भावुक हो जाते थे। वह दौर था जब आम देशवासी गुलामी और विभाजन की त्रासदी से उबरने की कोशिश में लगा था।
अपनी बेटी और नाती पोतों के साथ अपने अनुभव बाँटते हुए बलबीर ने हमेशा ही पहली बार तिरंगा फहराने का उल्लेख किया। आज़ादी के बाद भारत की किसी भी खेल में यह सबसे बड़ी उपलब्धि थी, जिसका जश्न आज़ाद भारत ने साल भर पहले मिली आज़ादी के जश्न की तरह बढ़ चढ़ कर मनाया।
महान टीम को सलाम:
आज़ादी के बाद हुए विभाजन का सीधा असर भारतीय हॉकी पर भी पड़ा। कई प्रतिभावान खिलाड़ी पाकिस्तान के हो गए। लेकिन भारत ने गज़ब का प्रदर्शन करते हुए आज़ादी के बाद खेले गए पहले ही ओलंम्पिक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 8-0 से और अगले मुकाबले में अर्जेन्टीना को 9-1 से रौंदा डाला। फिर स्पेन , नेदरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन को हराते हुए अपना चौथा ओलंम्पिक स्वर्ण जीत लिया। पाकिस्तान चौथे स्थान पर रहा।
तिरंगे की छांव में राष्ट्रगान और हॉकी की शान बघारने वाले हॉकी वीरों को याद करना बनता है। चैंपियन टीम के कप्तान किशन लाल और उपकप्तान केडी सिंह बाबू थे। अन्य खिलाड़ी हैं-लिवो पिंटो, फ्रांसिस, त्रिलोचन सिंह, अख्तर हुसैन, डिसूजा, आर एस जेंटल, केशव दत्त, मैक्सी वाज, जसवंत सिंह, एल क्लाडियस, अमीर कुमार, फर्नांडीज, लतीफुर रहमान, पाल जेनसन, रॉड्रिग्ज, क्लाइकेन, बलबीर सिंह, नंदी सिंह।