क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली उस दौर से गुजर रहे हैं जिसका सामना लगभग सभी भारतीय कप्तानों को करना पड़ता है। यह हाल तब है जब विराट कोई ऐसे-वैसे कप्तान नहीं रहे। उसने फ्रंट से टीम का नेतृत्व किया और कुछ समय पहले तक टीम इंडिया और विश्व का नंबर एक बल्लेबाज आँका जाता रहा है। आज विराट खराब फॉर्म से गुजर रहा है। टीम साथी, पूर्व खिलाड़ी और विदेशी खिलाड़ी भी उसे ढाढ़स बंधा रहे हैं। शायद विराट ने इस प्रकार की स्थिति के बारे में नहीं सोच होगा कि जो लोग उसे सर आँखों बिठाते थे इतने निर्मम भी हो सकते हैं।
विराट ने जब महेंद्र सिंह धोनी से टीम की बागडोर ली थी तब धोनी पर भी कुछ ऐसी ही बीती थी। उसने भी बने रहने और जमे रहने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया था। आखिरकार धोनी को जाना पड़ा। थोड़ा पीछे चलें तो बिशन सिंह बेदी, गावस्कर, कपिल देव, सौरभ गांगुली, आदि को भी कुछ इसी प्रकार की परिस्थितियों में पद छोड़ना पड़ा। बहुत कम कप्तान और खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने सही समय और फॉर्म के शीर्ष पर रहने दौरान सन्यास लिया हो।
हालंकि अन्य खेलों में भी कभी कभार ऐसा देखने को मिला है लेकिन प्राय बाकी खेलों के कप्तान निकाले जाने पर चुपचाप रहते हैं और उनके बचाव में भी शायद ही कोई आता हो। तारीफ़ की बात देखिए कि लॉर्ड्स मैदान पर हुई हार के बाद कप्तान रोहित शर्मा ने विराट की खराब फॉर्म के बारे में सवाल पूछे जाने पर एक पत्रकार को डपट दिया और कहा कि वह महान खिलाड़ी हैं और खराब फॉर्म खेल का हिस्सा है। उसने विराट के योगदान को बढ़-चढ़ कर सराहा और कहा कि उनकी जगह टीम में सुरक्षित है। यह वही खिलाड़ी है जिसके रिश्ते विराट के साथ बहुत अच्छे नहीं थे। लेकिन अब उनके बीच सब कुछ ठीक है।
उधर, पकिस्तान के क्रिकेट कप्तान बाबर आजम भी कोहली का बचाव कर रहे हैं और उन्हें महान खिलाड़ी मानते हैं। बाबर ने तो बाकायदा ट्वीट कर कोहली के साथ अपनी फोटो भी शेयर की है। कई अन्य देशों के कप्तान और खिलाड़ी भी विराट के पक्ष में आ खड़े हुए हैं। शायद इसलिए क्योंकि कल उन्हें भी इसी प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
इसमें दो राय नहीं कि भारतीय क्रिकेट अन्य देशों कि तुलना में कुछ हटकर है और भारतीय खिलाड़ियों को देवदूतों की तरह पूजा जाता है। एक बार अंतराष्ट्रीय पहचान बनाने के बाद खिलाड़ी को घर-घर में जाना पहचाना जाता है। और तो और आईपीएल में धमाल मचाने वाला भी महानायक बन जाता है। पैसा, नाम, सम्मान सब कुछ है। बड़ी-बड़ी कंपनियां, नेता, अभिनेता क्रिकेट खिलाड़ियों के आगे पीछे मंडराते देखे जा सकते हैं। कुछ एक मैच खेल कर ही क्रिकेटर इतना कमा लेते हैं जिसके बारे में आम इंसान और खिलाड़ी सोच भी नहीं सकता। … और कप्तान बन गए तो पाँचों उँगलियाँ घी में! भले ही विराट ने भारतीय क्रिकेट का मान-सम्मान बढ़ने में बड़ा योगदान दिया है लेकिन वह भी तो आखिर एक इंसान ही है। वह भी अधिकाधिक समय भारतीय टीम का हिस्सा बना रहना चाहता होगा।
जैसा कि बाबर कह रहा है, “यह दौर भी बीत जाएगा” लेकिन यह दौर आसानी से बीतने वाला नहीं है। कोई क्या जाने विराट पर क्या बीत रही होगी!