नब्बे पार का बोझ उतार फेंका नीरज ने

- लगातार दो ओलम्पिक गेम्स के मेडलिस्ट नीरज नब्बे के एलीट ग्रुप में शामिल हो गए हैं
- उन्होंने शुक्रवार रात को दोहा डायमंड लीग 2025 की पुरुष जेवेलिन थ्रो में 90.23 मीटर का मुकाम पहली बार हासिल करके यह कारनामा किया
- पूर्व ओलम्पिक व वर्ल्ड चैम्पियन नीरज ने अपने आलोचकों के तमाम सवालों का जबाव दे दिया बाल्कि भारतीय खेल प्रेमियों की उम्मीदों को पूरा किया
- उनका वर्तमान प्रदर्शन दिखाता है कि उनके अंदर अब भी दमखम है और वह अगले ओलम्पिक में पदक की हैट्रिक पूरी करने उतरेंगे
- सेना ने अपने गोल्डन जेवलिन थ्रोअर को अपने साथ बनाए रखने के लिए उसे पिछले हफ्ते टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद प्रदान किया, क्योंकि वह बतौर सुबेदार मेजर पद से इस साल रिटायर होने जा रहे थे
अजय नैथानी
भारतीय एथलेटिक्स के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा का वो लंबा इंतजार आखिरकार समाप्त हो गया, जब उन्होंने 90 मीटर का आंकड़ा छूकर न केवल अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि देश के खेल प्रेमियों के सवालों और अपने करियर को लेकर लग रहीं तमाम अटकलों पर अपना भाला गाड़ दिया। लगातार दो ओलम्पिक गेम्स के मेडलिस्ट नीरज ने शुक्रवार रात को दोहा डायमंड लीग 2025 की पुरुष जेवेलिन थ्रो में 90.23 मीटर का मुकाम पहली बार हासिल करके यह कारनामा किया। अपने चमकदार करियर के दौरान पूर्व ओलम्पिक व वर्ल्ड चैम्पियन रहे नीरज से उनके आलोचक हमेशा सवाल करते रहे थे कि कब वो नब्बे के पार पहुंचेगा?
अपनी इस नई उपलब्धि के बाद 27 वर्षीय नीरज ने कहा, “मैं खुश हूं। 90 मीटर काफी लोगों का सवाल था। कई बोलते भी थे कि नहीं हो पाएगा। मेरा तो नहीं लेकिन कहीं न कहीं भारतीयों का बोझ दूर हो गया है।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे यही लगता है कि मैं और अच्छा थ्रो कर सकता हूं और इस साल करूंगा भी। जैसे मैंने लगातार 88-89 का थ्रो किया था, अब कोशिश करेंगे कि 90 या 90 से ज्यादा के थ्रो लगाएं।” जैसा कि आप जानते हैं कि सेना ने अपने गोल्डन जेवलिन थ्रोअर को अपने साथ बनाए रखने के लिए उसे पिछले हफ्ते टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद प्रदान किया, क्योंकि वह बतौर सुबेदार मेजर पद से इस साल रिटायर होने जा रहे थे।
ज्ञात हो कि नीरज चोपड़ा 2020 में टोक्यो ओलम्पिक में गोल्ड और चार साल बाद पेरिस में सिल्वर पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा वह 2023 में बुडापेस्ट में वर्ल्ड चैंम्पियन और हांगझोउ में एशियन चैंम्पियन बने थे। लिहाजा, उनके निरंतर प्रदर्शन को देखते हुए एथलेटिक्स खासतौर पर जेवलिन थ्रो पर रुचि रखने वाले भारतीय खेल प्रेमियों की उनके नब्बे मीटर के क्लब में शामिल होने की उम्मीदें बढ़ गई थीं और आलोचक भी बार-बार नब्बे पार का सवाल दागते रहे थे, जिसका जवाब इस गोल्डन बॉय ने आखिरकार दे दिया। उनका वर्तमान प्रदर्शन दिखाता है कि उनके अंदर अब भी दमखम है और वह लंबे समय तक भारत की पदक की उम्मीद बने रहे हैं और अगले ओलम्पिक में पदक की हैट्रिक पूरी करने उतरेंगे।