- नए अध्यक्ष अनुज गुप्ता के पदभार संभालने के कुछ समय बाद ही स्थानीय फुटबॉल में गुटबाजी का खेल शुरू हो गया
- खिलाड़ियों, क्लब अधिकारियों और फुटबॉल प्रेमियों को डर है कि आपसी कलह के कारण 1970-80 की तरह दिल्ली की फुटबॉल कोर्ट कचहरी में खेली गई और इतिहास खुद को दोहराता नजर आ रहा है
- अनुज को अध्यक्ष पद से हटाने का दावा किया जा रहा है और आरोप है कि कुछ अवसरवादी और कुर्सी के भूखे अध्यक्ष की कुर्सी हथियाना चाहते हैं
- असंतुष्ट कार्यकारिणी समिति ने पहली ही बैठक में अविश्वास प्रस्ताव से अनुज को अपदस्त कर दिया लेकिन अनुज इस कदम को असंवैधानिक बता रहे हैं
- नतीजन डीएसए अब दो धड़ों में बंट गया है और आरोप-प्रत्यारोप एवं लड़ाई-झगड़े बढ़ गए हैं कि नौबत कोर्ट कचहरी की आ गई है
राजेंद्र सजवान
कुछ महीने पहले तक दिल्ली की फुटबॉल के चर्चे आम थे। दिल्ली में ही नहीं देश भर में डीएसए फुटबॉल लीग मुकाबले खेल प्रेमियों की जुबान पर थे। फुटबॉल दिल्ली की देखरेख में पुरुष और महिला वर्गों की प्रीमियर लीग, सीनियर डिवीजन, ए डिवीजन और बी डिवीजन लीग का शानदार आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न प्रदेशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया। खिलाड़ी, आयोजक और बाहरी प्रदेशों के फुटबॉल जानकार यह कहने लगे थे कि दिल्ली जैसा आयोजन और किसी प्रदेश के बूते की बात नहीं है।
लेकिन चंद महीने बाद ही पिक्चर एकदम बदल गई है। नए अध्यक्ष अनुज गुप्ता के पदभार संभालने के कुछ समय बाद ही स्थानीय फुटबॉल में गुटबाजी का ऐसा खेल शुरू हुआ है जिसे देखकर खिलाड़ी, क्लब अधिकारी और फुटबॉल प्रेमी हैरान परेशान हैं। उन्हें डर है कि कहीं दिल्ली की फुटबॉल 1970-80 के दौर में न पहुंच जाए। तब आपसी कलह से देश की राजधानी की फुटबॉल कोर्ट कचहरी में खेली गई और एक बार फिर से इतिहास खुद को दोहराता नजर आ रहा है।
शाजी प्रभाकरण के एआईएफएफ महासचिव बनने के बाद अनुज गुप्ता को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। लेकिन अब अनुज को अध्यक्ष पद से हटाने का दावा किया जा रहा है। आरोप है कि कुछ अवसरवादी और कुर्सी के भूखे अध्यक्ष की कुर्सी हथियाना चाहते हैं। असंतुष्ट कार्यकारिणी समिति ने पहली ही बैठक में अविश्वास प्रस्ताव से अनुज को अपदस्त कर दिया। लेकिन अनुज इस कदम को असंवैधानिक बता रहे हैं। नतीजन डीएसए अब दो धड़ों में बंट गया है। आरोप प्रत्यारोप और लड़ाई झगड़े इस हद तक बढ़ गए हैं कि नौबत कोर्ट कचहरी की आ गई है। सूत्रों से पता चला है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे पर बेहद गंभीर आरोप लगा रहे हैं। एक पक्ष आरोप लगा रहा है कि एसोसिएशन के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है और खातों में भारी गड़बड़ी हुई है। अपने करीबियों को टीमों के चयन में शामिल करना और अपने बेटे-बेटियों का राज्य की टीमों में चयन कराने वाले खुल कर खेल रहे हैं। उन्हें किसी का डर नहीं है।
अनुज गुप्ता पर आरोप लग रहे हैं कि अध्यक्ष बनने से पहले उसने डीएसए को मालामाल करने का वादा किया था लेकिन वह फूटी कौड़ी भी नहीं जुटा पाया है। जवाब में अनुज कहता है कि वह लाखों के प्रायोजक लाया है लेकिन कुछ अवसरवादी उसे हटाने पर तुले हैं ताकि उनका भ्रष्टाचार जारी रहे।
अफसोस की बात यह है कि यह सब तब हो रहा है, जबकि संतोष ट्रॉफी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के लिए टीम की चयन प्रक्रिया चल रही है। पिछले कुछ दिनों में दिल्ली के खिलाड़ियों ने सब-जूनियर और जूनियर स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन अधिकारी अपने शर्मनाक प्रदर्शन से फुटबॉल को बर्बाद करने पर तुले हैं। यदि शीघ्र ही कोई हल नहीं निकला और एक टेबल पर बैठ कर निर्णय नहीं लिया गया तो खेल बिगड़ना तय समझें।