खेल मंत्रालय ने सोच समझ कर जाल बिछाया है ताकि सांप मर जाए और लाठी भी बच जाए
कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह पर लगे आरोपों की जांच के लिए बनाई गई मुक्केबाज मैरीकॉम के नेतृत्व वाली सरकारी कमेटी पर पहलवानों का भरोसा नहीं है
कमेटी पर भरोसा नहीं होने का सबसे बड़ा कारण पूर्व पहलवान योगेश्वर दत्त को शामिल किया जाना है, जिसे असंतुष्ट पहलवान साजिश बता रहे हैं
बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट कह रहे हैं कि कमेटी का गठन उनसे पूछ कर नहीं किया गया
राजेंद्र सजवान
लंदन ओलम्पिक में कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त का फीतले दांव खासा चर्चित रहा था। योगेश्वर ने विपक्षी पहलवानों की दोनों टांगों को हाथों की मजबूत पकड़ में फंसा कर लपेटा और कांस्य पदक जीता। कुछ ऐसा ही दांव खेल मंत्रालय ने देश के नामी पहलवानों के खिलाफ लगा दिया है, जिसका नतीजा आना बाकी है।
कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह पर दिग्गज पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए बनाई गई सरकारी कमेटी पर पहलवानों का भरोसा नहीं है। बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट कह रहे हैं कि कमेटी का गठन उनसे पूछ कर नहीं किया गया और जिन सदस्यों को जांच का काम सौंपा गया है उनमें से कुछ एक पहलवानों के हक की लड़ाई को बर्बाद कर सकते हैं।
मुक्केबाज मैरीकॉम ने नेतृत्व में गठित कमेटी पर भरोसा नहीं होने का सबसे बड़ा कारण पहलवान योगेश्वर दत्त को शामिल किया जाना है, जिसे असंतुष्ट पहलवान साजिश बता रहे हैं, क्योंकि वे भाजपा में हैं। कुछ एक और नामों पर भी उन्हें एतराज है।
इसमें दो राय नहीं कि फेडरेशन अध्यक्ष और पहलवानों के बीच का संघर्ष जगजाहिर हो गया है और दुनिया भर में भारतीय कुश्ती की थू-थू हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय इकाई ने भी पहलवानों को न्याय मिलने की गुहार लगाई है। लेकिन खुद आरोप लगाने वाले पहलवानों और उनके समर्थकों को जांच कमेटी पर भरोसा नहीं है। पहलवान कह रहे हैं कि कमेटी उन पर थोपी गई है, जबकि खेल मंत्रालय कह रहा है कि सबकुछ पहलवानों से पूछकर तय किया गया था।
आरोप-प्रत्यारोप के चलते अब एक और पेंच फंसने की आशंका व्यक्त की जा रही है। वह यह कि नाराज पहलवान कहीं अलग थलग न पड़ जाएं। यदि ऐसा होता है तो वे अपनी लड़ाई हार भी सकते हैं और यही शायद होने जा रहा है क्योंकि खेल मंत्रालय ने सोच समझ कर जाल बिछाया है ताकि सांप मर जाए और लाठी भी बच जाए। यदि लड़ाई कुश्ती फेडरेशन अध्यक्ष और पहलवानों के बीच होती तो बात कुछ और थी लेकिन यहां तो दिन पर दिन नए पेंच जुड़ रहे हैं, नए आरोप लग रहे हैं और सबसे बढ़कर लड़ाई दलगत होने की बू आ रही है। लड़ाई यूपी-हरियाणा का रूप ले रही है और पहलवान अपने ही जाल में फंसते नजर आ रहे हैं।
फिलहाल इस दंगल में एक छोटा लेकिन सबसे घातक प्यादा चित हुआ है। सरकारी क्लर्क विनोद तोमर का जाना पहलवानों के आंदोलन की सबसे बड़ी कामयाबी बन कर रह सकता है, क्योंकि इसके आगे कहीं कोई राह नजर नहीं आ रही। धरना प्रदर्शन, मीटिंग, आरोप-प्रत्यारोप और अब अविश्वास के कारण असल मुद्दा दब कर रह है या दबा दिया गया है। पहलवान कह रहे हैं कि उनके पास प्रमाण है तो ब्रज भूषण जवाब में भूकंप और सुनामी आने की बात कर रहे हैं। अर्थात कुश्ती पर कालिख पुत कर रहेगी!