क्लीन बोल्ड / राजेंद्र सजवान
जैसे जैसे कोरोना अपना चरित्र बदल रहा है देश और दुनिया के डाक्टर, वैज्ञानिक खेल वैज्ञानिक और अन्य शोध कर्ता भी अपनी अपनी डफली अपना अपना राग अलाप कर आम आदमी को हैरान परेशान कर रहे हैं। हर एक अपना ज्ञान बघार रहा है। सच तो यह है कि इस धरती पर कोई भी ऐसा तंत्र मंत्र नहीं जोकि कोरोना से बचाव के लिए राम बाण कहा जा सके।
किसी ओझा या झाड़ फूंक वाले के पास भी कोई इलाज नहीं है। इतना ज़रूर है कि जो लोग व्यायाम ,कसरत या योग से जुड़े है और नियमित रूप से इन गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं, उनको कोविड-19 ज़्यादा भारी नहीं पड़ने वाला।
यह सच है कि दुनिया भर में पिछले एक साल से भी अधिक समय से लाखों बच्चे, युवा, अधेड़ और बुजुर्ग पुरुष और महिलाएँ कोरोना के शिकार हुए। लेकिन जितनी भी मौतें हुई हैं उनमें से अधिकांश ऐसे अभागे थे जोकि पहले से ही गंभीर बीमारियों के शिकार थे। मसलन हृदय रोग, ब्लड प्रेसर, शुगर, अस्थमा, मानसिक तनाव, कैंसर आदि आदि।
दुनियाभर में मरने वालों में कोई भी नामी खिलाड़ी शामिल नहीं है। शायद ही कभी किसी बड़े और स्टार खिलाड़ी को कोरोना हरा पाया होगा। हालाँकि अनेक खिलाड़ी भी इस अवधि में काल के गाल में समा गए पर उनमे ऐसे ज़्यादा हैं जोकि अन्य बीमारियों से ग्रस्त थे और उनका बाक़ायदा इलाज चल रहा था। कोरोना को ऐसे बीमार लोग आसान शिकार नजर आए।
ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, इटली आदि विकसित देशों के शोध कर्ताओं, वैज्ञानिकों और मेडिकल साइंस के विख्यात लोगों का मानना है कि जो व्यक्ति कोविड 19 की चपेट में आने से पहले किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक कसरत करता रहा है और योग एवम् व्यायाम को उसने अपनी दिनचर्या में शामिल किया है तो कोई भी महामारी उसे ज़्यादा नुकसान नहीं पहुँचा सकती।
नामी फुटबालर पुर्तगाल के क्रिटियानों रोनाल्डो, ब्राज़ील के नेमार जूनियर, नंबर एक गोल्फर डॅस्टिन, विख्यात टेनिस खिलाड़ी जोकोविच, , विश्व नंबर एक पहलवान विनेश फोगाट, भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम के दर्जन भर खिलाड़ी, अनेक बैडमिंटन खिलाड़ी, तैराक, पहलवान, मुक्केबाज़ कोरोना की चपेट में आए और तुरंत ठीक भी हो गए। तारीफ की बात यह है कि कोरोना काल में भी उनका विजय अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है|
स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट और भारतीय खेल प्राधिकरण के रिसोर्स पर्सन रहे डाक्टर सरनजीत सिंह ने ब्रिटिश जर्नल आफ मेडिसिन और कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के उस शोध को कारगर बताया है, जिसमें कहा गया है कि शारीरिक व्यायाम से दूर रहने वालों की तुलना में किसी खिलाड़ी की कोरोना से मौत का खतरा ढाई गुना कम होता है। यही कारण है कि भारत सहित दुनियाभर के देशों के हज़ारों खिलाड़ी कोरोना की चपेट में आए और आसानी से उसे हरा कर फिर से खेल मैदान में उतर रहे हैं।
अपने देश में कुछ बॉडी बिल्डर्स, पावर लिफ्टर और कुछ अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी कोरोना से नहीं लड़ पाए और उनकी मौत हो गई। डॉक्टर सिंह के अनुसार उन्हें कुछ और बीमारी रही होगी।हो सकता है जिन खिलाड़ियों की मृत्यु हुई है, वे सप्लीमेंट लेते हों और कोरोना का कहर झेलने में नाकाम रहे।
कुल मिला कर यह साबित हो गया है कि कोई भी खिलाड़ी या नियमित व्यायाम करने वाला आम इंसान कोरोना से न सिर्फ टक्कर ले सकता है अपितु उसे हरा भी सकता है।
Aapka lekh purei samaj aur khiladio kei liyei nayi sufurti bhar dega..jo koi kisii bhi khel ya yog sei niyamit dhung sei juda hai practice krta uska corona kuch nhi bigad sakta aur hua bhi to recovery ho jaiegi…khel hum na kewal swast aur furtilla banata hai balki kathin samay mei ladnei ki kala aur tarika sikhata hai…..ek alag tarah ki positivity deta hai jis sei hum kissi bhi badi sei badi dikkat pareshani
Sei asani sei bahar aa sktei hai…..
Khel aur yog he asli jewan hai. 🙏🍁