अब कॉमनवेल्थ हॉकी में पूरा दमखम दिखाएगा भारत!

क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान

एशियाई खेल  स्थगित(रद्द) हो गए हैं, जो कि हांगझोऊ में 10 से 25 सितंबर तक खेले जाने वाले थे। चीन में लगातार बढ़ रहे कोरोना महामारी के मामलों में हो रही बढ़ोतरी के मद्देनजर आयोजन समिति ने इस खेल प्रतियोगिता के आयोजन को लेकर असमर्थता व्यक्त की है। आयोजन कब होगा और किस देश में किया जाएगा, कुछ भी तय नहीं है।

    टोक्यो ओलंम्पिक में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय खिलाड़ी एशियाड में अपना श्रेष्ठ देने की तैयारी में जुटे थे लेकिन एशियाई खेल आयोजन समिति  के हाथ खड़े करने के बाद तमाम एशियाई देशों के खिलाड़ी सकते में हैं। उनकी कड़ी मेहनत और उम्मीदों पर पानी फिरता नज़र आ रहा है। जहां तक हमारे खिलाड़ियों की बात है तो टोक्यो ओलंम्पिक की काँस्य पदक विजेता पुरुष हॉकी टीम दुविधा में पड़ गई है।

    हॉकी प्रेमी जानते हैं कि टोक्यो में भारत 42 साल बाद ओलंम्पिक पदक जीतने में सफल रहा था। चूंकि हॉकी देश का सबसे लोकप्रिय ओलंम्पिक खेल है इसलिए खेल की गरिमा को बनाए रखने के लिए हॉकी इंडिया ने कॉमनवेल्थ खेलों में ‘बी’ टीम उतारने और एशियाड में पूरी ताकत के साथ उतरने का ऐलान किया था। कॉमनवेल्थ खेल 28जुलाई से 8 अगस्त 2022 तक बर्मिंघम में आयोजित किए जाने हैं।

    क्योंकि एशियाई खेलों के आयोजन को लेकर कुछ भी तय नहीं है इसलिए अब भारतीय हॉकी के लिए कॉमनवेल्थ खेल बड़ी चुनौती बन गए हैं। ज़ाहिर है हॉकी इंडिया को एक बार फिर से टीम के गठन पर विचार करना पड़ सकता है। हॉकी जानकार,  हॉकी प्रेमी  और पूर्व ओलंपियन चाहते हैं कि कॉमनवेल्थ खेलों में भारत पूरी ताकत के साथ उतरे और खिताब जीत कर देशवासियों को बताए कि अब भारतीय हॉकी पुराने तेवरों के साथ लौट आई है।

    जहां तक कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय प्रदर्शन की बात है तो इस आयोजन में भारत का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है। यही कारण है कि जब हॉकी इंडिया ने एशियाड में मजबूत और कॉमनवेल्थ में कमजोर टीम उतारने का इरादा ज़ाहिर किया तो कुछ एक ने उलाहना दिया कि भारतीय हॉकी ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड जैसी टीमों से खौफ खाती है। खासकर, ऑस्ट्रेलिया तो कई बार राउंड चुका है। भाग लेने वाली अन्य प्रमुख टीमें पाकिस्तान, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका हैं।

     कॉमनवेल्थ खेलों में ऑस्ट्रेलिया ने अधिकांश अवसरों पर भारत को कमजोर प्रतिन्द्वन्दी साबित किया है। इंग्लैंड और न्यूजीलैंड का रिकार्ड भी शानदार रहा है।

    अब चूंकि एशियाई खेलों  को लेकर कुछ भी तय नहीं है तो क्या अब भारतीय हॉकी की पहली प्राथमिकता कॉमनवेल्थ खेल बन पाएंगे? ऐसा होना भी चाहिए।

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