राम…लाल…सिंह…को दिल्ली की फुटबॉल भुला नहीं पाएगी

सर्व श्री बच्ची राम, सरदार हकीकत सिंह और किशोरी लाल का जाना दिल्ली की फुटबॉल बिरादरी में तब तक चर्चा का विषय बना रहेगा

फुटबॉल और हॉकी के अच्छे खिलाड़ी और रेफरी-अंपायर रहे बच्ची राम ने सबसे ज्यादा नाम सम्मान अपने मजाकिया अंदाज से कमाया

दिल्ली के चैम्पियन क्लब शिमला यंग्स के सर्वकालीन श्रेष्ठ गोलकीपर का सम्मान प्राप्त रेलवे के खिलाड़ी हकीकत सिंह को सहजता से श्रेष्ठ गोली आंका जा सकता है

किशोरी लाल को उनके करीबी अक्सर दिल्ली फुटबॉल का गांधी भी कहते थे

राजेंद्र सजवान

पिछले कुछ महीनों में दिल्ली की फुटबॉल ने अपने कुछ ऐसे समर्पित योद्धाओं को खोया है जो कि मैदान और मैदान के बाहर खूब चर्चित रहे। सर्व श्री बच्ची राम, सरदार हकीकत सिंह और किशोरी लाल का जाना फुटबॉल बिरादरी में तब तक चर्चा का विषय बना रहेगा जब तक देश की राजधानी में फुटबॉल खेली जाती रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ये नाम अपने आप में खास थे और बहुत करीब से दिल्ली सॉकर एसोसिशन और हर छोटे बड़े खिलाड़ी से जुड़े हुए थे।

  

बच्ची राम ऐसी शख्सियत थे जिसे देश के फुटबॉल और हॉकी खिलाड़ी बखूबी जानते पहचानते थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री बच्ची दोनों ही खेलों के अच्छे खिलाड़ी और रेफरी-अंपायर रहे। लेकिन सबसे ज्यादा नाम सम्मान उन्होंने अपने मजाकिया अंदाज से कमाया। शायद ही ऐसा कोई खिलाड़ी, कोच या अधिकारी रहा होगा जिसकी उन्होंने हंसी-हंसी में खिल्ली न उड़ाई हो। बी.बी. स्टार्स फुटबॉल क्लब के संस्थापक और रीड रहे बच्ची राम को न सिर्फ देश के नामी और गली कूचे के फुटबॉलर जानते पहचानते थे, फुटबॉल प्रेमियों के बीच भी हमेशा चर्चा का विषय रहे। भले ही उन्होंने जीवन के अंतिम वर्ष इंफाल में अपने ससुराल में बिताए लेकिन शायद ही कोई ऐसा दिन रहा होगा जब राजधानी के डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में उनकी चर्चा न छिड़ी हो।

   नटखट बच्ची राम के समकालीन और कुछ दिनों के अंतर से स्वर्ग सुधारने वाले हकीकत सिंह की प्रतिभा का भी कोई सानी नहीं रहा। दिल्ली के चैम्पियन क्लब शिमला यंग्स के सर्वकालीन श्रेष्ठ गोलकीपर का सम्मान प्राप्त रेलवे के इस खिलाड़ी को सहजता से श्रेष्ठ गोली आंका जा सकता है। लंबे ऊंचे कद के हकीकत ने देशभर के बड़े आयोजनों में बड़ी छाप छोड़ी। मोहन बागान, ईस्ट बंगाल,   मोहम्डन स्पोर्टिंग और अन्य नामी क्लबों के विरुद्ध ऐसा प्रदर्शन किया कि उन्हें ईगल (बाज) कहा गया। बच्ची राम की तरह हकीकत भी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और खिलाड़ी के साथ साथ, कोच, चयनकर्ता और रेफरी की भूमिका में भी खूब नाम कमाया।

 

  हाल ही में दिल्ली ने जिस हस्ती को खोया है, उसका नाम है – किशोरी लाल। उन्हें लाल भी कहा जाता था। उनके करीबी अक्सर उन्हें दिल्ली फुटबॉल का गांधी भी कहते थे। बच्ची राम और हकीकत की तरह के लाल भी अस्सी से ऊपर का जीवन जीकर स्वर्ग सिधारे। किशोरी का प्रमुख क्लब दिल्ली कैंट रहा। कुछ समय उन्होंने प्रेसिडेंट स्टेट को भी सेवाएं दीं।

   एक क्लब अधिकारी के रूप में वे लोकप्रिय रहे। उनके क्लब से जो कोई खेला या अन्य राज्यों में खेलने गया, लाल की व्यवहार कुशलता का कायल रहा। स्वर्गीय नवाबुद्दीन, वीएस चौहान, उमेश सूद, नासिर अली और तत्पश्चात एनके भाटिया, हेम चंद और मगन सिंह पटवाल जैसे कुशल अधिकारियों के साथ मिलकर श्री लाल ने दिल्ली की फुटबॉल के विकास में बड़ी भूमिका का निर्वाह किया।

(संयोग से लेखक को शिमला यंग्स, बीबी स्टार्स और दिल्ली कैंट क्लबों में स्थानीय लीग या कुछ आमंत्रण टूर्नामेंट में खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बहुत करीब से हकीकत सिंह, बच्ची राम और के लाल को देखा परखा है।)

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