भारतीय फुटबॉल, गिरावट की हद पार!

  • ब्ल्यू टाइगर्स का अपने घर पर अफगानिस्तान जैसे समस्याग्रस्त देश से पिटना चिंता का विषय है
  • यह भी ना भूलें कि अफगानिस्तान के प्रमुख खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय  टीम का बायकॉट किया था, जिस कारण से दूसरे दर्जे की टीम को उतारना पड़ा, जिसने मेजबान को उसी के दर्शकों के सामने नचाया, भगाया और हैसियत का आईना भी दिखाया
  • मैच के दौरान ब्ल्यू टाइगर्स के लचर प्रदर्शन से निराश फुटबॉल प्रेमियों ने एआईएफएफ हाय-हाय, कोच इगोर हाय-हाय और छेत्री सहित तमाम खिलाड़ियों के विरुद्ध नारे भी लगाए
  • जियाउद्दीन, दासमुंशी और प्रफुल पटेल के जंगल राज के चलते आज भारत की फुटबॉल वहां जा पहुंची है जहां से वापसी की उम्मीद नजर नहीं आती
  • पिछले छह मुकाबलों में क्रमश: कतर, ऑस्ट्रेलिया, उज्बेकिस्तान, सीरिया और अफगानिस्तान से पिटने के बाद बड़बोलों की बोलती बंद हो गई है
  • पिछले कुछ महीनों में जो उठा पटक हुई उसे लेकर आम फुटबॉल प्रेमी यह मान बैठा है कि भारत शायद ही कभी फीफा वर्ल्ड कप खेल पाए
  • कुछ निराशावादी तो यहां तक मान बैठे है कि यदि वर्ल्ड कप में 100 टीमें खेलें तो भी भारत को जगह नहीं मिलने वाली
  • इगोर स्टीमैक खूब भ्रम फैला रहे हैं लेकिन अब रोते बिलखते उनकी विदाई का वक्त आ गया है

राजेंद्र सजवान

भारतीय फुटबॉल के कर्णधार अपनी टीम को वर्ल्ड कप में खेलते देखना चाहते हैं। ख्याल बुरा नहीं है। फिर भी अपनी हैसियत पर नजर डाल कर कोई लक्ष्य निर्धारित किया जाए तो बेहतर रहेगा। हाल के प्रदर्शन पर नजर डालें तो वर्ल्ड कप खेलने का सपना देखना भी भारतीय फुटबॉल के लिए पाप समान है, ऐसा मानना है फुटबॉल पंडितों का जो कि पिछले 50-60 सालों से भारतीय फुटबॉल के झूठ और दिखावे को झेलते आ रहे हैं।

   दिन पर दिन और साल दर साल भारतीय फुटबॉल तिल-तिल कर मर रही है। लेकिन फुटबॉल फेडरेशन और उसके जी हुजूर है कि उनकी अकड़ जाती नहीं। जियाउद्दीन, दासमुंशी और प्रफुल पटेल के जंगल राज के चलते आज भारत की फुटबॉल वहां जा पहुंची है जहां से वापसी की उम्मीद नजर नहीं आती। पिछले कुछ महीनों में जो उठा पटक हुई उसे लेकर आम फुटबॉल प्रेमी यह मान बैठा है कि भारत शायद ही कभी फीफा वर्ल्ड कप खेल पाए। कुछ निराशावादी तो यहां तक मान बैठे है कि यदि वर्ल्ड कप में 100 टीमें खेलें तो भी भारत को जगह नहीं मिलने वाली।

   कुछ सप्ताह पहले जब भारत फीफा रैंकिंग में 100 से नीचे उतरा तो फेडरेशन, उसके जी हुजूर और झूठ फैलाने वाले लुटेरे कहने लगे थे कि ‘ब्ल्यू टाइगर्स’ कमाल कर रहे हैं। लेकिन पिछले छह मुकाबलों में क्रमश: कतर, ऑस्ट्रेलिया, उज्बेकिस्तान, सीरिया और अफगानिस्तान से पिटने के बाद बड़बोलों की बोलती बंद हो गई है। इस बीच एक मैच  अफगानिस्तान के साथ ड्रा रहा। शर्मनाक बात यह रही कि अफगानिस्तान के साथ ड्रा मैच को छोड़ अन्य में भारतीय खिलाड़ी गोल नहीं कर पाए।

   अपने घर पर अफगानिस्तान जैसे समस्याग्रस्त देश से पिटना चिंता का विषय है। साथ ही यह भी ना भूलें कि अफगानिस्तान के प्रमुख खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय  टीम का बायकॉट किया था, जिस कारण से दूसरे दर्जे की टीम को उतारना पड़ा, जिसने मेजबान को उसी के दर्शकों के सामने नचाया, भगाया और हैसियत का आईना भी दिखाया। मैच के दौरान ब्ल्यू टाइगर्स के लचर प्रदर्शन से निराश फुटबॉल प्रेमियों ने एआईएफएफ हाय-हाय, कोच इगोर हाय-हाय और छेत्री सहित तमाम खिलाड़ियों के विरुद्ध नारे भी लगाए।

   फुटबॉल की हल्की-फुल्की समझ रखने वाले भी मानते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों को खेल की ए बी सी भी ढंग से आती। बेचारा सुनील छेत्री सात मैचों के बाद पेनल्टी पर  गोल करने में कामयाब रहा लेकिन भारतीय फुटबॉल की किस्मत का बंद दरवाजा नहीं खोल पाया । इगोर स्टीमैक भी खूब भ्रम फैला रहे हैं लेकिन अब रोते बिलखते उनकी विदाई का वक्त आ गया है।

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