- बाईचुंग मानते हैं कि उम्र की धोखाधड़ी हमारी फुटबॉल को बर्बाद कर रही है और नतीजन कई प्रतिभाएं छोटी उम्र में ही मैदान छोड़ देती हैं
- उनके अनुसार, 12 से 17 साल तक की उम्र के खिलाड़ियों को यदि उम्र की हेराफेरी से बचाया जा सका तो हम आने वाले सालों में अच्छी टीम बनकर उभर सकते हैं
- पूर्व भारतीय कप्तान ने बताया कि बाईचुंग भूटिया फुटबॉल स्कूल खिलाड़ियों के चयन और उनके एकेडमी में प्रवेश के लिए सभी प्रकार की शर्तों और नियमों का बखूबी पालन कर रहा है
राजेंद्र सजवान
बाईचुंग भूटिया उन बिरले भारतीय फुटबॉल खिलाड़ियों में हैं, जो कि भारतीय फुटबॉल के पतन काल में धुंधली रोशनी बनकर टिमटिमाते रहे हैं और फिर एक दौर ऐसा भी आया, जब भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे। हल्की-फुल्की ही सही कुछ यादगार जीतों में उनकी भूमिका प्रमुख खिलाड़ी की रही। वही, बाईचुंग आज अपना फुटबॉल स्कूल चलाते हैं, जिसमें हजारों बच्चे प्रशिक्षण पा रहे हैं।
हाल ही में बाईचुंग भूटिया फुटबॉल स्कूल ने साउथैंप्टन फुटबॉल क्लब के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत इंग्लिश प्रीमियर लीग के सबसे पुराने क्लबों में शामिल साउथैंप्टन के जाने-माने कोच और पूर्व खिलाड़ी भूटिया फुटबॉल एकेडमी के कोचों व खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करेंगे। बाईचुंग के साथ करार पर हस्ताक्षर करने वालों में क्लब के पूर्व चैम्पियन खिलाड़ी मैथ्यू ले टिसियर बीबीएफएस के को-फाउंडर और सीईओ किशोर टैड शामिल हैं। साउथैंप्टन के कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी समय-समय पर बीबीएफएस के उभरते खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देंगे। इस अवसर पर बाईचुंग एक सवाल के जवाब में ‘एज फ्रॉड’ पर बोले।
बाईचुंग मानते हैं कि एज फ्रॉड भारतीय फुटबॉल का कैंसर है, जिसे रोकने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन बड़ी उम्र के खिलाड़ियों की घुसपैठ को कुछ हद तक कम किया गया है पर पूरी तरह से रोक पाने में सफलता नहीं मिल पाई है। पूर्व भारतीय कप्तान के अनुसार, बाईचुंग भूटिया फुटबॉल स्कूल खिलाड़ियों के चयन और उन्हें एकेडमी में प्रवेश के लिए सभी प्रकार की शर्तों और नियमों का बखूबी पालन कर रहा है। यदि कोई खिलाड़ी उम्र को घटाने का दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान है।
बाईचुंग और उसके बाद सुनील छेत्री ने फुटबॉल जगत में छोटी उम्र से ही नाम कमाया और आगे चलकर भारतीय फुटबॉल में बड़ा नाम बनकर उभरे। बाईचुंग मानते हैं कि उम्र की धोखाधड़ी हमारी फुटबॉल को बर्बाद कर रही है। नतीजन कई प्रतिभाएं छोटी उम्र में ही मैदान छोड़ देती हैं। उनके अनुसार, 12 से 17 साल तक की उम्र के खिलाड़ियों को यदि उम्र की हेराफेरी से बचाया जा सका तो हम आने वाले सालों में अच्छी टीम बनकर उभर सकते हैं।