- कुश्ती के लिए पिछली कमेटी के सदस्य रहे ओलम्पियन ज्ञान सिंह और अशोक गर्ग ने अपने पूर्व अध्यक्ष भूपिदंर सिंह बाजवा पर आरोप लगाए
- डब्ल्यूएफआई के लिए गठित तीन सदस्यीय एडहॉक कमेटी का अध्यक्ष भारतीय वुशू महासंघ के अध्यक्ष भूपिदंर सिंह बाजवा को बनाया गया है, जो पिछली कमेटी के भी मुख्या थे
- इन दोनों अर्जुन अवार्डियों की राय में ब्रजभूषण और महिला पहवानों के टकराव को लेकर पहले ही सुलह-सफाई हो सकती थी लेकिन बाजवा के असहयोगी रवैये के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया
- ज्ञान और अशोक एक बार फिर से कमेटी के गठन को ड्रामा बताते हैं, क्योंकि बाजवा के कारण पिछली कमेटी अपना काम आजादी के साथ नहीं कर पाई थी
- दोनों दिग्गजों के अनुसार, चुनाव के बाद यदि ब्रजभूषण ने दबंगई दिखाई है तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन संजय सिंह की अध्यक्षता में चुनी गई टीम को निलंबित करना ठीक नहीं है
राजेंद्र सजवान
निलंबित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के दैनिक काम-काज का संचालन करने के लिए तीन सदस्यीय एडहॉक कमेटी का गठन कर दिया गया है, जिसका मुखिया एक बार फिर से भारतीय वुशू महासंघ के अध्यक्ष भूपिदंर सिंह बाजवा को बनाया गया है। हॉकी ओलम्पियन एमएम सोमैया और बैडमिंटन खिलाड़ी मंजूषा कंवर इसके दो अन्य सदस्य हैं। जैसा कि आप जानते है कि चुनाव जीतने वाली डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह और नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह सहित पूरी टीम को संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने पर निलंबित कर दिया गया था।
ज्ञात हो कि महिला पहलवानों के धरना प्रदर्शन के चलते हालात बेकाबू हो गए, तो आईओए ने कुश्ती फडरेशन के लिए पिछली बार भी चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसके अध्यक्ष भूपिंदर सिंह बाजवा ही थे। ओलम्पियन ज्ञान सिंह और अशोक गर्ग के अलावा निशानेबाज सुमा शिरूर भी उस कमेटी में थीं। लेकिन एक बार फिर से कमेटी के गठन को ज्ञान और अशोक महज ड्रामा बताते हैं। उनके अनुसार बाजवा के कारण पिछली कमेटी अपना काम आजादी के साथ नहीं कर पाई थी।
ज्ञान सिंह कहते हैं कि कमेटी का फिर से गठन महज दिखावा है। यह सब बाजवा को खुश करने के लिए रचा गया नाटक है। ज्ञान सिंह पूछते हैं कि बाजवा में ऐसा क्या है? क्यों ये महाशय आईओए के लाडले हैं? बार-बार बाजवा को खुश करने के पीछे क्या कारण है, देश के खेलप्रेमियों और कुश्ती प्रेमियों को जरूर पता चलना चाहिए।
इन दोनों अर्जुन अवार्डियों की राय में ब्रजभूषण और महिला पहवानों के टकराव को लेकर पहले ही सुलह-सफाई हो सकती थी लेकिन बाजवा के असहयोगी रवैये के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। दोनों दिग्गजों के अनुसार, चुनाव के बाद यदि ब्रजभूषण ने दबंगई दिखाई है तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। संजय सिंह की अध्यक्षता में चुनी गई टीम को निलंबित करना ठीक नहीं है।
ज्ञान और अशोक के मुताबिक, बाजवा की अध्यक्षता में गठित कमेटी महज छलावा है। इस कमेटी में कोई पहलवान क्यों नहीं है? देश को सबसे ज्यादा ओलम्पिक पदक पहलवान दे रहे हैं और उनके लिए फैसला करने के लिए वुशू जैसे खेल के मुखिया को थानेदार बनाया जाना कहां तक ठीक है?
देश भर के पहलवान, कोच और अखाड़ा चलाने वाले गुरु खलीफा एडहॉक कमेटी को लेकर न सिर्फ नाराज हैं, बल्कि उन्हें लगता है कि खेल मंत्रालय और आईओए कुश्ति को चित करने पर तुले हैं।