June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टार आरपी बोले, भारतीय हॉकी में बड़े बदलाओं की जरूरत

उत्तर प्रदेश सरकार में खेल निदेशक राम प्रकाश सिंह ने ग्रास रूट पर हॉकी को बढ़ावा देने की बात कही

उन्होंने कहा, खिलाड़ी जब परिपक्व हो जाते हैं तो उन्हें विदेशी कोचों के हवाले करने में कोई फायदा नहीं है

वह मानते हैं कि भारतीय कोच उपेक्षित हैं लेकिन कोचों को भी आधुनिक हॉकी के अनुरूप ढलना होगा

राजेंद्र सजवान

सालों पहले राष्ट्रीय हॉकी टीम के कोच ने जब एक खिलाड़ी को उसके लंबे बाल काटने के लिए कहा तो उसने साफ इंकार कर दिया और कहा कि भले ही टीम से निकाल दें लेकिन कंधे तक लटके बालों को नहीं कटवाएंगे। कोच और खिलाड़ी में तनातनी हुई लेकिन मामला जैसे-तैसे निपट गया।

 

  देवरिया के चुरिया गांव का यह लंबे घुंघराले बालों वाला अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी आज उत्तर प्रदेश सरकार का खेल निदेशक है, नाम है- राम प्रकाश सिंह, जिसे आरपी के नाम से पुकारा और पहचाना जाता है और कोच थे जाने-माने ओलम्पियन एमपी गणेश। अस्सी के दशक के इस बांके और बहुचर्चित खिलाड़ी के अपने चाहने वाले थे। लंबे बाल और दाएं छोर से तेज और सटीक क्रॉस फेंकना आरपी की खास पहचान रहे। सालों बाद आरपी से  उनके लखनऊ स्थित केडी बाबू स्टेडियम  कार्यालय में मिलने का मौका मिला तो पाया कि आज भी वही स्टाइल लिए हैं। कुछ पुरानी यादें साझा करने के बाद उनसे भारतीय हॉकी की दयनीय हालत पर भी विचार-विमर्श हुआ।

  

बेशक, आरपी भी भारतीय हॉकी के हाल के प्रदर्शन से नाखुश हैं। खासकर, अपनी मेजबानी में आयोजित विश्व कप में नौवें स्थान पर रहना बेहद दुखद मानते हैं। हालांकि वे हॉकी इंडिया में शामिल हैं लेकिन बिना किसी दबाव के कहते हैं कि यदि उनकी बात को वजन मिला तो हॉकी की सेवा करेंगे। आरपी चाहते हैं कि देश में हॉकी को जमीनी स्तर से सुधारने की जरूरत है। खिलाड़ी जब परिपक्व हो जाते हैं तो उन्हें विदेशी कोचों के हवाले करने में कोई फायदा नहीं है। वह मानते हैं कि भारतीय कोच उपेक्षित हैं लेकिन कोचों को भी आधुनिक हॉकी के अनुरूप ढलना होगा।

  

उन्होंने यह भी माना कि टीम में ज्यादातर खिलाड़ी स्तरीय नहीं हैं। उनका श्रेष्ठ काफी पीछे छूट गया है। फिर भी उन्हें बेवजह ढोया जा रहा है। भारतीय खेलों में हो रही उम्र की धोखधड़ी से भी वह परिचित हैं और मानते हैं कि कई बड़ी उम्र के खिलाड़ी असली प्रतिभाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बेहतर होगा राष्ट्रीय टीम में शामिल ऐसे बूढ़े खिलाड़ियों को निकाल बाहर कर दिया जाए। क्या कारण है कि हमारे खिलाड़ी पेनल्टी कॉर्नर पर न तो गोल कर रहे हैं और ना ही बचाव कर पाते हैं? आरपी ने माना कि यह बड़ी समस्या है क्योंकि प्राय: पेनल्टी कॉर्नर ही मैचों की हार जीत तय करते हैं।

पिछले दो-तीन दशकों में भारतीय हॉकी प्रेमियों ने स्टेडियम का रुख करना और हॉकी देखना बंद का दिया है। मीडिया भी रुचि नहीं ले रहा और खिलाड़ियों को नौकरियां नहीं मिल रहीं। ऐसा क्यों हो रहा है? इन सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने माना कि कभी शिवाजी  और अन्य स्टेडियम खचाखच भरे होते थे और विभागीय टीमों में अच्छे खिलाड़ियों को शामिल किया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन और रोजगार जरूरी है। इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा। होना यह भी चाहिए कि हमारे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सिर्फ कैंप और विदेश दौरों तक सीमित न रहें। उन्हें राष्ट्रीय आयोजनों में भी भाग लेना चाहिए।

More Stories

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *