एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा, संतोष ट्रॉफी को विशेष दर्जा दिलाया जाएगा

एआईएफएफ की योजनाओं में डूरंड की दिल्ली वापसी का मुद्दा शामिल

कल्याण चौबे ने दिल्ली को फुटबॉल की आदर्श यूनिट बताया

एआईएफएफ के अध्यक्ष की प्राथमिकता में स्वदेशी कोच भी शामिल

राजेंद्र सजवान

“हम भारतीय फुटबॉल में ऐसा कुछ करने जा रहे हैं जो कि आज तक कभी नहीं हुआ।” यह कहना था अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष और पूर्व खिलाड़ी कल्याण चौबे का। कल्याण चौबे ने दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (फुटबॉल दिल्ली) द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में अपनी एआईएफएफ टीम की भावी योजनाओं के बारे में बताते हुए भारतीय फुटबॉल को ग्रासरूट स्तर से सुधार की जरूरत पर बल दिया।

  

एआईएफएफ के अध्यक्ष के अनुसार हमारे खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। बस उन्हें सही उम्र में, सही शिक्षण-प्रशिक्षण देना होगा। उन्होंने फेडरेशन महासचिव शाजी प्रभाकरन, डीएसए के कार्यकारी अध्यक्ष   शराफत उल्लाह और अन्य पदाधिकारियों  की उपस्थिति में फेडरेशन की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से विचार व्यक्त किए और कहा कि संतोष ट्रॉफी के लिए राष्ट्रीय फुटबॉल चैम्पियनशिप में सुधार उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है।

उल्लेखनीय है कि कल्याण चौबे ने कुछ माह पूर्व ही एआईएफएफ का शीर्ष पद संभाला है। डीएसए के पूर्व अध्यक्ष शाजी फेडरेशन महासचिव के रूप में उनकी टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस अवसर पर शाजी ने फुटबॉल दिल्ली की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि चूँकि कल्याण खुद एक जाने-माने खिलाड़ी रहे हैं इसलिए वह भी फुटबॉल दिल्ली के आदर्श मॉडल से प्रभावित हैं। क्योंकि चौबे मोहन बागान और ईस्ट बंगाल जैसी टीमों के जाने-माने गोलकीपर की भूमिका निभा चुके हैं इसलिए वह भारतीय फुटबॉल को बखूबी समझते हैं।

 

शाजी के अनुसार अध्यक्ष महोदय संतोष ट्रॉफी की तरह डूरंड कप और अन्य बड़े आयोजनों को नए सिरे से, नए रूप रंग के साथ फुटबॉल प्रेमियों के सामने लाना चाहते हैं और इस दिशा में बाकायदा काम शुरू हो गया है। उनके नेतृत्व में फेडरेशन वो सब कर रही है जो कि आज तक देखने को नहीं मिला। मसलन छोटे आयु वर्ग से खिलाड़ियों को तैयार करना, संतोष ट्रॉफी का पुराना गौरव लौटाना  और तमाम इकाइयों को नए सिरे से गठित करना।

 

  कल्याण चौबे दिल्ली में फुटबॉल की लोकप्रियता और डीएसए अधिकारियों और खिलाड़ियों को बखूबी जानते पहचानते हैं। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट डूरंड कप दिल्ली में ही जंचता है और उनका प्रयास शीघ्र अति शीघ्र डूरंड कप को दिल्ली वापस लाना है।

 

   एक सवाल के जवाब में एआईएफएफ के अध्यक्ष ने विदेशी कोचों के अब तक के प्रदर्शन पर नाखुशी जाहिर की और कहा कि हम स्वदेशी के नारे को तब ही साकार कर पाएंगे, जब अपने कोचों को सम्मान देंगे। वह चाहते हैं कि विदेशियों पर बेकार का खर्च करने की बजाय अपने कोचों पर विश्वास व्यक्त करना होगा।

   सऊदी अरब में संतोष ट्रॉफी के सेमीफइनल और फाइनल मुकाबले आयोजित करने के पीछे तर्क दिया कि ऐसा करने से हमारे खिलाड़ी विदेश में घर जैसा फील करेंगे और संतोष ट्रॉफी के साथ एक तरह का सम्मान भी जुड़ेगा।

 

   फीफा विश्व कप में कौन सा देश खिताब जीतने का दावेदार है, इस बारे में उन्होंने इतना ही कहा कि कोई भी जीत सकता है लेकिन वह भारत को सिर्फ फीफा कप में खेलते देखना चाहते हैं।

   डीएसए के क्लब अधिकारियों और अन्य फुटबॉल हस्तियों ने उस वक्त जोरदार तालियां बजाई जब कल्याण चौबे ने दिल्ली को फुटबॉल की बेहतरीन यूनिट बताया और कहा कि दिल्ली हमेशा उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगी।

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