गोरों ने शालीनता से तमाचा जड़कर किया घमंड का सिर नीचा

सबसे बड़े लोकतंत्र का चाटुकार मीडिया सबसे बड़ा खलनायक

मीडिया जोश में आकर अपनी टीम और अपने पसंदीदा खिलाड़ियों के गुणगान को अपना परम कर्तव्य समझता है

बड़-बोला मीडिया इंग्लैंड को कमजोर प्रतिद्वंद्वी मान कर अपने घटिया स्तर का क्रिकेट ज्ञान बांट रहा था

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

“जीतेगा भाई जीतेगा, इंडिया जीतेगा।”… “सूर्य की बल्लेबाजी इंग्लैंड को ग्रहण लगा देगी।”… “विराट पारी से इंग्लैंड का मान-मर्दन होगा।”…. और न जाने भारत-इंग्लैंड टी20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल से पहले क्या कुछ नहीं कहा जा रहा था। लेकिन जब नतीजा आया तो भारतीय क्रिकेट टीम को सिर चढ़ाने वाले कह रहे हैं,… “जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।… घमंड का सिर नीचा।”

  

  अंग्रेजों के हाथों टीम इंडिया की शर्मनाक पिटाई पर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का नाराज होना स्वाभाविक है। कुछ घंटे पहले जो लोग पाकिस्तान से फाइनल खेलने की बातें बढ़-चढ़ कर रहे थे, पाकिस्तान को देख लेने के नारे लगा रहे थे उन्हें अंग्रेजों ने हैसियत का आईना दिखा दिया। बेशक, ऐसी एकतरफा हार की उम्मीद किसी ने नहीं की होगी। भारत क्यों हारा? कम से कम क्रिकेट जैसे खेल में यह सवाल कोई मायने नहीं रखता। फिर भी इस सवाल का जवाब उन्हीं से पूछा जाना चाहिए जो इंग्लैंड को कमजोर प्रतिद्वंद्वी मान कर अपने खिलाड़ियों के स्तुतिगान में लगे थे और अपने घटिया स्तर का क्रिकेट ज्ञान बांट रहे थे।

  

दस विकेट की हार से शर्मसार टीम का बचाव शायद ही कोई करना चाहेगा। अंततः उन्हें यही कहना पड़ेगा कि खेल में कुछ भी हो सकता है। यूं भी पिछले एक दशक से यही कहानी दोहराई जाती रही है।

   देखा जाए तो पराजित टीम के खिलाड़ियों का कोई दोष नहीं है। असली दोषी है देश का मीडिया जो कि जोश में आकर अपनी टीम और अपने पसंदीदा खिलाड़ियों के गुणगान को अपना परम कर्तव्य समझता है। उसे पता होना चाहिए कि इस खेल में कभी भी किसी का भी सूर्योदय और सूर्यास्त हो सकता है।

  

देश के क्रिकेट प्रेमियों को भ्रमित करने वाले मीडिया का आलम यह है कि उसे अपने खिलाड़ियों के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता। मैच से पहले क्रिकेट कवर करने वाले ज्यादातर पत्रकारों ने इंग्लैंड को कुछ समझा ही नहीं था। जिस तरह सावन के अंधों को सब हरा ही हरा नजर आ रहा था, उसी तरह उन्हें बस भारत-पाक फाइनल दिखाई दे रहा था। लेकिन इंग्लैंड ने न सिर्फ घमंड का सिर नीचा किया सबसे बड़े लोकतंत्र के चाटुकार मीडिया को सुधर जाने की सीख भी दे दी है।

 

  हैरानी वाली बात यह है की जो राष्ट्रीय  समाचार पत्र, बड़बोले चैनलों के नकारा एक्सपर्ट और तमाम प्रचार माध्यम बे-मतलब की हांक रहे थे उनके गाल पर गोरों ने बड़ी शालीनता से तमाचा जड़ा है। और शायद यह सलाह भी दी है कि पहले सही से होमवर्क करें।

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