June 16, 2025

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(क)पूत के पांव पालने में नजर आए थे!

  • विनोद कांबली ने अपने बचपन के दोस्त सचिन तेंदुलकर के साथ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत धमाकेदार अंदाज में की
  • लेकिन वह जल्दी ही भारतीय क्रिकेट के परिदृश्य से गायब भी हो गया जबकि सचिन ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया, ब्रैडमैन के समकक्ष खुद को स्थापित किया और भारत रत्न बने
  • यकायक प्रसिद्धि पाने से जहां कांबली व्यसनों की तरफ बढ़ गए तो उनके दोस्त ने सीधा, सच्चा और शांत रास्ता चुना और विश्व क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई
  • शराब खोरी और अन्य नशों के अलावा हर बुरी आदत ने उस कामयाब खिलाड़ी को नरक में धकेल दिया, जो कि एक समय सचिन के ऊपर आंका जाता था
  • कुछ अज्ञानी कह रहे हैं कि सचिन ने बुरे वक्त में उसकी मदद नहीं की जो कि पूरी तरह गलत है
  • सचिन ने उसे सुधारने की कोशिश भी की और बुरे वक्त में साथ भी दिया लेकिन जो इंसान सुधरना ही न चाहे, उसे कौन समझाए

राजेंद्र सजवान

सालों पहले दिल्ली और मुम्बई के बीच फिरोजशाह कोटला मैदान रणजी ट्रॉफी का मैच खेल जा रहा था। मीडिया बॉक्स में मुम्बई के दो उभरते सितारे बैठे थे। उनमें से एक कुर्सी पर बैठ कर सामने वाली टेबल पर पैर पसारे था तो दूसरा सादगी के साथ उसकी हां में हां मिला रहा था। जहां तक मुझे याद है वरिष्ठ खेल पत्रकार उन्नी कृष्णन और कमलेश थपलियाल ने अगली कतार में बैठे नवयुवक क्रिकेटर से सीधे बैठने का आग्रह किया, जो नहीं माना और अंतत: उन्हें मीडिया बॉक्स छोड़ना पड़ा।

   एक और घटना पालम क्रिकेट ग्राउंड की है। इंग्लैंड टीम भारत में खेलने आई थी। सचिन तेंदुलकर अपनी पहचान बना चुके थे और बल्लेबाजी अभ्यास के लिए मैदान में उतर रहे थे। उन्हें बीच रास्ते में रोककर साक्षात्कार के लिए कहा गया। आकाशवाणी के जाने-माने फ्रीलांस पत्रकार सत्यप्रकाश घिल्डियाल ‘कलामंडी’ ने सचिन को रोका और एक मिनट इंटरव्यू के लिए मांगा। सचिन बोले कि अभ्यास के बाद बात करेंगे। लेकिन कलामंडी की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा और हमेशा की तरह कला ने सचिन से बीस मिनट छीन लिये। सचिन जाते-जाते बोले, “देखा सर, ये पंडित जी क्या चीज हैं।”  

   शायद आप समझ गए होंगे कि प्रेस बॉक्स में सचिन के साथ उनका बचपन का दोस्त विनोद कांबली बैठा था, जिसने सचिन के साथ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत धमाकेदार अंदाज में की और जल्दी ही भारतीय क्रिकेट के परिदृश्य से गायब भी हो गया। सचिन ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया, ब्रैडमैन के समकक्ष खुद को स्थापित किया और भारत रत्न बने। लेकिन कांबली को अर्श से फर्श पर गिरने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। हालत यह है कि उन्हें आज उनके सामने हाथ पसारने पड़ रहे हैं, जिन्हें कभी  नजदीक नहीं आने देते थे।

   यकायक प्रसिद्धि पाने से जहां कांबली व्यसनों की तरफ बढ़ गए तो उनके दोस्त ने सीधा, सच्चा और शांत रास्ता चुना और विश्व क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई। शराब खोरी और अन्य नशों के अलावा हर बुरी आदत ने उस कामयाब खिलाड़ी को नरक में धकेल दिया, जो कि एक समय सचिन के ऊपर आंका जाता था। लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि कुछ अज्ञानी कह रहे हैं कि सचिन ने बुरे वक्त में उसकी मदद नहीं की जो कि पूरी तरह गलत है। सचिन ने उसे सुधारने की कोशिश भी की और बुरे वक्त में साथ भी दिया। लेकिन जो इंसान सुधरना ही न चाहे, उसे कौन समझाए? मुम्बई और देश के तमाम क्रिकेटर और अन्य खेल प्रेमी कांबली का हित चाहते हैं। लेकिन वह शायद कमजोरियों का दास बन गया है और सुधरना नहीं चाहता!  

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